कुत्तों के काटने से बच्चे की मौत पर मानवाधिकार आयोग सख्त, कहा- नगर आयुक्त खुद करें जांच, सौपें रिपोर्ट

lucknow news : बुधवार की देर शाम, राजधानी के ठाकुरगंज क्षेत्र में कुत्तों के काटने से एक छः वर्षीय बच्चे की मौत हो गई थी। जबकि, उसकी चार वर्षीय बहन की हालत गंभीर है।

Written By :  Shashwat Mishra
Published By :  aman
Update:2022-04-07 17:53 IST

लखनऊ में कुत्तों के काटने से बच्चे की मौत

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) के ठाकुरगंज में कुत्तों के काटने से हुई मासूम की मौत का मानवाधिकार आयोग (Human rights commission) ने स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने प्रकरण को अति गंभीर करार देते हुए नगर आयुक्त को स्वयं जांच कर, एक हफ्ते में रिपोर्ट देने के आदेश दिए।

गौरतलब है, कि बुधवार की देर शाम, राजधानी के ठाकुरगंज क्षेत्र में कुत्तों के काटने से एक छः वर्षीय बच्चे की मौत हो गई थी। जबकि, उसकी चार वर्षीय बहन की हालत गंभीर है।

कोर्ट ने भी जताई थी नाराजगी

ठाकुरगंज के मुसाहिब गंज में बुधवार शाम आदमखोर कुत्तों ने छह वर्षीय रजा और चार साल की उसकी बहन जन्नत फातिमा पर हमला बोल दिया था। कुत्तों ने दोनों बहनों को नोचकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। जिसके बाद दोनों मासूमों को ट्रामा सेंटर लेकर पहुंचे। वहां रजा को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जबकि, जन्नत फातिमा की हालत गंभीर बताई जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है, कि लंबे समय से यहां कुत्तों का आतंक है। नगर निगम में कई बार शिकायत की गई, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। कुछ साल पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्ड पीठ ने एक याचिका पर आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर नाराजगी जताई थी।

दो साल पहले भी मामला आया था प्रकाश में  

बता दें, कि आयोग के अध्यक्ष द्वारा जारी आदेश में साफ तौर पर इसे मानवाधिकार का हनन बताया गया है। आदेश में ज़ाहिर है कि उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने लगभग 2 साल पहले जनेश्वर मिश्रा पार्क में आवारा कुत्तों के द्वारा, वहां लोगों के टहलने जाने पर काटे जाने की घटना पर नगर निगम को इस प्रकार की घटनाओं पर रोकथाम एवं कार्यवाही करने हेतु आदेश दिया गया था। लेकिन, अभी तक उस पर संज्ञान न लिए जाने पर ऐसी घटना हुई। प्रकरण अति आवश्यक एवं अत्यंत गंभीर है।

नगर आयुक्त खुद करें जांच

आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बाल कृष्ण नारायण ने आदेश दिया, कि प्रकरण के सम्बन्ध में नगर निगम लखनऊ के नगर आयुक्त को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रकरण की स्वयं अपने स्तर से जांच करें। और अपनी आख्या आयोग के समक्ष एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

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