CAA प्रदर्शन पर हाईकोर्ट ने दिया ये बड़ा आदेश, जानिए पूरा मामला

नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में हाईकोर्ट ने बिजनौर प्रशासन को झटका दिया है। बिजनौर एडीएम की तरफ से प्रदर्शनकारियों को जारी रिकवरी नोटिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।

Update: 2020-03-08 11:33 GMT

लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में हाईकोर्ट ने बिजनौर प्रशासन को झटका दिया है। बिजनौर एडीएम की तरफ से प्रदर्शनकारियों को जारी रिकवरी नोटिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। एडीएम ने बीती 24 फरवरी को यह नोटिस जारी किया था।

हाईकोर्ट ने जावेद आफताब और तीन अन्य दायर याचिकाओं पर रविवार को सुनवाई की। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस दीपक वर्मा की खंडपीठ ने यह निर्देश जारी किया। कोर्ट ने याचिका पर प्रदेश की सरकार से जवाब भी मांगा है।

इससे पहले मोहम्मद फैजान के मामले में भी कोर्ट ने स्टे लगा दिया था। फैजान मामले के आधार पर ही हाईकोर्ट ने इस मामले में भी रिकवरी नोटिस पर रोक लगाई है। कोर्ट का कहना है कि मामले पर अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।

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प्रदेश सरकार का प्रदर्शनकारियों पर सख्त रुख

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल लोगों के साथ प्रदेश सरकार ने सख्त रुख अपना रखा है। इस मद्देनजर लखनऊ में जिला प्रशासन ने तोड़फोड़ के दोषियों के नाम, फोटो और पते के साथ बड़े-बड़े होर्डिंग शहर के चौराहों पर लगवाए हैं। होर्डिंग के मुताबिक आरोप सिद्ध होने के बाद निर्धारित तिथि तक अगर दोषी पाए गए लोगों ने जुर्माना नहीं जमा किया तो उनकी संपत्ति कुर्क की जाएगी।

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इन सभी पर हिंसा फैलाने का आरोप है और इनके खिलाफ 1 करोड़ 55 लाख 62 हज़ार 537 रुपये की रिकवरी का आदेश जारी किया जा चुका है। कोर्ट ने प्रशासन से यह पूछा है यह कार्रवाई किस आधार पर की गई है।

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इससे पहले प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उपद्रवियों के पोस्टर लगाए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को तलब किया है और पूछा कि किस नियम के तहत फोटो लगाए गए। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है।

 

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