मौलानाओं सावधान! अगर किया ये काम तो चली जाएगी नौकरी
सरकारी दफ्तर में अनावश्यक रूप से आकर बैठने वालों से यहां के साहब बेहज नाराज हैं। आलम ये है कि साहब को दफ्तर में बेवजह बैठने वालों के लिए लेटर जारी करके दिशानिर्देश देने पड़े हैं। इतना ही नहीं जारी किया गया लेटर अब दफ्तर के बाहर चस्पा कर दिया गया है।
आसिफ अली
शाहजहांपुर: सरकारी दफ्तर में अनावश्यक रूप से आकर बैठने वालों से यहां के साहब बेहज नाराज हैं। आलम ये है कि साहब को दफ्तर में बेवजह बैठने वालों के लिए लेटर जारी करके दिशानिर्देश देने पड़े हैं। इतना ही नहीं जारी किया गया लेटर अब दफ्तर के बाहर चस्पा कर दिया गया है। लेटर में साफ साफ लिखा है कि दफ्तर के अंदर या फिर कम्प्यूटर कक्ष में अनावश्यक रूप से बैठे पाये जाने वाले लोगों पर अनुशासनात्मक कठोर कार्रवाई की जाएगी।
बड़े साहब को ऐसा इसलिए करना पड़ा है क्योंकि इस आफिस में सबसे ज्यादा मदरसों से जुड़े लोगों का आना लगा रहता है। कुछ ऐसे लोग है जो खुद को मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का हिमायती बताकर उनके हक की लङाई लड़ने की बात तो करते है, लेकिन अस्ल में वह मदरसों से जुड़े बड़े-बड़े काम कर्मचारियों से मिलकर करवा लेते हैं। फिलहाल अब देखना होगा कि बड़े साहब की ये कार्यवाई कितना कारगर साबित होती है।
कुछ लोग अनावश्यक रूप से कम्प्यूटर कक्ष में बैठकर गप्पे मारते थे
दरअसल, हम बात कर रहे कलेक्ट्रेट परिसर में डीएम कार्यालय के सामने बने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय की। पिछले लंबे वक्त से देखा जा रहा था कि इस कार्यालय में सबसे ज्यादा भीड़ होती थी। लेकिन उस भीड़ में कोई फरियादी होता था। आफिस के बगल में कम्प्यूटर बना भी बना है। लेकिन कुछ लोग अनावश्यक रूप से उस कक्ष में बैठकर गप्पे मारते थे। यही कारण था कि विभाग से संबंधित कोई कार्य सही वक्त पर नहीं हो पाता था। जिससे लोगों में बड़ा आक्रोश भी देखने को मिलता था।
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ये लोग आफिस में बिताते थे समय
दरअसल जिले में चलने वाले मदरसों का लेखा-जोखा और उससे संबंधित किसी भी दिशानिर्देश का आदेश इसी आफिस से जारी होता है। ऐसे में अगर मदरसों के शिक्षकों की बात करें तो उनकी यूनियन के सबसे ज्यादा लोग अपना ज्यादा समय इसी आफिस में बिताते थे। जिनमें सबसे ज्यादा यूनियन के बड़े पदाधिकारियों के नाम शामिल हैं।
आफिस में वक्त बिताने का मकसद ये है कि अगर कोई योजना शुरू की जाती है या फिर कोई अनावश्यक रूप से कार्य कराना होता है तो उनकी पहचान छोटे कर्मचारियों से लेकर बड़े बाबुओं तक होती है। इसलिये उस काम को कराने में उनको ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है। यही कारण है कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय सबसे ज्यादा चर्चा में रहता था।
विभाग की छवि को बेहतर बनाने के लिए अपनाया अनोखा तरीका
अब जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने अपने विभाग की छवि को और बेहतर बनाने के लिए अनोखा तरीका निकाला है। हालांकि ऐसा पहली बार हुआ जब किसी अधिकारी ने नोटिस को दफ्तर के बाहर चस्पा किया है। इस नोटिस में साफ तौर पर लिखा गया है कि जिले भर से लोग अपने योजनाओं की जानकारी अथवा कार्यों के लिए आफिस आते है।
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शासकीय कार्य में उत्पन्न होती है बाधा
परन्तु अनावश्यक रूप से लोग कार्यक्रम परिसर अथवा कम्प्यूटर कक्ष में बैठे रहते हैं। जिससे कार्यालय कार्य एंव जनहित कार्य निर्वाहन किये जाने पर कुप्रभाव पड़ता है। असुविधा भी होती है। मदरसों से संबंधित शिक्षक / शिक्षणेत्तर कर्मी आदि भी अनावश्यक रूप से कार्यालय कक्ष एंव कम्प्यूटर कक्ष में बैठकर कार्यालय का किमती समय बर्बाद करते हैं। जिससे शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न होती है।
क्या लिखा है इस लेटर में?
लेटर में लिखा है कि आप सभी को सूचित किया जाता है कि कार्यालय कार्य हेतु आये हुए संबंधित व्यक्तियों द्वारा लिखित तौर पर कार्यालय मॆ अपना पत्र प्राप्त कराया जाए। बिना कार्य तथा अनावश्यक रूप वार्तालाप आदि हेतु कार्यालय परिसर में न बैठा जाए। जिससे कार्यालय की गरिमा तथा कार्य मे पारदर्शिता लाई जा सके।
होगी कठोर कार्रवाई
लेटर मे जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने कड़े शब्दों का उल्लेख करते हुए संदेश दिया है कि निर्देशों के बावजूद अगर आये हुए बाहरी व्यक्ति, मदरसों से संबंधित कर्मी या अन्य कोई व्यक्ति अनावश्यक रूप से कार्यालय अथवा कम्प्यूटर कक्ष में बैठा पाया गया तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कठोर कार्रवाई की जाएगी। आदेश का कड़ाई से अनुपालन किया जाए।
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दफ्तर के बाहर चस्पा किये इस नोटिस से आप अंदाजा लगा सकते है कि ये दफ्तर कितना सुर्खियों में रहता होगा। यहां कितना कार्य हो पाता है। इस दफ्तर में योजनाओं के बारे में लोगों को कितना बताया जाता होगा। जब खुद अल्पसंख्यक अधिकारी इस बात को मानने को मजबूर हो गए कि इस दफ्तर मे मदरसों से जुड़े शिक्षकों का जमावड़ा रहता है।
जिससे लोगों को योजनाओं की जानकारी नहीं हो पाती है। अभी तक तो कर्मचारियों और बड़े बाबुओं से करीबी बनाकर मलाई काटते थे। लेकिन अब देखना होगा कि क्या इस नोटिस का कुछ असर दिखेगा या फिर जिला अल्पसंख्यक कार्यालय की छवि मे कुछ सुधार हो पाएगा।
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