जौहर विवि : जमीन के मामले में जौहर ट्रस्ट को, जरिए आज़म खां नोटिस जारी

बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने जौहर विश्वविद्यालय के लिए दलितों की जमीन की रजिस्ट्री बगैर परमीशन कराने को लेकर दाखिल मामलों में जौहर विवि ट्रस्ट को जरिये आज़म खां नोटिस जारी किया है। ये सभी 10 मामले जेडए एक्ट की धारा 157 ए के तहत दाखिल

Update: 2018-03-13 15:41 GMT

इलाहाबाद:बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने जौहर विश्वविद्यालय के लिए दलितों की जमीन की रजिस्ट्री बगैर परमीशन कराने को लेकर दाखिल मामलों में जौहर विवि ट्रस्ट को जरिये आज़म खां नोटिस जारी किया है। ये सभी 10 मामले जेडए एक्ट की धारा 157 ए के तहत दाखिल हुए हैं।

आजम खां को लेकर चार अन्य मामले यहां 2017 से विचाराधीन हैं, उन पर भी विलंब के बिंदु पर सुनवाई हुई। आज़म खां के अधिवक्ता हर्ष नारायण शर्मा व कमरुल हसन सिद्दीकी के मुताबिक जेडए एक्ट की धारा 157ए के तहत दाखिल किए गए इन 10 मुकदमों में आरोप है कि जौहर विवि के लिए दलितों की जमीन का बैनामा बिना अनुमति के कराया गया है। नियमानुसार दलित की जमीन का बैनामा कराने के लिए जिलाधिकारी की पूर्व अनुमति आवश्यक है और इन मामलों में ऐसा नहीं किया गया है।

एसडीएम रामपुर व कमिश्नर मुरादाबाद के यहां निर्णय विवि के पक्ष में होने के कारण इन बैनामा को अब यहां चुनौती दी गई है। आजम खां के अधिवक्ता व पूर्व अपर महाधिवक्ता कमरुल हसन सिद्दीकी ने बताया कि 2017 में चार मुकदमे गांवसभा कीओर से दाखिल हैं। बकौल कमरुल हसन सिद्दीकी जौहर विवि के लिए उक्त जमीन लेकर उसके बदले में जमीन दी गई है। एसडीएम व कमिश्नर के यहां से विवि के पक्ष में फैसला होने के चार साल बाद यहां बोर्ड ऑफ रेवेन्यू में ये चार मुकदमे दाखिल किए गए हैं। इन मुकदमों के काफी विलंब से चार साल बाद दाखिल होने पर आपत्ति की गई है।

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