इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के जवाहर बाग कांड की सीबीआई या एसआईटी जांच के लिए दाखिल जनहित याचिका को लेकर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रमनाथ झा और न्यायमूर्ति आरएन कक्कड़ की खण्डपीठ ने अश्विनी उपाध्याय और अन्य की जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका की अगली सुनवाई एक अगस्त को होगी।
पीआईएल के मुद्दों पर सवाल
-कोर्ट ने प्रदेश के महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह से पीआईएल में उठाए गए मुद्दों पर सवाल पूछे हैं।
-कोर्ट ने पूछा है कि जिला प्रशासन ने जनवरी 14 में रामवृक्ष यादव को 2 दिन के लिए जवाहरबाग में धरने की अनुमति दी थी, उसकी क्या प्रकृति थी? -कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि यह धरना जनवरी 14 से घटना के दिन तक कैसे जारी रहा।
-जिला प्रशासन द्वारा जवाहरबाग के संबंध में शासन को भेजे गये पत्रों पर क्या कार्रवाई की गयी।
-कोर्ट ने पूछा कि जनवरी 14 से घटना के दिन तक वन विभाग, पुलिस और अन्य अधिकारियों द्वारा रामवृक्ष समर्थकों द्वारा मारपीट करने की दर्ज करायी गयी 14 प्राथमिकियों की विवेचना की क्या स्थिति है।
-कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि पिछले 2 सालों में मथुरा के जिलाधिकारी और एसपी रहे अधिकारियों के नाम बताए।
पीआईएल का विरोध
-याची ने प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद कार्रवाई न करने को लेकर राज्य सरकार पर प्रदर्शनकारियों को शह देने का आरोप लगाया है।
-याची ने कहा कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स गलत हैं, तो सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की।
-प्रदेश के महाधिवक्ता ने बिना ठोस आधार के दाखिल जनहित याचिका को खारिज करने की मांग की।
-सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता इमरानउल्ला खां और शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह ने भी पक्ष रखा।