दरिंदगी के 15 दिन: नरक से डरावना हर पल, इंसाफ की उम्मीद में गिनती रही सांसे

पीड़िता की कमर की हड्डी टूटी हुई थी, जीभ काट दी गयी थी, इतनी हैवानियत के बाद भी पुलिस ने यौन उत्पीड़न की बात को नकार दिया। हो सकता है कि पीड़िता का रेप न हुआ हो लेकिन जो हुआ वो रेप से कम भी नहीं था।

Update: 2020-09-29 16:17 GMT

हाथरस गैंगरेप काण्ड पीड़िता ने 15 दिन तक उसी हैवानियत और दरिंदगी से जंग लड़ते लड़ते आज दम तोड़ दिया। 14 सितंबर को हुए इस दिल दहला देने वाले काण्ड के बाद से हर दिन हाथरस की निर्भया के लिए जानलेवा दर्द और तख्लीफो में गुजरें। एक लड़की अस्पताल में जिंदगी से जंग लड़ती रही, जानवरों के शिकार से भी ज्यादा गहरा दर्द झेल रहे शरीर को लिए अस्पताल के एक बिस्तर पर पड़ी शायद यही सोच रही होगी कि आखिर उसका गुनाह क्या था?

गैंगरेप पीड़िता के 15 दिन:

पीड़िता की कमर की हड्डी टूटी हुई थी, जीभ काट दी गयी थी, इतनी हैवानियत के बाद भी पुलिस ने यौन उत्पीड़न की बात को नकार दिया। हो सकता है कि पीड़िता का रेप न हुआ हो लेकिन जो हुआ वो रेप से कम भी नहीं था। पीड़िता की मौत के बाद सियासत शुरू हो गयी। राजनीतिक दलों को उस लड़की का दर्द, महिला अपराध, महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान याद आने लगा लेकिन अब ये सवाल उठना चाहिए क़ि15 दिन जब पीड़िता और उसका परिवार ये दर्द अकेले झेल रहा था तो पुलिस-प्रशासन और यही राजनेता कहा थे?

 

14 सितंबर 2020

उत्तर प्रदेश के हाथरस में चंदपा थाना क्षेत्र के गांव बूलगढ़ी में रहने वाली एक युवती सुबह अपनी मां के साथ चारा काटने खेत पर गई थी। चारा काटने के दौरान युवती अपनी मा से कुछ दूर हो गयी। वहीं से गाँव के चार युवक निकले और युवती को जबरन बाजरे के खेत में खींच ले गए। यहां से शुरू हुई युवती के साथ खौफनाक वारदात की कहानी। युवती के साथ जबरदस्ती की गयी, मारपीट हुई। उसकी रीड की हड्डी तोड़ दी, जीभ तक काट दी।

युवती को मरा समझ आरोपी मौके से फरार हो गए। मां ने बेटी को काफी देर से नहीं देखा तो ढूढ़ना शुरू किया। उसे खेत में ऐसी हालत में देख मां के होश उड़ गए। लोगों को मदद के लिए बुलाया, लड़की को तुरंत अस्पताल ले जाया गया।

अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुई पीड़िता की हालत बहुत गंभीर थी। परिजनों ने पुलिस में शिकायत की तो आईपीसी की धारा 307 का मुकदमा दर्ज हुआ।

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22 सितंबर 2020

14 से 21 तारीख तक पीड़िता बेहोश रही, आठ दिनों बाद उसे होश आया तो उसने आरोपियों के नाम बताये। पुलिस ने पीड़िता के बयान के आधार पर आईपीसी की धारा 376डी भी एफआईआर में तरमीम की और आरोपियों की तलाश शुरू कर दी।

23 सितंबर 2020

अगले दिन पीड़िता ने आरोपियों के बारे में और जानकारी दी। पुलिस ने दबिश शुरू की तो मामले का मुख आरोपी ठाकुर संदीप सिंह पकड़ में आ गया। पुलिस अन्य तीन आरोपियों की तलाश में जुटी रही। तब तक ये मामला राजनीतिक दलों के संज्ञान में भी आ चुका था और मुद्दा बनना शुरू हो गया।

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25 सितंबर 2020

25 सितंबर 2020 को पुलिस ने एक और आरोपी को मुखबीर की सूचना पर धर दबोचा। 26 सितंबर 2020 को फिर पुलिस के हत्थे तीसरा आरोपी चढ़ा। जब पुलिस चारों आरोपियों की गिरफ्तारी में जुटी तो पीड़िता जिंदगी और मौत से जुझ रही थी।

27 सितंबर

27 सितंबर को पीड़िता की हालत बिगड़ता देख डॉक्टरों ने उसे दिल्ली रेफर कर दिया। यहां सफदरजंग अस्पताल में उसका इलाज शुरू हुआ। तब तक चौथा आरोपी भी पुलिस गिरफ्त में आ चुका था। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर राहत की सांस ली तो दिल्ली के अस्पताल में पीड़िता अपनी आखिरी साँसे गिनने लगी। उसकी हालत नाजुक होती जा रही थी।

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29 सितंबर को तोड़ा दम

अगले दिन सुबह यानी आज हाथरस की निर्भया न्याय की उम्मीद करते करते जिंदगी की जंग हार गई। अस्पताल में सुबह 6 बजे उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वो तो हमेशा के लिए खामोश हो गयी लेकिन उसके साथ हुई हैवानियत पर कई आवाजे उठी। सोशल मिडिया से लेकर सड़कों तक हाथरस की निर्भया को इन्साफ दिलाने की मांग उठने लगी। लोगों ने एक तरह पीड़िता की आत्मा की शांति के लिए कैंडल जलाई तो उन चरों हैवानों को सजा दिलाने के लिए हल्लाबोल किया।

उन चारों दरिंदो को सजा मिलेगी? कब तक मिलेगी? कितने साल लगेंगे ? ये सब तो बाद की बात है लेकिन अब न तो वो इस दुनिया में अपने लिए उठती आवाज को सुनने के लिए और न उसे इस हाल तक पहुंचाने वालों को सजा पाते देखने के लिए मौजूद है।

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