Jhansi News: अफसरों की नाक के नीचे हो रहा हैं अवैध बालू का कारोबार, पहाड़ी बालू बेचकर लाखों रुपए कमा रहे माफिया

Jhansi News: यूपी सरकार और स्थानीय प्रशासन के लाख प्रयास के बाद भी खनन माफियाओं के हौसले बुलंद है। महानगर में नवाबाद थाना क्षेत्र के करगुंवा के पास पहाड़ी को खोदकर धड़ल्ले से बालू का अवैध खनन होता है। खनन माफियाओं के नेटवर्क के आगे प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है।

Update:2023-07-28 18:27 IST

Jhansi News: यूपी सरकार और स्थानीय प्रशासन के लाख प्रयास के बाद भी खनन माफियाओं के हौसले बुलंद है। महानगर में नवाबाद थाना क्षेत्र के करगुंवा के पास पहाड़ी को खोदकर धड़ल्ले से बालू का अवैध खनन होता है। खनन माफियाओं के नेटवर्क के आगे प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। सूत्रों की माने तो प्रशासन में शामिल कुछ लोगों की मिलीभगत से सफेद रेत का काला कारोबार बहुत बड़े पैमाने पर चल रहा है। अवैध खनन का कारोबार करने वाले लोग पहाड़ी नाले के बालू को बेच कर मालामाल हो रहे हैं।

रात 10 बजे से सुबह 8 बजे तक निकाली जाती है बालू

अवैध खनन माफिया दिन में घूमकर जरुरत मंदों से भाव तय कर पांच हजार से छह हजार रुपया में प्रति टाली रेट तय करते हैं और रात ही ही ऑर्डर का बालू निकालने के लिए रात दस बजे से लेकर सुबह आठ बजे तक अवैध खनन का खेल चलता रहता है। यह ट्रॉली बस स्टैंड व आरटीओ कार्यालय के आसपास खड़ी रहती है।

कई बार हो चुके हैं हादसे

इस अवैध खनन से लोगों के रात की नींद हराम हो जाती है। तेज आवाज के साथ दर्जनों ट्रैक्टर ट्रॉलियां गुजरती है जिससे न केवल सड़क खराब होता है अपितु ये हादसों के सबब बन जाते हैं। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें इंसान तो इंसान बेजुबानों को भी ट्रैक्टर ट्रॉली से कुचलकर मार डाला जाता है।

कुछ इस तरह होता है बालू खनन का खेल

बालू खनन के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों की मानें तो बाढ़ के समय नदी के तराई इलाकों के खेतों में बड़े पैमाने पर बालू जमा हो जाती है। इसके लिए नियम है कि किसान को तीन महीने का लाइसेंस दिया जाएगा। इसके आधार पर किसान खेत से बालू निकलवा सकता है। लेकिन ऐसा होता नहीं है, किसानों के नाम पर खनन माफिया खेल कर जाते हैं। यह किसानों को भरोसे में लेकर पहले तो उनको खनन का लाइसेंस दिलवाते हैं। इसके बाद मनचाही जगह से बालू ले जाते हैं। यदि किसी ने सवाल करने का साहस दिखाया तो लाइसेंस का हवाला देकर चुप करा दिया जाता है। आसानी से समझा जा सकता है कि सिर्फ खनन माफिया ही नहीं बल्कि कितने और चेहरे बालू के अवैध खनन में संलिप्त हैं।

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