शहर में सट्टा कारोबार: चंगुल में फंस रहे मासूम, रिक्शा ठेला चलाने वाले और मजदूर

शहर में सट्टे का कारोबार चरम सीमा पर है। सट्टे से सबसे ज्यादा प्रभावित ठेला रिक्शा चलाने वाले और बेहद गरीब लोग बर्बाद हो रहे हैं। पिछले लंबे समय से पुलिस की मिलीभगत से सट्टा किंग बेदी उर्फ वेदव्यास शहर से सट्टे का कारोबार कर करोड़ों रूपये की सम्पत्ति भी बना चुका है।

Update:2021-02-04 17:24 IST
शहर में सट्टा कारोबार: चंगुल में फंस रहे मासूम, रिक्शा ठेला चलाने वाले और मजदूर

शाहजहांपुर: पुलिस की नाकामी कहें या मिलीभगत, शहर से सट्टे का खात्मा दावा करने वाली पुलिस के नाक के नीचे बड़े पैमाने पर अवैध सट्टे का कारोबार हो रहा था। खुलासा तब हुआ जब चौकी से चंद कदम की दूरी पर एसओजी ने छापेमारी कर 11 सटोरियों को गिरफ्तार किया था और उनके पास से 16 लाख रूपये की नकदी बरामद की थी। सवाल यहां पुलिस पर ही नही बल्कि खुफिया तंत्र पर भी उठता है। आखिर इतने बड़े पैमाने पर सट्टे के कारोबार से आने पैसे का लेनदेन और पूरा आफिस बनाकर घर के अंदर कारोबार होता रहा, पुलिस और खुफिया विभाग बेखबर बना रहा। खास बात ये है कि, सट्टा किंग के नाम से मशहूर माफिया पर गैंगस्टर की कार्रवाई और इनाम भी घोषित किया जा चुका है।

शहर में सट्टे का कारोबार चरम सीमा पर

दरअसल, शहर में सट्टे का कारोबार चरम सीमा पर है। सट्टे से सबसे ज्यादा प्रभावित ठेला रिक्शा चलाने वाले और बेहद गरीब लोग बर्बाद हो रहे हैं। पिछले लंबे समय से पुलिस की मिलीभगत से सट्टा किंग बेदी उर्फ वेदव्यास शहर से सट्टे का कारोबार कर करोड़ों रूपये की सम्पत्ति भी बना चुका है। अब एसपी एस आनन्द के आदेश पर सट्टा किंग पर गैंगस्टर की कार्रवाई और इनाम घोषित किया गया तो सट्टा किंग ने शहर छोड़ दिया। लेकिन उसके काला कारोबार में कमी नही आई। सट्टा किंग ने शहर में होने वाले काले कारोबार की बागडोर राहत अली को सौंप दी जो, बड़ी जिम्मेदारी से सट्टे का कारोबार में आने वाले पैसे की जानकारी और हिसाब किताब इनामी सट्टा किंग वेदव्यास को वाटसएप पर प्रतिदिन देता था। ऐसा हम नही बल्कि गिरफ्तार सटोरियों ने पुलिस को पूछताछ में बताया है।

छापेमारी कर 11 सटोरियों को गिरफ्तार किया गया

बीते बुधवार को चौक कोतवाल से लेकर अजीजगंज चौकी इंचार्ज और खुफिया तंत्र सवाल इसलिए उठे, क्योंकि चौकी से चंद मीटर की दूरी पर स्थित साउथ सिटी में एक घर से एसओजी ने छापेमारी कर 11 सटोरियों को गिरफ्तार किया था, उनके पास से 16 लाख रूपये से लेकर लैपटॉप, मोबाईल, रजिस्टर, और सट्टे की पर्चियां बरामद की थी। सवाल ये उठता है कि, पहले पुलिस के आलाधिकारी सट्टे के खात्मे का दावा करते रहे, लेकिन एसओजी की कार्रवाई ने उस दावे की पोल खोल दी, चौकी से चंद कदम की दूरी बड़े पैमाने पर सट्टा हो रहा और चौक कोतवाली चौकी इंचार्ज और खुफीया तंत्र को भनक तक नही लगी। अब इसे पुलिस की नाकामी कहें या मिलीभगत ये आपको तय करना है।

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पुलिस सट्टा किंग को कुछ मोहलत और देना चाहती है

अब बात करते हैं पुलिस की लापरवाही की, सट्टा किंग वेदव्यास पर गैंगस्टर और इनाम घोषित की कार्रवाई हो चुकी है। गिरफ्तार सटोरियों ने पुलिस के सामने कबूल किया था कि, वह प्रतिदिन सट्टा किंग को वाटसएप पर सट्टे का हिसाब देता था। पुलिस ने आखिर सट्टा किंग को पकड़ने की जहमत क्यों नही उठाई, या यूं कहें कि, पुलिस सट्टा किंग को कुछ मोहलत और देना चाहती है, ताकि उसके पास बचने के कुछ रास्ते अगर बचे हों तो वह उसको इस्तेमाल कर लें।

सट्टे के चंगुल में रिक्शा ठेला चलाने वाले और मजदूर

शहर में लगने वाले सट्टे से सबसे ज्यादा प्रभावित बेहद गरीब जनता होती है। ज्यादा पैसा कमाने के लालच में रिक्शा ठेला चलाने वाले और मजदूर सट्टा खेलते हैं, और कुछ ज्यादा पैसे की उम्मीद में मेनहत से कमाई गई रकम को सट्टे में बर्बाद कर देते हैं।प्रतिदिन लाखों रूपये के सट्टे का कारोबार शहर में होता है। ऐसा नही है कि शहर में होने वाले अवैध सट्टे के कारोबार का पुलिस को पता नही होता है।

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लेकिन सूत्रों की मानें तो सट्टे का अवैध कारोबार खादी और खाकी के रहमोकरम पर चलता है, यही कारण है कि, पुलिस चाहकर के भी कार्यवाही नही करती है। अब देखना ये होगा कि, 11 सटोरियों को गिरफ्तार करके अपनी पीठ थपथपाने वाली पुलिस इनामी सट्टा किंग को कब तक गिरफ्तार कर पाती है।

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