कृषि सचिव ने कामधेनु फार्म हाउस का किया निरीक्षण, बोले- "गौ-आधारित प्राकृतिक खेती" का मतलब कम लागत और विषमुक्त खेती
Jhansi News: उत्तर प्रदेश के कृषि सचिव राजशेखर द्वारा ग्राम अम्बावाय स्थित कामधेनु फार्म हाउस में ‘गौ-आधारित प्राकृतिक खेती एवं इनोवेटिव एग्रीकल्चर’ कार्य का स्थलीय निरीक्षण करते हुए जानकारी ली।;
Jhansi News: उत्तर प्रदेश के कृषि सचिव राजशेखर द्वारा ग्राम अम्बावाय स्थित कामधेनु फार्म हाउस में ‘गौ-आधारित प्राकृतिक खेती एवं इनोवेटिव एग्रीकल्चर’ कार्य का स्थलीय निरीक्षण करते हुए जानकारी ली। उन्होंने कहा कि अथर्ववेद के ‘पृथ्वी सूक्त’ में कहा गया है कि ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ अर्थात् धरती हमारी माता है और हम उसके पुत्र हैं। धरती माता के प्रति हमारे वेद जिस महिमा का ज्ञान कर रहे हैं, वह आज के परिप्रेक्ष्य में हमारे संस्कारों का हिस्सा हैं। अथर्ववेद का यह मंत्र माँ की महिमा से जोड़कर धरती की गरिमा का गान करता है। इसलिए हम सबका दायित्व है कि भरण पोषण करने वाली धरती माँ का हम संरक्षण करें।
उत्तर प्रदेश में देश की उपजाऊ भूमि का सर्वाधिक भाग - कृषि सचिव राजशेखर
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कृषि सचिव राजशेखर ने उपस्थित किसानों से कहा कि उत्तर प्रदेश देश की सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। देश की उपजाऊ भूमि का सर्वाधिक भाग उत्तर प्रदेश में है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में वर्ष 2014 से ही किसानों की आय को दोगुना करने के लिए गम्भीरता से प्रयास किये जा रहे हैं। आज इसके बेहतर परिणाम दिखायी दे रहे हैं। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए खेती की लागत को कम करना और उत्पादन को बढ़ाना अनिवार्य है। यह तभी सम्भव है, जब हम प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरण सुधार, मानव स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार के साथ-साथ कृषकों की आय में भी वृद्धि करने में सफल हों। इन सभी लक्ष्यों की पूर्ति के लिए ‘गौ-आधारित प्राकृतिक खेती’ को ही एक मात्र रास्ता बताया है। ‘गौ-आधारित प्राकृतिक खेती’ का मतलब कम लागत और विषमुक्त खेती है। उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता के आरम्भ से ही गौ और गौवंश को मनुष्य का सबसे नजदीकी हितचिन्तक माना गया है। आज भी हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मूल मंत्र गौवंश है।
छोटे किसानों के लिए संरक्षक हैं बैल
कामधेनु फार्म हाउस का निरीक्षण करते हुए कृषि सचिव ने कहा कि खेती में मशीनीकरण के साथ-साथ यह बात समझ में आने लगी है कि छोटे किसानों के लिए बैल न केवल किफायती बल्कि उनके संरक्षक भी हैं। प्रदेश में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के क्रियान्वयन से न केवल हमारे किसान को कम लागत में अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता है बल्कि स्वास्थ्य के साथ-साथ गौ-संरक्षण का कार्य भी हम इसके माध्यम से करने में सफल हो सकते हैं। इसके माध्यम से गोबर एवं गौमूत्र के विविध प्रयोग से बुंदेलखंड सहित प्रदेश की मृदा संरचना में भी सुधार कर जीवांश कार्बन में बढ़ोत्तरी सुनिश्चित की जा सकती है तथा बड़े पैमाने पर जो धनराशि उर्वरकों, पेस्टीसाइड के आयात में खर्च की जाती है, उसकी भी बचत कर सकते हैं।
यूपी में गौ-आधारित प्राकृतिक खेतों को दिया जा रहा हैं बढ़ावा
राजशेखर ने प्रधानमंत्री एवं कृषि मंत्री को केन्द्रीय बजट में प्राकृतिक खेती को सम्मिलित करने के लिए आभार ज्ञापित किया। जिसके पश्चात उत्तर प्रदेश में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस विषय पर बुंदेलखंड के किसानों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड सहित उत्तर प्रदेश में बड़े भूभाग पर प्राकृतिक खेती की जा रही है। इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। नमामि गंगे एवं परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत विगत 03 वर्षां के पहले वर्ष में प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा दिया गया। वर्ष 2020 से प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र में अनेक नवाचार किये गये हैं।