हेरा फेरी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, पुलिस ने बरामद की ढाई करोड़ की गाड़ियां

पुलिस को आज उस वक्त एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई जब उसने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ कर दिया जो गाड़ियों की हेरा फेरी करता था। पुलिस को इस गिरोह के कब्जे से करोड़ों...

Update:2020-04-16 21:50 IST

बाराबंकी: जिले के पुलिस को आज उस वक्त एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई जब उसने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ कर दिया जो गाड़ियों की हेरा फेरी करता था। पुलिस को इस गिरोह के कब्जे से करोड़ों रुपये की दो गाड़ियाँ बरामद हुईं हैं। यह गिरोह एक नाम से कई गाड़ियों का फाइनेन्स करवा कर भोले भाले लोगों के हाथ कम कीमत में बेंच देते था। इस काम में उनका साथ बैंक और उनके सर्वेयर की भी मिलीभगत सामने आ रही है। पुलिस के राडार पर अब सर्वेयर या इससे जुड़े लोग भी आ गए हैं। इस बरामदगी को प्रदेश क्या देश की सबसे बड़ी बरामदगी मानी जा रही है।

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बाराबंकी पुलिस के पीछे खड़े ये लोग ऐसा काम करते थे जिस पर एक सामान्य व्यक्ति का ध्यान नही जा सकता था। यह एक बड़ा गिरोह है और यह गाड़ियों का फाइनेन्स करवाने का काम करवाता था। इनके यहाँ अगर एक ग्राहक आ गया तो उसके नाम से कई गाड़ियों का फाइनेन्स हो जाया करता था। इसका अर्थ था कि गाड़ी लेने वाले को या गाड़ी फाइनेन्स कराने वाले को पता ही नहीं होता था और गाड़ियां निकल जाया करती थीं। फाइनेन्स कराई गई इन गाड़ियों को कम कीमत पर भोले - भाले लोगों के हाथों बेंच दी जाती थी ।

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पुलिस अधीक्षक डॉक्टर अरविन्द चतुर्वेदी ने बताया कि इस तरह के केस की शुरुआत थाना मोहम्मदपुर खाला के इंस्पेक्टर मनोज कुमार शर्मा ने की थी और 77 गाड़ियाँ बरामद की थी। मनोज शर्मा के ही दिखाए रास्ते को पकड़ के जनपद के अन्य थानों को भी एलर्ट किया गया जिसके परिणाम स्वरूप एक बार फिर थाना मोहम्मदपुर खाला और थाना जैदपुर पुलिस ने 191 दो पहिया और 9 लक्जरी चार पहिया वाहनों को बरामद कर अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी को अन्जाम दिया है। इन गाड़ियों की कीमत की बात की जाए तो इनकी कीमत लगभग ढाई करोड़ से ज्यादा है।

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पुलिस अधीक्षक ने आगे कहा कि यह गिरोह गाड़ियों को फाइनेन्स करवाने का काम करता था और अगर एक ग्राहक इनके पास आता था तो उसी के कागजात पर कई गाड़ियों का फाइनेन्स हो जाया करता था और फायनेंस हुई इस गाड़ियों को बाराबंकी ही नही बल्कि अन्य जनपदों में भी लोगों को फंसा कर कम कीमत में बेंच दी जाती थी। खरीदने वाले को यह बताया जाता था कि इन गाड़ियों पर फाइनेन्स है और एक साल की ईएमआई अदा करने के बाद यह ट्रांसफर हो जाएगी। इस गिरोह के झाँसे में आकर लोग गाड़ियाँ ले लेते थे।

रिपोर्ट: सरफराज वारसी

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