Jhansi News: झांसी को "गेटवे टू बुंदेलखंड" कहा जाता हैः मेजर सुनील कुमार काबिया

Jhansi News: 56 यू पी बटालियन एनसीसी झांसी में राष्ट्रव्यापी एक भारत श्रेष्ठ भारत शिविर के दूसरे दिन बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के एनसीसी अधिकारी एवं अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं होटल एंड टूरिज्म विभाग के विभाग अध्यक्ष मेजर सुनील कुमार काबिया को झाँसी एवं बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विरासत विषय पर विशिष्ट सम्बोधन के लिए आमंत्रित किया गया।

Report :  B.K Kushwaha
Update:2023-10-11 23:25 IST

झांसी को "गेटवे टू बुंदेलखंड" कहा जाता हैः मेजर सुनील कुमार काबिया: Photo-Newstrack

Jhansi News: काबिया ने झाँसी एवं बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विरासत के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि झांसी को “गेटवे टू बुंदेलखंड” के रूप में जाना जाता है। झाँसी बुन्देलखण्ड का अभिन्न हिस्सा है, यह वह सांस्कृतिक क्षेत्र है जिस पर 16वीं शताब्दी से बुंदेला राजपूतों का शासन था। झाँसी से अठारह किलोमीटर दूर, एक बुंदेला राजा ने बेतवा नदी के तट पर ओरछा की स्थापना की थी, और यह ओरछा के बुंदेला राजा ही थे जिन्होंने 17 वीं शताब्दी में झाँसी किले का निर्माण कराया था। 18वीं सदी की शुरुआत से, झाँसी सहित यह क्षेत्र कुछ समय के लिए मुगल शासन के अधीन रहा। और फिर यह मराठों के अधीन आ गया। झाँसी को मुख्य रूप से प्रसिद्ध रानी लक्ष्मीबाई और 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम विद्रोह के साथ जुड़ाव के लिए जाना जाता है। झाँसी में एक समृद्ध विरासत है जो हमें सांस्कृतिक अन्वेषण और शांत अनुभवों के एक आदर्श मिश्रण के लिए इसके ऐतिहासिक अतीत का पता लगाने के लिए प्रेरित करती है।

झाँसी किला शहर का मुकुट रत्न

अपने ऐतिहासिक महत्व के अलावा, झाँसी ढेर सारे आकर्षण और अनुभव प्रदान करता है। झाँसी का दौरा करना इतिहास की गलियों में चलने के बराबर है। एक शानदार अतीत के साथ जो अपने वर्तमान आकर्षण को भी प्रदान करता है, इस शहर में देखने और अनुभव करने के लिए बहुत कुछ है। उन्होनें झाँसी के किले के बारे में बताते हुए कहा कि झाँसी का किला एक विशाल प्रहरी है जो झाँसी की वीरता और लचीलेपन के प्रमाण के रूप में खड़ा है, झाँसी किला शहर का मुकुट रत्न है। यह दुर्जेय संरचना रानी लक्ष्मीबाई के वीरतापूर्ण कार्यों की गवाह है, जिन्होंने विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सेना के खिलाफ अपने राज्य की जमकर रक्षा की थी। आप 17वीं सदी के विशाल किले में टहलें। गणेश और शिव मंदिरों के साथ-साथ कड़क बिजली और भवानी शंकर तोपों के भी दर्शन करें। शाम को, एक ध्वनि और प्रकाश प्रदर्शन में रानी लक्ष्मीबाई के जीवन और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को दर्शाया जाता है। वहीं किले से कुछ दूरी पर स्थित सुंदर भित्तिचित्रों वाला एक असाधारण रानी महल है। जिसे पुरातत्व संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। व झाँसी के किले के पास में राजकीय संग्रहालय है जहाँ झाँसी के इतिहास को गहराई से जान सकते हैं।

