ऊंचाहार सीट से MLA मनोज कुमार पांडेयः हादसे से आए राजनीति में

मनोज कुमार पांडेय का कहना है 1995 में मैंने अपना पहला चुनाव लड़ा और चार बार मुझे जनप्रतिनिधि होने का अवसर मिला। जहां तक मैं समझता हूं चुनाव आयोग ने काफी सुधार किए हैं लेकिन मुझे लगता है चुनाव में जो पैसे का समावेश होता है उसमें ज्यादा सुधार किए जाने की जरूरत है।

Update:2020-08-18 20:19 IST
ऊंचाहार सीट से MLA मनोज कुमार पांडेयः हादसे से आए राजनीति में

नरेन्द्र सिंह

रायबरेली। बहुत से लोगों को ये बात मालूम नहीं होगी कि जिले की ऊंचाहार विधानसभा सीट से विधायक मनोज कुमार पांडेय के राजनीति आने की वजह एक हादसा है। श्री पांडेय बताते हैं कि उनके राजनीति में आने की वजह एक घटना थी, जिसने उन्हें राजनीति में ला दिया। दरअसल रायबरेली में एक व्यापारी से लूट हुई थी। इसके बाद उसको न्याय नहीं मिल रहा था। वह उसको न्याय दिलाने के लिए धरने पर बैठ गये और यहीं से राजनीतिक करियर की शुरुआत हो गई। उस वक्त उनकी उम्र मात्र 19 साल थी।

राजनीति में नहीं आते तो दूसरा काम क्या करते। जवाब में वह कहते हैं सेना में भर्ती होकर देश सेवा कर रहा होता।

लगातार महंगे होते चुनाव पर विधायक का कहना है कि चुनाव आयोग इस सम्बन्ध में लगातार निर्देश भी जारी करता है लेकिन जब सेवा के अलावा लोग पद या प्रतिष्ठा के लिए राजनीति में आते हैं तो निश्चित तौर पर चुनाव महंगे हो जाते हैं। ये लोकतंत्र और सेवा की भावना दोनों को नुकसान पहुंचाता है।

और चुनाव सुधार की जरूरत

चुनाव सुधार पर मनोज कुमार पांडेय का कहना है कि जबसे चुनाव शुरू हुए हैं तबसे लगातार बदलाव हुए हैं। मुझे लगता है चुनाव पर खर्च का हिसाब सही ढंग से होना चाहिए। मेरा 27 साल का राजनैतिक अनुभव है। 1995 में मैंने अपना पहला चुनाव लड़ा और चार बार मुझे जनप्रतिनिधि होने का अवसर मिला। जहां तक मैं समझता हूं चुनाव आयोग ने काफी सुधार किए हैं लेकिन मुझे लगता है चुनाव में जो पैसे का समावेश होता है उसमें ज्यादा सुधार किए जाने की जरूरत है।

जनता की जन प्रतिनिधियों से लगातार बढ़ती अपेक्षाओं पर उनका कहना है कि सीधे प्रतिनिधि होने के नाते जनता की अपेक्षाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। मेरी कोशिश रहती है कि मै जनता की अपेक्षाओं पर हमेशा खरा उतर सकूँ।

उन्होंने कहा कि जनता से भी अपेक्षाएं रहती है कि जनता को जनप्रतिनिधि के किये गये अच्छे कार्यो का समर्थन करना चाहिए।

सबसे खुशी का पल

जीवन का सबसे ख़ुशी का पल जो जनता से शेयर करना चाहें सवाल पर भावुक होकर कहने लगे कि ख़ुशी के पल तो बहुत है पर रायबरेली में हाईवे पर एक दुर्घटना हो गई थी। सर्दी के दिन थे। मै हाईवे से गुजरा तो पता चला कि पांच लोग घायल हैं और दो बच्चे ट्रक के नीचे दबे हैं। उन पांच घायल लोगों को तुरंत अस्पताल अपनी गाड़ी से पहुंचाया।

उसके बाद अपने समर्थको और स्थानीय लोगो की मदद से ट्रक के नीचे दबे बच्चो को अस्पताल पहुंचाया, उसके बाद जब सूचना मिली कि सभी घायल सुरक्षित हैं, तो बहुत ख़ुशी मिली।

दुख के सवाल पर कहा कि देखिए जीवन निरंतर आगे बढ़ने का नाम है जो भी सुख दुख मिले हैं जीवन में सब को अपने परिवार के साथ बांटने का प्रयास किया है। राजनीति के बाद मैं अपना वक्त अपने परिवार और भगवान् के समरण में लगाता हूँ।

