विधानसभा सचिवालय: RO, ARO भर्ती में धांधली का आरोप, HC ने प्रमुख सचिव को दिया जांच का निर्देश
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी विधानसभा सचिवालय में आरओ और एआरओ के 107 पदों की भर्ती में घपले की जांच का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव, विधानसभा को जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एपी शाही तथा न्यायमूर्ति डीएस तिवारी की खण्डपीठ ने इलाहाबाद के दीपक कुमार राय व 18 अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता राजेश्वर सिन्हा व समीर श्रीवास्तव ने बहस की।
107 पदों के लिए लिया इंटरव्यू
याची का कहना है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय के निर्देश पर विधानसभा सचिवालय में 47 समीक्षा अधिकारी व 60 सहायक समीक्षा अधिकारियों यानि कुल 107 पदों को भरने का विज्ञापन निकाला गया था। 18 अक्टूबर 2016 को परिणाम घोषित हुआ। लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार लिया गया। एक दिन चार पैनलों ने 278 अभ्यर्थियों का इंटरव्यू लिया। इस तरह चार दिन में कुल 1,113 लोगों का इंटरव्यू लिया गया।
इस प्रकार चयन में हुई धांधली
याची का कहना है कि चयन के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष थी, जबकि सौरभ सिंह को 19 साल की उम्र में ही नियुक्त कर दिया गया। चयनित लोगों में कई विधानसभा अध्यक्ष के रिश्तेदार हैं। चयन परीक्षा की अंतिम सूची में जिनका नाम शामिल नहीं था, उन्हें भी नियुक्ति दे दी गई। 18 अक्टूबर 2016 को चयन परिणाम घोषित किया गया और 24 घंटे के भीतर कईयों की 19 अक्टूबर 2016 को ज्वाइनिंग करा दी गई। 20 अक्टूबर तक सभी की ज्वाइनिंग हो गई।
आरक्षण नियमों का भी पालन नहीं
याची का कहना है कि चयन में आरक्षण नियमों को भी लागू नहीं किया गया। सिद्धार्थनगर के 13 लोगों की नियुक्ति की गई है। याचिका में प्रमुख सचिव, विधायी व विधानसभा के अलावा 45 नियुक्त कर्मचारियों को भी पक्षकार बनाया गया था। याचिका निस्तारित हो गई है।