बेहमई कांड: इस वजह से टली मामले की सुनवाई, अब 30 जनवरी का मिला है समय

बेहमई कांड की सुनवाई एक बार फिर टल गई है। चार दशक पुराने बेहमई कांड मामले में विशेष अदालत में सुनवाई अब 30 जनवरी को होगी। विशेष न्यायाधीश सुधीर कुमार की अदालत में इस मामले पर 18 जनवरी को फैसला आना था

Update: 2020-01-24 17:29 GMT

कानपुर : बेहमई कांड की सुनवाई एक बार फिर टल गई है। चार दशक पुराने बेहमई कांड मामले में विशेष अदालत में सुनवाई अब 30 जनवरी को होगी। विशेष न्यायाधीश सुधीर कुमार की अदालत में इस मामले पर 18 जनवरी को फैसला आना था लेकिन केस डायरी न उपलब्ध होने की वजह से मामले को आज 24 जनवरी के लिए निर्धारित किया गया था।कानपुर की विशेष अदालत में इस हत्याकांड की सुनवाई अब 30 जनवरी को होगी।

 

जस्टिस केस डायरी उपलब्ध न कराने पर अदालत के कर्मचारियों पर नाराजगी भी जतायी थी। सरकारी वकील राजू पोरवाल ने बताया कि चैम्बर मामले पर आज वकीलों की हड़ताल के कारण मामला 30 जनवरी तक के लिये स्थगित कर दिया गया।इस मामले में डकैत से नेता बनीं दिवंगत पूर्व सांसद फूलन देवी की कथित संलिप्तता थी।

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बेहमई कांड

14 फरवरी 1981 को सिकंदरा थाना क्षेत्र के बेहमई गांव में दस्यु सुंदरी फूलन देवी, राम औतार, मुस्तकीम और लल्लू गैंग से जुड़े लोगों ने धावा बोल दिया था। डकैतों ने लूटपाट के साथ ही 26 पुरुषों को गांव के बाहर कतारबद्ध खड़ा कर अधाधुंध फायरिंग की थी। जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। गांव के राजाराम सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने 23 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें 16 लोगों की मौत हो चुकी है।

 

 

 

फूलन के पिता की 40 बीघा जमीन पर चाचा मैयाराम ने कब्जा किया था। 11 साल की उम्र में फूलन ने चाचा से जमीन मांगी। इस पर चाचा ने फूलन पर डकैती का केस दर्ज करा दिया। फूलन को जेल हुई। वह जेल से छूटी तो डकैतों के संपर्क में आई। दूसरे गैंग के लोगों ने फूलन का गैंगरेप किया। इसका बदला लेने के लिए फूलन ने बेहमई हत्याकांड को अंजाम दिया। इसी वारदात के बाद फूलन बैंडिट क्वीन कहलाने लगी। हालांकि, जिस जमीन के लिए फूलन बैंडिट क्वीन बनी.. वह उसके परिवार को आज भी नहीं मिल सकी है।

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