Bulandshahar News: दो मजदूरों को भेजा 13 करोड़ का रिकवरी नोटिस, इनकम टैक्स विभाग का कारनामा
Bulandshahar News: बुलंदशहर में आयकर विभाग द्वारा 2 मजदूरों को 13 करोड़ रुपए का रिकवरी नोटिस भेजने का मामला प्रकाश में आया है।
Bulandshahar News: यूपी के बुलंदशहर में आयकर विभाग द्वारा 2 मजदूरों को 13 करोड़ रुपए का रिकवरी नोटिस भेजने का मामला प्रकाश में आया है। बताया जाता है कि मजदूरों के नाम पर किसी शातिर ने फर्जी फर्म बनाकर फर्जी खाते खोले। दक्षिण अफ्रीका में करोड़ों का एक्सपोर्ट का कारोबार किया गया। जिसके बाद 2018 -2019 में दाखिल आयकर रिटर्न के आधार पर एक मजदूर को करीब 8 करोड़ और दूसरे मजदूर को 5 करोड़ जमा कराने को नोटिस भेजा गया है। हालांकि इस मामले में बुलंदशहर के एसएसपी श्लोक कुमार ने सीओ सिकंदराबाद को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए है।
फर्जी फर्म खोल करोड़ों का माल हुआ एक्सपोर्ट!
जनपद बुलंदशहर के गुलावठी थाना क्षेत्र के गांव बराल निवासी अंकुर कुमार पुत्र मांगी सिंह और गांव के ही गणेश शिक्षित बेरोजगार हैं। वर्ष 2019 में गांव ही निवासी एक युवक ने उसकी मुलाकात अपने जीजा, यानी गांव के ही रिश्ते के दामाद से कराई थी। इसके बाद उसके जीजा ने नौकरी दिलाने के नाम पर अंकुर और गणेश को एक अन्य युवक से मिलवाया। जिसके बाद नौकरी के लिए दोनों से उनके शैक्षिक प्रमाणपत्र आदि जमा करा लिए गए थे। उस वक़्त उनके मूल दस्तावेज 2 दिन बाद लौटा दिए गए थे, लेकिन फोटो कॉपी को सेल्फ अटेस्ट कराकर रख लिया गया था। उन युवकों को नौकरी तो नहीं मिली। जिसके बाद वो गांव में ही बेलदारी कर परिवार का भरण पोषण करने लगे।
5 साल बाद जब गत दिवस दोनों को रजिस्टर्ड पोस्ट से आयकर विभाग द्वारा जारी किया गया नोटिस मिला, तो उनके होश उड़ गए। अंकुर पर 8.06 करोड़ रुपए और गणेश पर लगभग 5 करोड़ का रिकवरी नोटिस था, जिसे देख अंकुर और गणेश चकरा गए, कुछ समझ नहीं आया तो वो भागे-भागे पुलिस के पास पहुंचे। बुलंदशहर के एसएसपी श्लोक कुमार ने बताया कि दो मजदूरों को आयकर विभाग से लगभग ₹13 करोड़ की रिकवरी का नोटिस मिला है। मामले को लेकर सीओ सिकंदराबाद को जांच कर रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं।
जानिए, क्या कहते हैं IT के जानकर
आयकर विभाग के एक अधिकारी की माने तो अधिकांश कार्य ऑनलाइन हो रहा है। दस्तावेजों को अपलोड कर फर्म खोलने के लिए आवेदन करना और बैंक में खाता खोलने के लिए आवेदन करना आसान है। संबंधित विभागीय अधिकारी द्वारा आवेदन पर सत्यापन की रिपोर्ट लगाई जाती है, अधिकारी की सत्यापन रिपोर्ट के बाद ही फर्म पंजीकृत हो सकती है, या बैंक में खाता खुल सकता है। ऐसे में शातिर द्वारा विभागीय अधिकारी, बैंक कर्मचारी से सांठगांठ किए जाने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। पूर्व में भी इनकम टैक्स चोरी के कई बड़े मामले इस तरह के प्रकाश में आ चुके हैं।