प्रदेश में 1951- 52 के राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाबों की बहाली का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में 1951-52 के राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाबों की बहाली को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को तालाबों से अतिक्रमण हटाकर, उन पर दिए गए पट्टे समाप्त कर बहाली का निर्देश दिया है।

Update:2019-11-05 23:02 IST
प्रदेश में 1951- 52 के राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाबों की बहाली का निर्देश

पट्टे निरस्त कर बहाल किए जाय तालाबः हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में 1951-52 के राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाबों की बहाली को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को तालाबों से अतिक्रमण हटाकर, उन पर दिए गए पट्टे समाप्त कर बहाली का निर्देश दिया है।

साथ ही मुख्य सचिव को राजस्व परिषद के चेयरमैन के परामर्श से एक मानिटरिंग कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है प्रदेश के प्रत्येक जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) को आदेश दें कि तालाबों की एक सूची तैयार करें और उन पर हुए अतिक्रमण का भी खाका तैयार करें तथा तालाबों से अतिक्रमण हटाकर बहाली रिपोर्ट पेश करें।

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कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को तालाबों से अतिक्रमण हटा कर पुनः बहाली का आदेश दिया है और कार्रवाई रिपोर्ट मुख्य सचिव द्वारा गठित मानिटरिंग कमेटी को हर छः माह में सौंपने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कमेटी को भी 3 या 4 माह में अवश्य बैठक करने तथा तालाबों की बहाली की रिपोर्ट पर विचार करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि मानिटरिंग कमेटी में हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रामसूरत राम मौर्या को भी आमंत्रित किया जाए। कोर्ट ने भी कहा है कि पहले से गठित राज्य स्तरीय जिला स्तरीय समितियां भी अपनी रिपोर्ट नवगठित कमेटी को दे।

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार सिंह बघेल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सपोर्ट इंडिया वेलफेयर सोसाइटी आगरा की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि राज्य के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेशों के पालन में घोर लापरवाही बरती है। अब यदि अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती जाती है तो उनके खिलाफ संबंधित नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाए।

कोर्ट ने कहा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 18 साल बीत जाने के बाद भी उसका पालन नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने जिलाधिकारी आगरा को तालाब को बहाल कर अपनी रिपोर्ट 3 माह के भीतर महानिबंधक के समक्ष पेश करने का आदेश दिया है।

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आगरा के राजपुर गांव के प्लाट संख्या 253 व 254 स्थित तालाब को लेकर यह जनहित याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट ने कहा है अगर किसी तालाब पर पट्टे दिए गए हैं तो जिलाधिकारी कानूनी कार्रवाई करे और अवैध कब्जे हटा उसे पुनर्बहाल किया जाए ।

वक्फ सम्पत्ति घोटाला मामले में आजम खां की याचिका पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में रामपुर के सांसद और पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खां के खिलाफ वक्फ संपत्ति में घोटाले के आरोप में दाखिल प्राथमिकी रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका पर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।

आजम खान के खिलाफ रामपुर में कई प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। उन तमाम मामलों में भी उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की है। अग्रिम जमानत की अर्जी पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तिथि नियत की है।

वक्फ संपत्ति के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने व गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग को लेकर के आजम खां की याचिका पर मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की पीठ में सुनवाई हुई।

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कोर्ट ने प्रदेश सरकार को इस मामले में समय से जवाब दाखिल करने की हिदायत दी है।याचिका पर अधिवक्ता सफदर काजमी ने बहस की। इसी प्रकार से अग्रिम जमानत अर्जियों पर न्यायमूर्ति डीपी सिंह की अदालत में सुनवाई हुई, जिसमें अगली तारीख 14 नवंबर नियत की गई।

5 हजार हर्जाना के साथ सीएमओ सोनभद्र को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार-बार समय दिए जाने के बावजूद जवाबी हलफनामा दाखिल न करने पर कड़ा रुख अपनाया है। और सीएमओ सोनभद्र को पांच हजार हर्जाने के साथ 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का समय दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने चंपा देवी की याचिका पर दिया है।

याची अधिवक्ता दिनेश प्रसाद का कहना है कि 27 जुलाई 2012 स्वास्थ्य सहायक को स्थाई कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन दिए जाने का शासनादेश जारी हुआ। याची के पति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुद्धी सोनभद्र में स्वास्थ्य पर्यवेक्षक के रूप में तैनात थे।

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2004 में सेवानिवृत्त हो गये, किंतु शासनादेश के तहत न्यूनतम वेतन, उस पर बनने वाली पेंशन का भुगतान नहीं किया गया। उसकी मृत्यु के बाद विधवा याची ने याचिका दाखिल कर कोर्ट से मांग की है कि उसके पति के बकाया वेतन के साथ बकाया पेंशन का भुगतान किया जाए। याचिका की सुनवाई 21 नवंबर को होगी।

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