इंडिपेंडेंस डे स्‍पेशल: इसी मंदिर के गुंबद में छिपते थे भगत सिंह, यहां होती थी गुप्‍त मीटिंग

Update:2018-08-14 19:26 IST

सहारनपुर: फुलवारी आश्रम आजादी के मतवालों की शरणगाह व नमक आंदोलन का गवाह बना था। आज भी आश्रम में उन दिनों की स्मृतियां जिंदा हैं। 1913 के लगे वृक्ष व मंदिर परिसर में हर रोज लगने वाला अखाड़ा आजादी के दीवानों की यादें ताजा करता है। इसी आश्रम के मंदिर के गुंबद में शहीदे आजम भगत सिंह ने कई रातें गुजारी हैं। लालता प्रसाद अख्तर ने 1919 में गोरक्षा व सामाजिक सुधार की शपथ लेकर हिंदू कुमार सभा की स्थापना की थी। इसी बीच उन्होंने फुलवारी आश्रम में अपने साथियों के साथ रक्षा बंधन पर एक मेला भी शुरू कर दिया। जिसे वीर-पूजा नाम रखा गया। इन दिनों यहां पर असहयोग आंदोलन अपने चरम पर था। 1921 तक सहारनपुर के आजादी के दीवानों में वैध रतन लाल चातक, बाबू मेलाराम, बाबू झुम्मनलाल आदि भी शामिल हो चुके थे।

नमक आंदोलन के जलसे का बना गवाह

18 अप्रैल 1930 में अजित प्रसाद जैन की अगुवाई में शानदार जलसा हुआ। यहीं से नमक आंदोलन की नींव सहारनपुर में पड़ गई थी। 6 अप्रैल 1930 के बाद डांडी में जब गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा तो इसकी आग सहारनपुर तक आ पहुंची। 24 अप्रैल को ललता प्रसाद अख्तर व कांग्रेस के सदर मौलवी मंजूरुल नबी को 5 व 6 अप्रैल को नौजवान सभा के जलसे करने के आरोप में को फिरंगियों ने गिरफ्तार कर लिया गया। 26 अप्रैल को नमक कानून तोड़ने का आंदोलन विधिवत शुरू हो चुका था।

शहर के हर नौजवान के भीतर खून खौल रहा था। गुरुकुल कांगड़ी से आया जत्थे ने कांग्रेस के दफ्तर से जुलूस निकाला तो उसका हर गली व बाजार में फल, मिठाई, इलायची से जोरदार स्वागत किया गया। 875 रुपये यहां चंदे में एकत्र हुए। उस समय इस जुलूस में करीब 10 हजार लोग शामिल हुए थे। इस जुलूस ने फिरंगियों को पसीना ला दिया। यह जुलूस फुलवारी आश्रम में पहुंचा और नमक कानून तोड़ने व विदेशी कपड़ा छोड़ने की शपथ ली। सभी लोगों की उपस्थिति में दो घंटे में नमक तैयार किया गया। उसकी पुड़िया बनाकर नीलाम की गई। जिससे 96 रुपये प्राप्त हुए।

नमक कानून से घबराई थी अंग्रेजी हुकूमत

उन दिनों श्यामसुंदर लाल गाजियाबाद से लोहानी मिट्टी लाए। इन दिनों क्रांतिकारियों में एक ही नारा गूंजता था कि’नमक कानून तोड़ दिया, ब्रिटिश का माथा फोड़ दिया’। फिर से 27 अप्रैल को एक जत्था वैद्य रतन लाल चातक के नेतृत्व में फिर से शहर में जुलूस हरसरन दास, नखासा, पीपलतला, शहीदगंज, जामा मस्जिद, मोरगंज होते हुए फुलवारी आश्रम पहुंचा। फिर से नमक बनाया गया और उसकी पुडिया बेची गई। 28 अप्रैल को कामरेड शंभू दयाल के नेतृत्व में एक और जुलूस शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए फुलवारी आश्रम पहुंचा और नमक तैयार किया गया।

कांग्रेस कार्यालय से मिट्टी लेकर अपने-अपने घरों पर नमक बनाने का ऐलान किया गया। आक्रोशित मतवालों ने विदेशी कपड़ों की होली भी जलाई। 30 अप्रैल को बाजार की दुकानों में विदेशी कपड़ों की गांठों पर कांग्रेस की मोहर लगाई गई। 13 मई को गांधी जी की गिरफ्तारी के बाद सहारनपुर से 10 लोगों पर पांच मुकदमे हुए।

इस बीच सहारनपुर में शहीदे आजम भगत सिंह दो बार सहारनपुर आए। फुलवारी आश्रम में श्रीकृष्ण के मंदिर के ऊपर बनी गुफा में उन्हें छुपा दिया गया था। यहां पर उन्होंने कई बार गुप्त मी¨टग की थी। यह पांवधोई के किनारे बसा फुलवारी आश्रम आज शासन व प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो गया है।

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