Krishna Janmabhoomi Case: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद पर HC में सुनवाई, कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी जानकारी

Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच अयोध्या और ज्ञानवापी के बाद तीसरा बड़ा मामला है। कल यानी बुधवार 23 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले पर एकबार फिर सुनवाई हुई।

Update:2023-08-24 13:27 IST
Krishna Janmabhoomi and Shahi Idgaah Case Mathura, UP (Photo: Social Media)

Krishna Janambhoomi Case: मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच अयोध्या और ज्ञानवापी के बाद तीसरा बड़ा मामला है। यह मामला भी वर्षों से अदालत के चक्कर काट रहा है। कल यानी बुधवार 23 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले पर एकबार फिर सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय में विवादित परिसर को हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से जानकारी मांगी है।

मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने की। इस मामले की अगली सुनवाई अब 4 सितंबर को होगी। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में कहा गया कि एक समझौते के तहत कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि में से 11.37 एकड़ जन्मभूमि मंदिर और शेष 2.37 एकड़ जन्मभूमि शाही ईदगाह को सौंपे जाना गलत है। याचिकाकर्ता की ओर से विवादित परिसर का एएसआई से साइंटिफिक सर्वे कराने की मांग भी की गई है। सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल राज्य सरकार की ओर से पेश हुए।

बताते चलें कि इस मामले की पिछली सुनवाई सात अगस्त को हुई थी, तब कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में बेहतर कनेक्टिविटी न होने की वजह से 23 अगस्त तक के लिए सुनवाई को टाल दिया था। अदालत ने अगली सुनवाई में याचिकाकर्ता को स्वयं मौजूद रहने का आदेश भी दिया था।

याचिका में क्या की गई है मांग ?

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुप्रीम कोर्ट के वकील मयंक महेश्वरी की ओर से जनहित याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में शाही ईदगाह परिसर को हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता की मांग है कि मुकदमे का निपटारा होने तक विवादित परिसर में हिंदुओं को पूजा-अर्चना की इजाजत दी जाए। इसमें दावा किया गया है कि विवादित परिसर पहले मंदिर था, जिसे तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया गया था।

याचिकाकर्ता का दावा है कि जिस जगह फिलहाल शाही ईदगाह मस्जिद मौजूद है, वहां द्वापर युग में कंस ने भगवान श्रीकृष्ण के माता-पिता को कैद कर रखा था और वहीं पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। पेशे से वकील याचिकाकर्ता मयंक महेश्वरी की ओर से यह याचिका साल 2020 में दाखिल की गई थी। कोर्ट ने 19 जनवरी 2021 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के गैरहाजिर रहने पर इसे खारिज भी कर दिया था।

इसके बाद याचिकाकर्ता तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और प्रकाश पाडिया की बेंच के सामने उपस्थित होकर याचिका को रिस्टोर करने की गुहार लगाई थी। हाईकोर्ट ने मार्च 2022 में इस याचिका को रिस्टोर कर लिया था। तब से इस मामले पर सुनवाई जारी है।

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