HC ने न्यायालयों की सुरक्षा व सुविधाओं की जानकारी न देने पर अफसरों को लगाई फटकार
कोर्ट ने कहा कि कार्य की कोई प्रगति नहीं है, सरकार केवल हलफनामा दाखिल कर रही है। हाई कोर्ट की सुरक्षा में सीसीटीवी कैमरे लगे है, किन्तु कार्य नहीं कर रहे।
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की सात जजों की बृहदपीठ ने कोर्ट की सुरक्षा व सुविधाओं से सम्बंधित अधिकारियां द्वारा जानकारी न दे पाने पर कड़ी फटकार लगाई है।
मुख्य न्यायधीश गोविन्द माथुर ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया और पूछे जाने पर अधिकारी कुछ भी बता पाने में असमर्थ है। काम न करने वाले अधिकारियों को घर बैठा देना चाहिए।
कोर्ट में सचिव मौजूद है उन्हें कुछ पता ही नहीं। जिन्हें पता है, वे सबकुछ सीक्रेट रखे है। कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से सभी सम्बन्धित अधिकारियां को बुलाकर जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया।
ये भी पढ़ें...फिर जोर पकड़ रही है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय पीठ की मांग
याचिका की सुनवाई 10 मई दोपहर बाद तक के लिए स्थगित कर दी। सुनवाई 10 मई को होगी। जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, न्यायमूर्ति एस. के. गुप्ता, न्यायमूर्ति वी.के. नारायण तथा न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर की बृहद पीठ कर रही है।
दोपहर बाद सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने कहा कि कार्य की कोई प्रगति नहीं है, सरकार केवल हलफनामा दाखिल कर रही है। हाई कोर्ट की सुरक्षा में सीसीटीवी कैमरे लगे है, किन्तु कार्य नहीं कर रहे। मानिटरिंग व मरम्मत की व्यवस्था नहीं है। कई कैमरे खराब पड़े है।
कोर्ट ने कहा कैमरे सजावटी पीस बनकर रह गए है। 2015 में शुरू हुआ काम 2019 में अभी तक पूरा नहीं हो सका। शुरू में डुप्लीकेट कैमरे लगाए गए अब बदले गये तो क्रियाशील ही नहीं है।
कोर्ट ने पूछा जवाबदेही तय हुई या नहीं तो कोर्ट में मौजूद राजकीय निर्माण निगम के अधिकारी समीर गुप्ता मैनेजर इलेक्ट्रिकल ने बताया कि विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है। चार्ज सीट सौंपी गयी है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के बारे में कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश के जेलों में 71 तकनीकी एक्सपर्ट के पद दिए गए है। कोर्ट ने जानना चाहा कि हाई कोर्ट व अन्य कोर्टो में तकनीकी विशेषज्ञ न देने से सिस्टम कैसे काम करेगा।
ये भी पढ़ें...इलाहाबाद उच्च न्यायालय: बिना सुनवाई सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस रद्द करना गलत
कोर्ट ने कहा 75 जिला अदालतों में से 64 में पावर फीडर दिया गया है और शेष11 में कहा कि 24 घण्टे बिजली दी जा रही है अलग फीडर की जरूरत नहीं है। जब कि हालत यह है कि दिन में कई बार प्रयागराज शहर की बिजली कटती है।
कोर्ट ने हाईकोर्ट की वाहन पार्किंग के बारे में पूछा तो मौजूद अधिकारियों को कुछ जानकारी नहीं थी। कोर्ट ने कहा बजट चर्चा हो गयी। बहुमंजिली पार्किंग व अधिवक्ताओं के चेम्बर बनने है। किसी को कोई खबर नहीं है। सड़के वाहनों से जाम है।
वकीलों को दूर वाहन खड़ा कर आना पड़ता है। कामर्शियल कोर्ट, एससी/एस टी विशेष अदालत ग्राम अदालत दुर्घटना दावा अधिकरण आदि के गठन पर कोई जानकारी नहीं है।
सरकार ड्राइवर तक देने में नाकाम है। जजों को स्टाफ देने पर सरकार निर्णय नहीं ले पा रही। चन्द लेटर लिखने के लिए स्टाफ की तुलना सैकड़ां पेज लिखने वाले जजों के स्टाफ से की जा रही है।
सरकार से 69 ड्राइवर मांगे तो 17 दिए। 52 की तुरन्त जरूरत है। पार्किंग प्लान दिया है, निर्णय नहीं हो पा रहा है। सरकार राजी है, बजट है, किन्तु अधिसूचना जारी नहीं हो पा रही है। कोर्ट ने सभी सवालों के जवाब 10 मई को देने को कहा है।
ये भी पढ़ें...इलाहाबाद उच्च न्यायालय: आचार संहिता में नियुक्त अध्यापक की ज्वाइनिंग पर रोक नहीं