बेटी बचाओ बेटी पढाओ सन्देश को आगे बढ़ाने के लिए इस शख्स ने शुरू की ये अनूठी मुहिम
लखनऊ: पीएम नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ नारे से प्रेरित होकर यूपी के बाराबंकी जिले के रहने वाले वीके श्रीवास्तव लोगों के घरों में बेटियां पैदा होने पर उन्हें चन्दन की लकड़ी का एक पौधा फ्री में देने का काम कर रहा है। ताकि शादी लायक हो जाने पर लड़की के घरवालों को पैसे के लिए ज्यादा भटकना न पड़े। वे चंदन के उस पेड़ को बेचकर अपनी बेटी के शादी का खर्च आसानी से उठा सके। अभी तक वह 2 सौ से ज्यादा परिवारों को चंदन का पौधा फ्री में दान कर चुके है। उनकी ये मुहिम अभी जारी है।
ऐसे बीता था बचपन
वीके श्रीवास्तव बताते है, "मेरा जन्म 12 मई 1956 को बाराबंकी अंतर्गत नौबस्ता मजरे कोठी गांव में हुआ था। पिता जय नारायण श्रीवास्तव गवर्नमेंट स्कूल में टीचर थे। उनकी डेथ हो चुकी है। मां चमेली देवी हाउस वाइफ है।
घर में 2 भाई और पांच बहनें थी। मैं उनमें सेकेण्ड नम्बर का था। पिता जॉब में थे इसलिए पढ़ाई में कभी कोई फैनेंसियल प्रोब्लम फेस नहीं करनी पड़ी। बचपन काफी अच्छे से बीता था। मैं पढ़ाई में हमेशा अपनी क्लास में टॉप आता था"।
नौकरी छोड़ ऐसे आया खेती का आइडिया
वीके श्रीवास्तव बताते है, "मैंने वाराणसी के बीएचयू से 1979 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद वहीं से 1981 में साहित्य रत्न सब्जेक्ट से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कम्प्लीट की।
वहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने 25 वर्षों तक एक प्राइवेट कम्पनी में मार्केटिंग की जॉब की। लेकिन उस समय मैं अपनी जॉब से संतुष्ट न था। बीएचयू के एक प्रोफेसर दोस्त डीके सुजान को ये बात अच्छे से पता थी।
मेरे दोस्त ने ही मुझें प्राकृतिक खेती करने के लिए इंस्पायर्ड किया। उसके बाद मैंने ये जॉब छोड़ दी और प्राकृतिक खेती के कम में जुट गया।
सलाना कर रहे है इतने की कमाई
प्राइवेट कम्पनी में जॉब छोड़कर प्राकृतिक खेती करने का डिसीजन लिया। लेकिन मैंने पहले कभी खेती नहीं की थी। जब खेती करना शुरू किया तब लोगों ने मेरा खूब मजाक उड़ाया। लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया।
2012 -13 में मेडिसिन वाले पौधों पर काम शुरू किया। शतावर, अश्वगंधा, ब्राह्मी सहित कई अन्य पौधे लगाये। धीरे धीरे इस काम में मेरी रूचि बढ़ती गई।
इस समय मैं 4 बीघा में प्राकृतिक विधि से खेती कर रहा हूं। मुझें देखकर दूसरे लोगों ने भी ये काम शुरू कर दिया है। अब मैं प्राकृतिक विधि से खेती कर सलाना 5 से 6 लाख रूपये कमा लेता हूं।
बेटियों को बचाने के लिए शुरू की ये अनूठी मुहिम
देश में अभी भी बहुत से ऐसे लोग है। जो बेटियों को एक बोझ के रूप में देखते है। वहीं कई परिवार ऐसे है जो दहेज देने के डर से गर्भ में पल रहे बेटियों को उनके जन्म से पहले ही मार देते है।
बेटियां बोझ नहीं है। लोगों को ये बात समझाने के लिए मैंने 2016 में बेटियां जन्म लेने वाले परिवार को एक चन्दन का पौधा देने का काम शुरू किया है।
जैसी –जैसी बेटी बड़ी होती जाएगी वैसे-वैसे चंदन का ये पौधा भी बड़ा होता जाएगा। चन्दन के एक पेड़ को तैयार होने में 15 से 20 साल का टाइम लगता है। तब तक लड़की की उम्र भी शादी के लायक हो जाती है।
एक गरीब परिवार में जन्मी लड़की का पिता चाहे तो उस चन्दन के पेड़ को 5 से 7 लाख रूपये में बेचकर बड़े ही आसानी से अपने बेटी की शादी कर सकता है। उसे बैंक से लोन लेने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।