जबरन शादी के लिए बालिग लड़की को निरुद्ध करने वाले पिता को HC का नोटिस
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिग लड़की की जबरन अपनी पसन्द के लड़के से शादी कराने के लिए निरुद्ध रखने के आरोप में दाखिल प्रेमी की बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पिता को नोटिस जारी की है।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिग लड़की की जबरन अपनी पसन्द के लड़के से शादी कराने के लिए निरुद्ध रखने के आरोप में दाखिल प्रेमी की बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पिता को नोटिस जारी की है। कोर्ट ने निरुद्ध याची कुशीनगर की प्रियंका वर्मा को 28 नवम्बर को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।
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कोर्ट ने प्रेमी रोहन कुमार सोनी को एक हफ्ते में महानिबंधक के समक्ष 50 हजार रूपये जमा करने का आदेश दिया है और कहा है कि यदि रूपये जमा नहीं होते तो यह आदेश स्वतः समाप्त माना जायेगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजुल भार्गव ने प्रियंका वर्मा व अन्य की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता का कहना है कि याचीगण एक कालेज में पढ़ते थे। दोनों प्रेम करते है और बालिग है। शादी करना चाहते है किंतु लड़की के परिवार वाले विरोध कर रहे है और लड़की की जबरन दूसरे लड़के से शादी कराने के लिए उसे बंधक बना रखा है।
यह बात लड़की ने फोन पर बताई है। याचिका में पिता राजकुमार वर्मा व भाई पर जबरन अपनी मर्जी थोपने का आरोप लगाया गया है। कोर्ट ने सीजेएम कुशीनगर के मार्फत लड़की के पिता व भाई को नोटिस तामील कराने का आदेश दिया है। याचिका की सुनवाई 28 नवम्बर को होगी।
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पीएसी जवान की गिरफ्तारी पर रोक
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मऊ निवासी पीएसी जवान संजय यादव की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और विवेचना में सहयोग करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याची पर धोखाधड़ी व कूटरचना कर फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर 2015 में नियुक्ति पाने का आरोप है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा ने संजय यादव की जमानत अर्जी पर दिया है। अर्जी पर अधिवक्ता निर्विकल्प पांडेय ने बहस की। इनका कहना है कि गांव की अदावत के चलते उसके खिलाफ झूठी शिकायत की गयी है।
फर्जी फंसाया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाबी हलफनामे में यह बताने को कहा है कि क्या याची विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा है। यदि नहीं तो किस तरह का असहयोग है। विवेचना की स्थिति क्या है और पूछताछ के लिए पुलिस अभिरक्षा में लिये जाना जरूरी है। अर्जी की सुनवाई 25 नवम्बर को होगी।
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गन्ना पर्यवेक्षकों की भर्ती मे याची को भी सुनकर निर्णय लेने का निर्देश
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उ.प्र. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लखनऊ को गन्ना पर्यवेक्षकों की 2016 की भर्ती में सभी विज्ञापित पदों को न भर कर कुछ पद खाली रखने के खिलाफ याची की आपत्ति को सुनकर 3 माह में सकारण आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने ललितपुर के नीरज कुमार जैन व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची का कहना है कि आयोग ने गन्ना पर्यवेक्षक के 874 पदों की भर्ती का 2016 में विज्ञापन निकाला।
आनलाइन आवेदन मांगे गए। किन्तु 782 पदों का ही परिणाम घोषित किया गया। 49 को सशर्त सफल घोषित किया गया और 31अभ्यर्थियों का परिणाम अपर्याप्त दस्तावेज के कारण रोक लिया गया। याचियों ने कट आफ मार्क पास किया है फिर भी उन्हें सफल घोषित नहीं किया गया। बचे 31 अभ्यर्थियों में से 22 का परिणाम बाद में घोषित कर दिया गया।
आरटीआई से पूछने पर पता चला कि 829 पहले व 22 बाद में कुल 851 अभ्यर्थियों को चयनित किया गया है। जबकि 874 पदों को विज्ञापित किया गया था। 23 पदों को अभी भी नहीं भरा गया है।
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चिन्मयानंद मामला-पीड़िता की जमानत याचिका पर सुनवाई टली
अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वामी चिन्मयानंद को ब्लैकमेल करने की आरोपी दुराचार पीड़िता की जमानत अर्जी पर राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा मांगा है। जमानत अर्जी की अगली सुनवाई कोर्ट 29 नवंबर को करेगी। चिन्मयानंद की तरफ से जवाब दाखिल किया गया।
कोर्ट को बताया गया कि मामले की जांच कर रही एसआईटी अधीनस्थ कार्यालय में चार्जशीट दाखिल करने जा रही है। न्यायमूर्ति मंजू रानी चैहान की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई में पीड़िता के वकील का कहना था कि जांच एजेंसी शासन के दबाव में सही जांच नहीं कर रही है। पीड़िता की दिल्ली में की गयी शिकायत दर्ज नहीं की गई है।
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जौनपुर में चारागाह भूमि पर बने स्कूल को हटाने का निर्देश
कोर्ट ने कहा गांव सभा को सार्वजनिक भूमि का पट्टा देने का हक नहीं, निर्माण अवैध
भूमिधरी भूमि की ही हो सकती है अदला-बदली
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर, शाहगंज के गोल्हागौर गांव की चारागाह व पेड़ लगाने के लिए संरक्षित भूमि को स्कूल को देने को अवैध माना है। बाबा सुख्खू माँ प्रभुदेवी इंटर कालेज की बेदखली के खिलाफ तहसीलदार के आदेश की चुनौती याचिका पर कोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। साथ ही बेदखली आदेश को चार हफ्ते में अमल में लाने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने दिया है। याचिका पर अधिवक्ता ए.के. यादव ने प्रतिवाद किया। मालूम हो कि 16 अगस्त 1996 को गांवसभा ने दो प्लाटों का स्कूल बनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया।
दोनों भूमि चारागाह व वृक्षारोपण के लिए गांव सभा के पक्ष में संरक्षित थी। एसडीएम ने प्रस्ताव का अनुमोदन नहीं किया। स्कूल ग्राम प्रधान का ही है। स्कूल में 600 बच्चे पढ़ रहे है। तहसीलदार ने 16 अप्रैल 18 को स्कूल की भूमि से कब्जा हटाने का आदेश दिया जिसे चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने कहा सार्वजनिक भूमि को प्राइवेट स्कूल को देने का ग्राम सभा को अधिकार नहीं है।
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ग्रामप्रधान बहादुर यादव की भूमि हड़पने की कार्यवाही दुर्भावनापूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि गांव सभा अपनी भूमि किसी को दान में नही दे सकती। केवल कृषि भूमि का पट्टा कर सकती है। इसलिए स्कूल अनाधिकृत है। जमीन की अदला बदली का अधिकार राज्य सरकार को है।
एसडीओ ने याची के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। वैसे भी याची के पास बदले में देने के लिए पर्याप्त भूमिधरी भूमि नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में भी राहत देने से इनकार कर दिया और सार्वजनिक भूमि पर बने स्कूल को हटाने के आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया है।