IPS अरविन्द सेन के विधायक पिता और भाई भी जा चुके हैं जेल, पढ़ें पूरी खबर
पर सवाल यह उठता है कि देखने या सुनने में भले ही यह अजीब लगे पर सच्चाई यह है कि उनके पिता मित्रसेन यादव और भाई आनन्द सेन भी जेल जा चुके हैं।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: फैजाबाद के पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के पुत्र और निलम्बित आईपीएस अधिकारी अरविन्द सेन इन दिनों जेल में हैं। इससे पहले पुलिस ने उन्हे भगोड़ा घोषित किया था। बात यहीं तक सीमित नहीं बल्कि उनके ऊपर 50 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित होना अपने आप में एक अधिकारी के लिए बेहद शर्मिंदगी की बात कही जाएगी।
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आनन्द सेन मायावती सरकार में राज्यमंत्री भी थें
पर सवाल यह उठता है कि देखने या सुनने में भले ही यह अजीब लगे पर सच्चाई यह है कि उनके पिता मित्रसेन यादव और भाई आनन्द सेन भी जेल जा चुके हैं। आनन्द सेन मायावती सरकार में राज्यमंत्री भी थें। इसलिए इस परिवार के लिए जेल जाना या सजायाफ्ता होना कोई नई बात नहीं थी। इससे पूर्व उनके पिता और पूर्व सांसद रहे भाकपा और सपा के नेता मित्रसेन यादव (दिवंगत) को भी कई आपराधिक मामलों में जेल गए और सजा हुई।
राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर करने के बाद उन्हे जीवनदान मिला था
बाद में राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर करने के बाद उन्हे जीवनदान मिला था। जबकि जेल भेजे गए अरविंद सेन के भाई आनंद सेन को भी फैजाबाद के चर्चित शशि अपहरण और हत्याकांड के मामलें आजीवन कारावास की सजा हुई थी बाद में उन्हे उच्च न्यायालय से बरी किया गया था। आनंद सेन मायावती सरकार में राज्यमंत्री तथा सपा और बसपा दोनो दलों से विधायक रह चुके है।
सपा सरकार में अरविंद सेन की तैनाती कई महत्वपूर्ण पद पर रही
सपा सरकार में अरविंद सेन की तैनाती कई महत्वपूर्ण पद पर रही। पुलिस उपमहानिरीक्षक अरविंद सेन पर पशुधन घोटाले के आरोपी को बचाने के लिए 35 लाख की रिश्वत लिए जाने का आरोप है ।
अरविंद सेन के पिता मित्रसेन यादव (दिवंगत) यूं तो भाकपा के खाटी वामपंथी विचारधारा के नेता थे पर बाद में वे समाजवादी पार्टी में शामिल होकर विधायक भी बने। यहां तक कि उन्होंने भाजपा के फायरब्रांड नेता विनय कटियार को भी चुनाव में पटकनी दी।
मथुराप्रसाद तिवारी के दो पुत्रों की दिनदहाड़े हत्या कर दी थी
फैजाबाद से भाकपा से छह बार विधायक और तीन बार सांसद रहे मित्रसेन यादव (दिवंगत) ने वर्ष 1968 में मवईखुर्द के मथुराप्रसाद तिवारी के दो पुत्रों की दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। मित्रसेन यादव (दिवंगत) छह साल जेल भी काट चुके थे। न्यायालय से आरोप सिद्ध होने के बाद उन्हे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी। सजा होने के बाद उनकी पत्नी श्यामकली ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर की। उस समय कांग्रेस नेता चन्द्रजीत यादव की सिफारिश पर उन्हे क्षमादान दिया गया था।
इस घटना के बाद मित्रसेन यादव ने एक बार फिर दरोगा मोहन राय, भवानीफेर यादव तथा ब्लाक प्रमुख रहे कृष्ण कुमार तिवारी की हत्या में भी नामजद हुए थे। इसके अलावा गबन के एक मामलें में भी मित्रसेन यादव (दिवंगत) को गबन के एक मामलें 21 दिसंबर 2011 को सात साल की सजा के साथ 15 हजार का जुर्माना भी लगाया गया था।
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लखनऊ खंडपीठ ने आनंद सेन और विजय आजाद को बरी कर दिया था
मित्रसेन यादव के पुत्र और प्रदेश की मायावती सरकार में राज्यमंत्री रहे आनंद सेन फैजाबाद के चर्चित शिश अपहरण हत्याकांड में निचली अदालत से सजायाफ्ता हो चुके थे लेकिन बाद में उन्हे उच्च न्यायालय से राहत मिल गयी थी। 22 अक्तूबर 2007 को फैजाबाद के साकेत महाविद्यालय अयोध्या में विधि छात्रा शशि के अपहरण व हत्या के मामलें में आनंद सेन को 17 मई 2011 को जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाई गयी थी। इसमें आनंद सेन के साथ विजय सेन और सीमा आजाद को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गयी थी बाद में उच्च न्यायालय में अपील करने पर 22 अप्रैल 2013 को उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने आनंद सेन और विजय आजाद को बरी कर दिया था।
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