राजनीति में पतन हुआ

देखिए राजनीति एक विचारधारा हुआ करती थी, मैंने देखा है की सिद्धांतों के चलते लोगों ने बड़े-बड़े राजनीतिक पदों को ठोकर मार दी या थोड़ा सा भी आरोप लगने पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया करते थे।

पहले स्वस्थ बहस हुआ करती थी। जनहित और राष्ट्रहित के मुद्दे होते थे, लेकिन यह बहस वाद विवाद केवल मुद्दों पर होता था।

इसके बाद दोनों विरोधी दल के नेता आपस में गलबहियां डालकर बातें करते थे इन सब चीजों का आज पतन हुआ है। आज विरोधी दल को दुश्मन के रूप में देखते हैं और लोग उनको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं।

दलबदल स्वार्थ में न हो

देखिये मुझे लगता है कि दल को व्यक्ति के प्रति और व्यक्ति को दल के प्रति भी आस्था होनी चाहिए और निजी स्वार्थ की वजह से कभी दल नहीं छोड़ना चाहिए।

अगर कोई सैद्धांतिक मतभेद हो या विचारधारा का टकराव हो तो लोग दल छोड़ने का फैसला लेते हैं या कभी ऐसी पर स्थिति बन जाती है जिसमें दल और व्यक्ति के बीच में टकरा उत्पन्न हो जाता है तो इस स्थिति असहज हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में मेरा सिर्फ यही कहना है की दल छोड़ने का फैसला, सिर्फ निजी स्वार्थ नहीं होना चाहिए।

दलों में आंतरिक लोकतंत्र जरूरी

दलों में आंतरिक लोकतंत्र पर मनोज कुमार पांडेय कहते हैं जिन दलों में विचारधारा और सिद्धांत कायम है उनमें अभी भी लोकतंत्र है मुझे लगता है पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र होना चाहिए बहुत सी पार्टी हैं जिनके अंदर आंतरिक लोकतंत्र है और यह भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत ही बेहतर बात है कि लोकतंत्र जरूर होना चाहिए।

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उपलब्धियों के सवाल एक विधायक के तौर पर जो जन विश्वास और जन आकांक्षा थी उस पर मैं खरा उतरा हूं लगातार मंत्री रहा और अब सामान्य विधायक हूं उसके बाद भी मैं लगातार अपनी जनता के लिए उपलब्ध रहता हूं और उनको जो नैसर्गिक न्याय दिलाने की मेरी कोशिश रहती है और यही मेरी उपलब्धि है।

कोई काम जो छूट गया

जनप्रतिनिधि जनता से सीधा जुड़ा हुआ होता है इसलिए उसकी तमाम अपेक्षाएं होती है लेकिन विकास और सेवा निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जितनी भी अपेक्षाएं थी क्षेत्रवासियों की उन सब पर खरा उतरने की मैंने कोशिश की है लेकिन तमाम काम ऐसे हैं जो शायद हम चाह कर भी नहीं कर सकते हैं।

लेकिन फिर भी जो भी मांग होती है उस पर हम खरा उतरने की पूरी कोशिश करते हैं ऊंचाहार क्षेत्र में काफी विकास हुआ है और लगातार विकास जारी है।

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विधायक निधि बहुत जरूरी

विधायक निधि जनता के लिए बहुत जरूरी होती है क्योंकि जनता की जरूरत के लिए यह धन खर्च किया जाता है जैसे असाध्य रोगों के इलाज के लिए इस निधि से धन दिया जाता है। इसके अलावा तमाम अन्य मद जैसे नाली खड़ंजा इत्यादि चीजों में विधायक निधि का इस्तेमाल होता है जो मुझे लगता है कि बहुत जरूरी है।

कुछ अधिकारी मकड़जाल में फंसाते हैं

एक अधिकारी परीक्षा पास करके अधिकारी बनता है और नेता जनता का सीधा प्रतिनिधि होता है। तो जनता की समस्याओं का सीधा सामना राजनेता से ही होता है। कभी-कभी कुछ ऐसे अधिकारी आ जाते हैं, जो जनता की समस्या को प्रैक्टिकली ना समझ कर नियम और कानून के मकड़जाल में फंसाते हैं, तो इससे बहुत दिक्कत होती है मेरे सामने भी ऐसी तमाम दिक्कतें आई है

मेरे क्षेत्र में बेरोजगारी बड़ी समस्या

देखिए क्षेत्र में काफी कुछ विकास हुआ है आजादी के बाद पहली बार 5 सब स्टेशन बने हैं 5 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बने हैं और काफी विकास हुआ है।

लेकिन मुझे लगता है कि मेरे क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है क्योंकि कोरोना संकट में काफी संख्या में श्रमिक वापस मेरे क्षेत्र आ गए हैं, ऐसे में उनके सामने बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है।

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