HC ने राज्य सरकार से पूछा- पुस्तकें बांटने में क्यों हो रही बार-बार देरी

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अगले अकादमिक सत्र के मद्देनजर बच्चों को बांटी जाने वाली मुफ्त किताबों के प्रकाशन के लिए टेंडर आमंत्रण की प्रक्रिया शुरू करने में कितना वक्त लगेगा। चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहेब भोंसले और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने यह आदेश सर्व सेवा ट्रस्ट की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर दिए।

Update: 2016-12-07 15:40 GMT

लखनऊ: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अगले अकादमिक सत्र के मद्देनजर बच्चों को बांटी जाने वाली मुफ्त किताबों के प्रकाशन के लिए टेंडर आमंत्रण की प्रक्रिया शुरू करने में कितना समय लगेगा। चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहेब भोंसले और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने यह आदेश सर्व सेवा ट्रस्ट की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर दिए।

याची की ओर से क्या कहा गया था ?

याची की ओर से कहा गया कि वर्तमान अकादमिक सत्र अप्रैल-2016 से ही शुरू हो चुका है, लेकिन अब तक बच्चों को किताबें बांटने का कार्य ही नहीं पूरा किया गया है। किताबें तमाम जनपदों के बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में पड़ी हुई हैं जिन्हें बच्चों के लिए वितरित करने में घोर लापरवाही बरती जा रही है।

कोर्ट ने क्या कहा ?

कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा को हलफनामा दाखिल कर यह बताने के निर्देश दिए कि अकादमिक सत्र 2016-17 के लिए पुस्तकें बांटने का कार्य कब तक पूरा हो जाएगा। इसके साथ कोर्ट ने इस बाबत भी बताने को कहा है कि अकादमिक सत्र 2017-18 के मद्देनजर पुस्तकों और कार्य पुस्तिकाओं के प्रकाशन के लिए टेंडर आमंत्रण की प्रक्रिया कब तक शुरू कर दी जाएगी। इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।

 

अगली स्लाइड में पढ़ें कोर्ट का आदेश- दस सिविल जूनियर इंजीनियरों को डीपीसी में शामिल करे सिंचाई विभाग

दस सिविल जूनियर इंजीनियरों को डीपीसी में शामिल करे सिंचाई विभाग

लखनऊ: हाई कोर्ट ने सिंचाई विभाग को दस सिविल जूनियर इंजीनियरेां का सिविल असिस्टेंट इंजीनियरेां के पद पर प्रमोशन के लिए चल रही डीपीसी में शामिल करने का आदेश दिया है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि इनका परिणाम बिना कोर्ट की अनुमति के नहीं घोषित किया जाएगा।

कोर्ट ने राज्य सरकार को चार हपते मे शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है और वही याची से अगले एक हपते में प्रतिउत्तर शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई पांच हपते बाद होगी।

यह आदेश जस्टिस प्रदीप कुमार सिंह बघेल की बेंच ने मुहम्मद शाहिद और अन्य नौ याची सिविल जुनियर इंजीनियरों की ओर से दाखिल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचियों ने डीपीसी में शमिल करने की मांग की थी।

क्या था याची के वकील का तर्क ?

याची के वकील श्रीप्रकाश सिंह का तर्क था कि याचियों ने राज्य लोक सेवा प्राधिकरण के सामने क्लेम पिटीशन दायर कर 29 जनवरी 2003 और 29 अक्टूबर 2003 में बनीं सीनियाॅरिटी लिस्ट में शामिल करने की मांग की थी और उनकी पिटीशन मंजूर हो गई थी लेकिन इसके बावजूद याचियों को डीपीसी में शामिल नहीं किया जा रहा है।

जबकि उक्त आदेश के खिलाफ कहीं अपील नहीं की गई और वह आदेश फाइनल हो गया है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया दसों याचियों का डीपीसी में शामिल होने का केस बनता है।

अगली स्लाइड में पढ़ें कोर्ट ने रिटायर्ड जजों के मेडिकल रिम्बर्समेंट की व्यवस्था पर जानकारी तलब की

HC- रिटायर्ड जजों के मेडिकल रिम्बर्समेंट की व्यवस्था पर जानकारी तलब

लखनऊ: हाईकोर्ट ने देश के विभिन्न हाई कोर्ट में रिटायर्ड जजों के मेडिकल रिम्बर्समेंट की व्यवस्था पर विस्तृत जानकारी एकत्रित कर कोर्ट को अवगत कराने के आदेश दिए हैं। चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहेब भोंसले और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीशों के एसोसिएशन के लेटर पिटीशन पर केंद्र सरकार और हाईकोर्ट के वकीलों को दिए।

साल 2012 में एसोसिएशन की ओर से इस विषय पर लिखे पत्र को कोर्ट ने लेटर पिटीशन के तौर पर स्वीकार करते हुए सुनवाई शुरू की थी। एसोसिएशन की ओर से दूसरे प्रदेशों में ट्रांसफर होकर गए जजों के मेडिकल रिम्बर्समेंट को व्यवस्थित किए जाने की मांग की गई है।

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और हाई कोर्ट के वकीलों ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिए जाने की मांग की। जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने मामले को अग्रिम सुनवाई के लिए जनवरी महीने में सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए।

इसके साथ ही कोर्ट ने वकीलों को निर्देश दिए कि इस दौरान विभिन्न हाई कोर्ट खास तौर पर हैदराबाद हाई कोर्ट, कर्नाटक हाई कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट से जानकारी एकत्रित की जाए कि वहां मेडिकल सुविधाओं के लिए क्या व्यवस्था लागू है।

कोर्ट ने इस बाबत भी जानकारी एकत्रित करने के निर्देश दिए कि क्या चीफ जस्टिस के कांफ्रेस में इस संदर्भ में कोई प्रस्ताव पारित किया गया है। यदि हां, तो क्या प्रस्ताव को लागू किया जा चुका है।

Tags:    

Similar News