प्राइवेट स्कूल-कालेजों के खिलाफ भी दाखिल हो सकती है याचिका: हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कक्षा 6 से परास्नातक तक की शिक्षा देने वाले प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को उनके कार्य की प्रकृति के चलते अनुच्छेद 226 की न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्तियों के अधीन माना है और कहा है कि अनुच्छेद 12 के अन्तर्गत राज्य न होने के बावजूद प्राइवेट स्कूल कालेजों के खिलाफ भी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हो सकती है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कक्षा 6 से परास्नातक तक की शिक्षा देने वाले प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को उनके कार्य की प्रकृति के चलते अनुच्छेद 226 की न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्तियों के अधीन माना है और कहा है कि अनुच्छेद 12 के अन्तर्गत राज्य न होने के बावजूद प्राइवेट स्कूल कालेजों के खिलाफ भी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हो सकती है।
कोर्ट ने कहा है कि क्योंकि शिक्षा देने का राज्य का वैधानिक दायित्व है और प्राइवेट स्कूल कालेज राज्य के लोकहित के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं इसलिए उनके खिलाफ याचिका पोषणीय है।
यह फैसला तीन सदस्यीय पूर्णपीठ मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर, न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने संदर्भित वैधानिक बिन्दु तय करते हुए दिया है। अभी तक प्राइवेट स्कूल कालेजों के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं मानी जाती थी, पूर्णपीठ ने इस कानून को पलट दिया है।
पूर्णपीठ ने सेंट फ्रांसिस स्कूल से जुड़े रॉयचन अब्राहम की याचिका पर दिया है और प्रकरण खण्डपीठ को तय करने के लिए वापस भेज दिया है। कोर्ट के इस फैसले से प्राइवेट कान्वेंट स्कूल कालेजों की मनमानी पर अंकुश लगेगा और शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार होगा।
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