हाथरस दर्दनाक कहानी: सामने आई यूपी पुलिस की सच्चाई, हिल गया पूरा देश
उत्तर प्रदेश के हाथरस शहर में एक बेटी को दरिंदों ने जिस तरह से मौत के मुंह में ढकेल दिया, उसका गुस्सा पूरे देश में नजर आ रहा है। साथ ही इस मामले में यूपी पुलिस की भी तीखी आलोचना की जा रही है
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हाथरस शहर में एक बेटी को दरिंदों ने जिस तरह से मौत के मुंह में ढकेल दिया, उसका गुस्सा पूरे देश में नजर आ रहा है। साथ ही इस मामले में यूपी पुलिस की भी तीखी आलोचना की जा रही है। तड़प-तड़प कर उस पीड़िता की जान चली ही गई। ऐसे में उसका परिवार प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रहा है, जबकि पुलिस मामले में अपने अलग दावे ठोंक रही है।
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पुलिस ने कह दिया कि यहां से ले जाओ
ऐसे में हाथरस की पीड़िता के भाई ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने दीदी के लिए एंबुलेंस तक नहीं मंगाई थी, उसकी बहन जमीन पर पड़ी हुई थी। इस पर पुलिस ने कह दिया कि यहां से ले जाओ, ये बहाने बनाकर लेटी हुई है।
साथ ही पीड़िता के भाई ने ये भी आरोप लगाया कि इस मामले में हमें एफआईआर दर्ज कराने के लिए 8-10 दिन का इंतजार करना पड़ा। फिर दूसरी तरफ रिपोर्ट होने के बाद पुलिस एक आरोपी को पकड़ती थी और दूसरे को छोड़ देती थी। लेकिन जब धरना प्रदर्शन किया गया तो पुलिस ने कार्रवाई की और 10-12 दिन बाद आरोपियों को पकड़ा गया।
वहीं पीड़िता के भाई ने ये भी कहा कि 10-15 दिन तक दीदी की ब्लीडिंग नहीं रुकी, फिर 22 सितंबर के बाद उन्हें सही इलाज मिलना शुरू हुआ था। उससे पहले ठीक इलाज भी नहीं दिया गया, उन्हें सामान्य वार्ड में रखा गया।
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पुलिस झूठ बोल रही है
दरिंदों का शिकार हुई पीड़िता की मां ने बताया, ''जब मैंने अपनी बेटी को देखा तो उसके शरीर से खून बह रहा था। मैंने अपने दुपट्टे से उसे ढका। बेटी की जीभ कटी हुई थी। इस बारे में भी पुलिस झूठ बोल रही है कि जीभ नहीं काटी गई थी। बेटी ने अपने भाइयों के कानों में एक आरोपी का नाम लिया और वह बेहोश हो गई। हमने सोचा कि गांव के लड़के ने उसकी पिटाई की।
आपको बता दें कि हाथरस जिले के चंदपा थानाक्षेत्र में 14 सितंबर की सुबह 19 साल की लड़की के साथ गैंगरेप की इस घटना को अंजाम दिया। इस घटना के कई दिन बाद लड़की होश में आई थी। लेकिन 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान लड़की ने जिंदगी से हार मान लीं, और दम तोड़ दिया।
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दुष्कर्म का कोई भी तथ्य सामने नहीं
इस पूरी घटना में पुलिस की सबसे बड़ी और अलग थ्योरी तो यही है कि दुष्कर्म का कोई तथ्य सामने नहीं आया है। आईजी पीयूष मोडिया ने कहा है कि मेडिकल एग्जामिनेशन के दौरान दुष्कर्म का कोई भी तथ्य सामने नहीं आया।
वहीं दूसरी तरफ यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का कहना है कि 14 सितंबर को यह घटना घटी और लड़की के भाई ने जो तहरीर दी थी उसके आधार पर पहली एफआईआर दर्ज की गई। जिस संदीप कुमार का नाम एफआईआर में है उसे तुरंत गिरफ्तार किया गया।
लेकिन उस शिकायत में रेप का जिक्र नहीं था। हालांकि 22 तारीख को पहली बार लड़की ने सेक्सुअल असॉल्ट का जिक्र किया, उसके बाद इस मामले में गैंगरेप की धारा लगाई गई और सभी चार आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए।
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पीड़िता के घरवालों को झूठा करार
इस पर प्रशांत कुमार ने बताया कि जल्द से जल्द विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के बाद सजा भी दिलवाई जाएगी। यह दुखद घटना घटी है लेकिन जैसे-जैसे इस मामले में लड़की के आरोप आते गए हम लोगों ने वैसे वैसे कार्रवाई की है।
आगे एडीजी प्रशांत कुमार का कहना है कि पहले गला दबाकर मारने की कोशिश की एफआईआर थी, बाद में उसमें धारा 307 लगाई गई। सेक्सुअल असॉल्ट का मामला आया तो फिर गैंगरेप की धारा लगाई गई। उन्होंने बताया कि अब लड़की की दुखद मौत हो चुकी है तो अब चारों आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302 भी लग गई है।
वहीं प्रशांत कुमार ने पुलिस कार्रवाई पर उठ रहे सवालों पर सफाई देते हुए कहा कि इसमें पुलिस की तरफ से कोई लापरवाही नहीं है। वहीं, हाथरस पुलिस ने बाकायदा ट्वीट कर ये बताया कि पीड़िता की जीभ नहीं काटी गई थी, और पीड़िता के घरवालों को झूठा करार दिया है।
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