Jhansi: ट्रेनों में पानी का 'काला कारोबार', रेल नीर नहीं अवैध ब्रांड की बेची जा रही बोतल...अर्थ तंत्र से समझें पूरा खेल
Jhansi News: स्थानीय कंपनियों का बोतलबंद पानी खपाने वाले गिरोह के निशाने पर लंबी दूरी की ट्रेनें रहती हैं। खासकर पंजाब मेल, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, झेलम एक्सप्रेस, अंडमान एक्सप्रेस, मंगला एक्सप्रेस, साबरमती एक्सप्रेस आदि।
Jhansi News: कई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां अपने उत्पादों पर 'नक्कालों से सावधान' जैसे स्लोगन लिखती है, ताकि खरीददार किसी तरह की धोखाधड़ी के शिकार ना हों। लेकिन, तेज रफ़्तार जिंदगी में कई मर्तबा हम ऐसी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। इसी का फायदा जालसाज उठाते हैं। ट्रेनों में कुछ ऐसा ही हो रहा है।
प्रतिष्ठित बोतलबंद पानी वाली कंपनी बिसलेरी जैसी हूबहू दिखने वाली पानी की बोतल 'एक्सो बैरी' धड़ल्ले से बिक रही है। इसका खुलासा वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी रेलवे स्टेशन से गुजर रही गोरखपुर-लोकमान्य तिलक सुपरफास्ट एक्सप्रेस (Gorakhpur-Lokmanya Tilak Superfast Express) में हुआ है। इस कंपनी की चार दर्जन से अधिक अनधिकृत पानी की बोतलें जब्त की गई है।
आप भी नहीं हो रहे धोखे का शिकार
यदि आप ट्रेन में सफर कर रहे हैं और नामी-गिरामी कंपनियों के बोतलबंद खरीदकर पीते हैं, तो आपकी जरा सी चूक सेहत पर भारी पड़ सकती है। चलती ट्रेन में धड़ल्ले से नकली पानी की बोतल बेंची जा रही है। बिसलेरी जैसे ब्रांडेड कंपनी की बोतल जैसी पैकिंग, स्टीकर देख पहली नजर में आप भी धोखा खा सकते हैं। गोरखपुर-लोकमान्य तिलक सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रियों को बेची जा रही ऐसी ही बोतलों का बड़ा स्टॉक रेल प्रशासन ने पकड़ा। हूबहू नकली बोतलबंद पानी देखकर तो यात्रियों के होश उड़ गए।
पानी का 'अर्थ तंत्र'
पानी की खपत को देखते हुए 'रेल नीर' घाटे का सौदा है। रेल नीर की 10 बोतल बंद वाली एक पेटी का मूल्य 126 रुपये है, जो कि 150 रुपये में बिकती है। वहीं, नकली ब्रांड वाले बोतल की एक पेटी का मूल्य 80 रुपये है, जिसकी बिक्री 200 रुपये में होती है। इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि, रेल नीर की एक बोतल की एमआरपी 15 रुपये, लागत साढ़े 12.60 रुपये और बचत 2.40 है। जबकि, अवैध ब्रांड की बोतल की एमआरपी 20 रुपये, लागत आठ रुपये और बचत 12 रुपये है। कमाई के इसी अंतर की वजह से रेल नीर ट्रेनों से गायब है।
इन ट्रेनों में खपा रहे बोतलें
स्थानीय कंपनियों का बोतलबंद पानी खपाने वाले गिरोह के निशाने पर लंबी दूरी की ट्रेनें रहती हैं। खासकर पंजाब मेल, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, झेलम एक्सप्रेस, अंडमान एक्सप्रेस, मंगला एक्सप्रेस, साबरमती एक्सप्रेस, लोकमान्य तिलक गोरखपुर, राप्ती सागर एक्सप्रेस समेत करीब 45 ट्रेनों को गिरोह के सदस्यों ने चिन्हित कर रखा है। इन ट्रेनों का स्टॉपेज बड़े स्टेशनों पर होने के चलते यात्रियों को प्यास तेज लगने से लगती है। प्यास के चक्कर में यात्री को पानी ही याद आता है। वह ब्रांड नहीं देखता है। इसका फायदा यह गिरोह उठाते हैं।