आनंद कानन और महाश्मशान दोनों है काशी में
गंगा किनारे बसे भारत के किसी प्राचनी और अध्यात्मिक नगरों का जिक्र करते हैं तो काशी यानी वाराणसी या बनारस का ख्याल बरबस ही किसी चलचित्र की भांति मानस टल पर उभर आता है।
दुर्गेश, पार्थ सारथी
गंगा किनारे बसे भारत के किसी प्राचनी और अध्यात्मिक नगरों का जिक्र करते हैं तो काशी यानी वाराणसी या बनारस का ख्याल बरबस ही किसी चलचित्र की भांति मानस टल पर उभर आता है। यहां के एक से बढ़ कर एक हिंदू एवं हिंदू धर्म संस्कृति से जुड़े कई पौराणिक तथ्य, प्राचीन मंदिर, शिक्षा एवं संस्कृति के केंद्र, संकरी गलियां, गंगा के घाट, गंगा की आरती, मंदिरों में गूंजते वैदिक मंत्रोच्चार एवं घंटे की आवाज और मस्जिदों में उठते अजान के समवेत स्वरों के गुंजन से काशी वासियों की सुबह देखने योग्य होती है।
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वरुणा और अस्सी नदियों के बीच गंगा किनारे बसा यह नगर पूर्वी उत्तर प्रदेश का अत्यन्त धार्मिक एवं पुरातन नगर है। यह नगरी अपने उद्भव काल से ही धर्म-कर्म, आस्था-विश्वास, शिक्षा, ज्ञान और विज्ञान का केंद्र रही है। काशी में जहां एक तरफ आनंदकानन है तो दूसरी तरफ महाश्मशान। धरती पर स्वर्ग का दर्जा पाये इस पावन-पुनीत नगर की महत्ता का बखान रामायण और महाभारत सहित अन्य धर्म ग्रंथों में किया गया है। ऐतिहासिक साक्ष्य भी स्पष्ट करते हैं कि गांगा एवं वरुणा के संगम पर बसी काशी नगरी में गाहडवाल नरेशों ने आदि केशव का मंदिर बनवाया था।
ऐसा माना जाता है कि वाराणसी के मध्य छ-
हजार से अधिक हिंदू मंदिर एवं मठ हैं। अद्वितीय धरोहर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख्य सातवां ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ के नाम से विश्व विख्यात है। दशाश्मेघ घाट के पास एक संकरी गली में स्थित इस ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि यह तपस्या में लीन भगवान शिव का स्वरू है। जबकि कुछ लोग बताते हैं कि इसकी स्थापना भगवान शिव के कर्ण से गिरी मणि से हुई थी। इसी मंदिर के ऊपर शेर-ए-जाब महाराजा रणजीत सिंह ने सोना मढ़वाया था, जो आज भी विद्यमान है।
अंन्न पूर्णा मंदिर-
काशी विश्वाना मंदिर के पास ही इसी गली में स्थित माता अन्न पूर्णा का भव्य एवं प्राचीन मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के दर्शनों के श्चात माता अन्न पूर्णा का दर्शन अनिवार्य है अन्यथा काशी की यात्रा अधूरी मानी जाती है। बाबा विश्वनाथ मंदिर के बगल में ज्ञानवापी मस्जिद भी है। इसके संबंध में कहा जाता है कि औरंगजेब ने काशीविश्वानाथ मंदिर को तोड़वाकर इसका निर्माण कराया था।
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दुर्गा कुंड और संकटमोचन मंदिर-
अठारहवी शताब्दी में निर्मित लाल रंग की आभा लिए संकट मोचन मंदिर भारतीय वास्तुकला का नूठा नमूना है। दुर्गा कुंड से लंका जाने वाले मार्ग पर सुंदर उपवन के बीच संकट मोचन मंदिर है। जहां हनुमान और श्रीराम की अद्भुत मूर्ति स्थापित है।
तुलसी मानस मंदिर-
दुर्गा कुंड के पास ही स्थित है तुलसी मानस मंदिर। सफेद संगमरमर से बने इस मंदिर की दीवारों पर राम चरित मानस की चौपाइयों को उकेरा गया है। इस मंदिर की छटा देखने लायक होती है।
भारतमाता मंदिर-
काशी विद्यापीठ मार्ग पर यह देश का संभवत: एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसमें किसी देव प्रतिमा के स्थान पर सफेद संगमरमर को काट कर हिन्दुस्तान के मानचित्र को स्थापित किया गया है। इसमें पर्वतों की ऊंचाई और सागर की गहराई बड़ी सुगमता से मापी जा सकती है। इस अतुलनीय मंदिर का निर्माण देश भक्त बाबू शिवप्रसाद गुप्त ने करवाया था।
नया विश्वनाथ मंदिर-
काशी हिंदू विश्वविद्यालय रिसर में स्थित है नया विश्वनाथ मंदिर। इस मंदिर को विशेश्वर नाथ मंदिर भी कहते हैं। इस मंदिर का निर्माण बिरला परिवार ने करवाया था। यह अद्वितीय मंदिर विशेष रूप से दर्शनीय है। इन मंदिरों के अलावा साक्षि विनायक मंदिर, काल भैरव, बटूक भैरव, विशलाक्षी मंदिर आदि भी दर्शनीय हैं। मठों के क्रम में लहरतारा स्थित संत कबीर दास और रविदास का मंदिर और मठ दर्शनीय हैं।
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जीवन की तल्ख सच्चाई भी दिखती है वाराणसी में-
वारणसी का बखान करें और यहां के घाटों का जीक्र न करते तो काशी की कथा अधूरी रह जाएगी। भगवन शिव की इस प्रीय नगरी को अपनी गोद में लिए पतित पावनी गंगा यहा पर अर्द्धचंद्राकार रूप लिए बहती हैं। इन्हीं अर्द्धचंद्राकार किनरों पर स्थित हैं वाराणसी के मनभावन घाट जो वाराणसी की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। इन्हीं घाटों पर एक तरफ जहां गंगा की आती होती है, नवजात शिशु के पैदा होने पर उसका उत्सव मनाया जाता एवं मुंडन संस्कार संपन्न किया जाता, वहीं दूसरी तरफ मानव जीवन की तल्ख सच्चाई को रेखांकित करती मृत्यु का महाशोक भी दिखाई देता है। शायद इसीलिए कहा गया है ‘महाश्मशान में महाकाल का वास होता है’। इसीलिए राम नाम सत्य भी कहा जाता है। यहां के प्रमुख घाटों में दशासुमेध घाट, गाय घाट, हरिश्चन्द्र घाट, मणिकर्णिकाघाट आदि प्रमुख हैं। मणिकर्णिका घाट विश्व का सबसे बड़ा शवदाह गृह भी है।
राम नगर-
गंगा के उस पार स्थित रामनगर यानि काशी नरेश का किला, मंदिर और यहां की रामलीला देखने योग्य है।