Jhansi News: डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने INDIA गठबंधन पर साधा निशाना, अखिलेश को लेकर ये बोले

Jhansi News: डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के पास ट्वीट के अलावा कुछ नहीं बचा। समाजवादी पार्टी माफिया, गुंडों को संरक्षण देने वाली पार्टी है, इसीलिए चुनावों में जनता ने उन्हें नकार दिया।

Update:2023-08-25 16:12 IST
(Pic: Newstrack)

Jhansi News: नगर निगम सभासदों के प्रशिक्षण वर्ग के समापन पर पहुंचे प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने विपक्षी गठबंधन इंडिया पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक व्यवस्था से चलने वाली पार्टी है। जबकि कांग्रेस, सपा, शिवसेना, राजद, नेशनल कांग्रेस आदि पार्टियों में एक ही परिवार हावी रहता है।

कांग्रेस में पार्टी अध्यक्ष भी नहीं ले सकते फैसला

डिप्टी सीएम ने कहा कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे भी खुद फैसला नहीं ले सकते, उन्हें नकली गांधी परिवार से पूछना पड़ता है। एक विवाहघर में आयोजित प्रशिक्षण वर्ग में झांसी व कानपुर के भाजपा सभासदों को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि पार्षद एक महत्वपूर्ण कड़ी है। जन-जन को अपनी विचारधारा से जोड़ने में उनकी अहम भूमिका है। सरकार की योजनाओं व पार्टी की नीतियों का प्रसार पार्षद ही बेहतर ढंग से कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल लोकसभा चुनाव के लिए गोटियां सेट करने में लगे हैं, जबकि भाजपा कार्यकर्ता जनता की सेवा कर रहे हैं। कार्यक्रम में क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल, महापौर बिहारीलाल आर्य, जिलाध्यक्ष मुकेश मिश्रा सहित अन्य भाजपाई मौजूद रहे।

अखिलेश के पास ट्वीटर के सिवा कुछ नहीं बचा

पत्रकारों से चर्चा करते हुए डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के पास ट्वीट के अलावा कुछ नहीं बचा। समाजवादी पार्टी माफिया, गुंडों को संरक्षण देने वाली पार्टी है, इसीलिए चुनावों में जनता ने उन्हें नकार दिया। अब वह रसातल में जा रही पार्टी है। डिप्टी सीएम ने कहा कि समाजवादी पार्टी दरअसल समाप्तवादी पार्टी बनती जा रही है।

दूसरी तरफ भाजपा सरकार की लोककल्याणकारी नीतियों का लाभ समाज के हर वर्ग को मिल रहा है। कोरोना काल से आज तक गरीब लोगों का निशुल्क राशन मिल रहा है। गांव में पक्के मकान बन गए हैं। सड़कें गड्ढामुक्त हैं। कानून-व्यवस्था को लेकर उन्होंने ने कहा कि योगी सरकार ने यूपी में भयमुक्त वातावरण बना दिया है और आज अपराधी या तो सलाखों के पीछे हैं या प्रदेश छोड़कर जाने को मजबूर हो गए हैं।

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