काबिया जी ने ओरछा के बारे में बताते हुए कहा कि झाँसी शहर की सीमा से 18 किलोमीटर दूर ओरछा नामक स्थान है। ओरछा ,जिसका अर्थ है "छिपी हुई जगह" बुंदेला राजवंश की भव्यता का एक जीवंत प्रमाण है। यहाँ पर राम राजा सरकार का भव्य मंदिर है जहाँ देश विदेश से लोग दर्शन हेतु आते हैं । उत्कृष्ट ओरछा किला परिसर का अन्वेषण करें, अलंकृत राजा महल और जहांगीर महल का दौरा करें, और प्रतिष्ठित चतुर्भुज मंदिर का आनंद लें। ओरछा से होकर बहने वाली शांत बेतवा नदी इसके आकर्षण को बढ़ाती है, ओरछा में राजमहल पैलेस हैं, जो अपने अलंकृत भित्तिचित्रों, सुंदर आंगनों और शाही माहौल के साथ बुंदेला वास्तुकला की भव्यता को प्रदर्शित करता है, यह एक अद्वितीय और शानदार आवास अनुभव प्रदान करता है जो मेहमानों को रॉयल्टी के बीते युग में ले जाता है।

झाँसी की संस्कृति

झाँसी की संस्कृति का पता लगाने और पारंपरिक हस्तशिल्प खरीदने के लिए सदर बाज़ार पारंपरिक साड़ियों, पोशाक सामग्री और कपड़े सहित वस्त्रों के संग्रह के लिए जाना जाता है। प्रसिद्ध चंदेरी और माहेश्वरी साड़ियों अपनी उत्कृष्ट शिल्प कौशल के लिए जानी जाती हैं। हस्तशिल्प आप विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प पा सकते हैं, जैसे लकड़ी की कलाकृतियाँ, धातु शिल्प, मिट्टी के बर्तन और पेंटिंग। ये वस्तुएं अद्वितीय स्मृति चिन्ह और घर की सजावट के लिए बनती हैं। आभूषण झांसी के बाजारों में पारंपरिक आभूषणों का चयन मिल सकता है, जिसमें चांदी और सोने की परत चढ़ाए सामान के साथ-साथ आदिवासी-प्रेरित आभूषण भी शामिल हैं।


56 यूपी बटालियन के कैंप कमांडेंट कर्नल हर्ष प्रीन्जा ने बताया कि इस शिविर में एनसीसी निदेशालय उत्तर प्रदेश के बरेली, कानपुर एवं मेरठ ग्रुप के 450 एनसीसी कैडेट के साथ ही एनसीसी निदेशालय महाराष्ट्र के नागपुर औरंगाबाद एवं अमरावती ग्रुप के 150 एनसीसी कैडेट सहित कुल 600 एनसीसी कैडेट प्रतिभाग कर रहे हैं साथ ही कानपुर ग्रुप के 6 एनसीसी अधिकारी तथा मेरठ बरेली ग्रुप एवं महाराष्ट्र निदेशालय से एक एक एनसीसी अधिकारी प्रतिभाग कर रहे हैं। उक्त शिविर का उद्देश्य एनसीसी कैडेटस् के बीच राष्ट्रीय एकता और अखंडता की भावना जगाना, विभिन्न प्रांतो के इतिहास साहित्य एवं संस्कृति के बारे में जागरूक कर परिचय प्राप्त करना, एक दूसरे के साथ रहना एवं हमारे युवा शक्ति को चरित्रवान एवं नेतृत्व क्षमता विकसित कर समाज एवं राष्ट्र सेवा हेतु एक प्रशिक्षित संगठित जनशक्ति का निर्माण करना है।

राष्ट्रीय एकीकरण जागरूकता कार्यक्रम

56 यू पी बटालियन के सूबेदार मेजर जयप्रकाश ने बताया कि इस कैंप के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे राष्ट्रीय एकीकरण जागरूकता कार्यक्रम, खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम ग्रुप प्रेजेंटेशन एवं पब्लिक स्पीकिंग आदि के आयोजन के साथ ही एनसीसी कैडेट को बुंदेलखंड के इतिहास एवं दर्शनीय स्थलों के भ्रमण कराया जाएगा तथा विभिन्न ग्रुपों से आये एनसीसी कैडेटस् द्वारा ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतीकरण किया जाएगा। इस अवसर पर कैंप प्रशासनिक / वित्त अधिकारी कर्नल संजय मिश्रा, कैंप एडजूटेंट कैप्टन पंकज शर्मा, ले. विजय यादव, ले. विशाल यादव, ले. नीलम सिंह,ले. रितेश चौरसिया, ले. आर.आर. पाटिल , ले. पी. के. पाल, ले. शारदा सिंह, चीफ अफसर सत्येंद्र चतुर्वेदी, बुन्देलखण्ड विश्विद्यालय के श्री हेमंत चंद्रा आदि उपस्थित रहे।

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