Holi 2022: खेली गई 'चिता भस्म' की होली, काशी के मणिकर्णिका घाट पर 'हर हर महादेव' लगे नारे

Holi 2022 Varanasi: रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन, महाश्मसान मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म की होली खेली गई। जिसमें शरीक होने दूर-दूर से लोग आए।

Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-03-15 18:50 IST

मसाने की होली (फोटो-न्यूजट्रैक)

Varanasi: हर कण शिवशंकर, अलौकिक, अविमुक्त और भगवान शिव(Shiv Nagari) की नगरी 'काशी'(Kashi) की होली के क्या कहने! ऐसा नज़ारा, ऐसी भव्यता, ऐसा समां, जिसे देख किसी का भी दिल ख़ुश हो जाए।


बता दें कि रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन, महाश्मसान मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म (Chita Bhasma) की होली खेली गई। जिसमें शरीक होने दूर-दूर से लोग आए। शिव के वंदन से पूरा मणिकर्णिका घाट गूंज उठा। हर व्यक्ति शिव की महिमा में ख़ुद को डूबा हुआ महसूस कर रहा था। मानो उसे भगवान स्वयं मिल गए हों।

क्या है मसाने की होली का इतिहास?


कहा जाता हैं कि रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन, बाबा दोपहर में मध्याह्न स्नान करने 'मणिकर्णिका तीर्थ' जाते हैं। इनके स्नान के बाद सभी तीर्थ स्नान करके, यहां से पुण्य लेकर अपने स्थान जाते हैं। वहां स्नान करने वालों को वह पुण्य बांटते हैं। अंत में बाबा के स्नान के बाद, वह अपने प्रियगणों के साथ 'मणिकर्णिका महामसान' पर आकर चिता भस्म से होली खेलते हैं। वर्षों की यह परम्परा अनादि काल से यहां भव्य रूप से मनायी जाती रही है।


भक्तों के उत्साह में दिखा ज़बरदस्त 'शिव भक्ति'

इस बार भक्तजन दुनिया की दुर्लभ 'चिता भस्म' से खेली जाने वाली होली देखने दूर-दूर से आए। जब समय आया बाबा के मध्याह्न स्नान का, उस समय मणिकर्णिका तीर्थ पर तो भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है।


विदित हो कि इस परम्परा को पुनर्जीवित करने का काम किया; बाबा महाश्मसान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने। जिन्होंने पिछले 21 वर्षों से इस परम्परा को भव्य रूप देकर दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया।

मसाने की होली में कौन हो सकता है शामिल?


गुलशन कपूर ने इस कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि "काशी में यह मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना (विदाई) कराकर अपने धाम काशी लाते हैं।


जिसे उत्सव के रूप में काशीवाशी मनाते हैं। और, इसी दिन से रंगों के त्योहार 'होली' का प्रारम्‍भ माना जाता है। इस उत्सव में देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, मनुष्य सभी शामिल होते हैं। लेकिन, इस मौके पर बाबा ने स्वयं अपने प्रियगण भूत, प्रेत, पिशाच, दृश्य, अदृश्य शक्तियों को आने से रोक रखा है।"

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