जज साहब...मेरे पास 40 लाख रुपए के सिक्के हैं, बैंक में जमा करवा दीजिए, पढ़ें क्या कहा HC ने

Update: 2016-12-08 14:00 GMT

लखनऊ: जज साहब.. मेरे पास चालीस लाख रुपए के चिल्लर है, बैंक में जमा करवा दीजिए। यह गुहार है एक ग्राहक की। जिसके चालीस लाख रुपए के चिल्लर बैंक लेने से इंकार कर रहा है। मामला अदालत तक पहुंचा तो बैंक ने कहा, कि 1 जनवरी के बाद उक्त ग्राहक प्रतिदिन पांच पांच हजार रुपए जमा करे, तो बैंक लेने के लिए तैयार है।

इस पर ग्राहक की सहमति से चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस राजन राय की बेंच ने बैंक को 1 जनवरी के बाद प्रतिदिन कस्टमर से एक, दो, पांच और दस रुपए के सिक्के पांच-पांच हजार रुपए करके स्वीकार करने का आदेश दिया है।

बड़ी मात्रा में सिक्के के पीछे क्या थी मंशा?

साथ ही कोर्ट ने आरबीआई और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भी इस मसले से अवगत कराने को कहा है। कोर्ट ने कहा, वे देखें कि किसी कस्टमर के पास इस प्रकार से बड़ी मात्रा में सिक्के कैसे एकत्र हो गए। या इस जमा के पीछे कोई अन्य मंशा तो नहीं है।

क्या है मामला?

संदीप आहूजा ने कोर्ट में इस बात की रिट याचिका दाखिल की थी कि उसके पास एक, दो, पांच और दस रुपए के चालीस लाख रुपए की रेजगारी है जो बैंक लेने से मना कर रहा है। उन्होंने कोर्ट से गुजारिश की थी कि बैंक को निर्देश दिया जाए कि वे उक्त रेजगारी को स्वीकार करें।

बैंक ने दी ये दलील

बैंक के वकील ने कोर्ट में कहा कि पहले ही बैंक नोटबंदी के असर से काम के बोझ से दबा है। फिर इन सिक्कों को गिनने में काफी समय लगेगा, जो अभी बैंक के पास नहीं है। बैंक ने एक जनवरी के बाद तीन से चार बजे के बीच सिक्के लेने की बात कही। साथ ही मांग की है कि आरबीआई और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इस जमा के बावत सूचित किया जाना चाहिए ताकि पता चल सके कि इतनी बड़ी रकम याची के पास कैसे आई।

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