Jhansi को स्मार्ट सिटी बनाने में करोड़ों खर्च, पर नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं
Jhansi News: बिल्डिंग को रोशन करने के लिए एक करोड़ 66 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। जबकि इसी महानगर के कई ऐसे मुहल्ले और गलियां हैं जहां बदहाली नजर आती है।
Jhansi News: महानगर की कई मलिन बस्तियों में पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। सड़कें उखड़ीं पड़ीं हैं नाले-नालियों पर अतिक्रमण है, कई मुहल्ले डेंगू डेंजरस जोन घोषित हैं, जोकि स्वच्छता के नाम पर शहर पर बदनुमा दाग की तरह हैं। लेकिन, लगता है कि इससे किसी को सरोकार नहीं है। सरोकार है तो सिर्फ ऊपरी चमक दमक से। भई, जब झांसी को स्मार्ट सिटी घोषित किया है तो इसका चेहरा भी चमकना-दमकना चाहिए। इन दिनों यही कुछ देखने को मिल रहा है। करीब बारह-तेरह वर्ष पूर्व 11 करोड़ रुपए की लागत से नगर निगम की नई बहुमंजिला इमारत बनाई गई थी।
मजे की बात तो यह है कि चमक दमक के चक्कर में इस बिल्डिंग को रोशन करने के लिए अब एक करोड़ 66 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस पर नगर निगम के पुराने पार्षद हक्के बक्के हो गए हैं। यह बहुत पुरानी नही करीब 13-13 वर्ष पूर्व की बात है जब नगर निगम की नई इमारत महज 11 करोड़ रुपए की लागत से बनाई गई थी। तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि इस बिल्डिंग को रोशन करने के लिए एक करोड़ 66 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। जबकि इसी महानगर के कई ऐसे मुहल्ले और गलियां हैं जहां बदहाली नजर आती है।
नगर निगम की लाइटों को पार्षद और पूर्व पार्षद फिजूलखर्ची बता रहे हैं। उनका कहना है कि झांसी को स्मार्ट बनाना है तो उसका चेहरा चमकाने से पहले तंग गलियों वाली बस्तियों और मुहल्लों को चमकाने की जरूरत है। पूर्व पार्षद अखलाक मकरानी का कहना है कि नगर निगम की बिल्डिंग में एक करोड़ 66 की लाइट लगाने से बेहतर होता कि आप गली मुहल्लों की बदहाली को दूर करते।
शहर तभी स्मार्ट नजर आएगा जब हर जगह स्वच्छता और सुंदरता होगी। चेहरा चमकाने से कोई फायदा नहीं है। पूर्व पार्षद अनिल बट्टा ने भी इसे फिजूलखर्ची बताते हुए कहा कि बिल्डिंग चमकाने से कुछ नहीं होगा। महानगर के दूरदराज के वार्डों में लोगों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने की जरूरत है। जिस दिन हम समस्त वार्डों में समान रूप से विकास कर लेंगे तो उसी दिन झांसी महानगर की काया बदल जाएगी।