Jhansi News: कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर, बहुत से अस्पतालों में पुलिस चौकियां भी, फिर भी क्यों सुरक्षित नहीं हैं डॉक्टर

Jhansi News: झांसी में मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल संचालित है। मेडिकल कॉलेज में प्रवेश द्वार पर मेटर डिटेक्टर लगे हैं, लेकिन वे चालू हालत में नहीं हैं।

Report :  Gaurav kushwaha
Update: 2024-08-17 06:50 GMT

doctors safety  (photo: social media )

Jhansi News: कोरोना का भयानक दौर बीते अभी बहुत समय नहीं हुआ है। सभी ने देखा उस भयावह समय में डॉक्टरों और हेल्थ वर्करों ने कैसे लोगों की जान बचाई। इस कोशिश में बहुत से डॉक्टरों और हेल्थ वर्करों ने अपनी जान भी गंवा दी। महज दो तीन साल में ही हम मनुष्य जीवन में डॉक्टरों के योगदान को भूल गए।

दोषी को सजा के साथ डॉक्टरों की सुरक्षा जरूरी

इस जघन्य कांड के दोषी को तो सजा मिलनी ही चाहिए। इस घटना के बाद अस्पताल में डॉक्टरों की सुरक्षा का सवाल भी बहुत अहम है। मेडिकल कॉलेज या फिर जिला अस्पताल की बात की जाय तो वहां वास्तव में सुरक्षा बहुत कम होती है।

पुलिस चौकियों की प्राथमिकता में नहीं है सुरक्षा

इस लिहाज से कहा जा सकता है कि वास्तव में अपस्तालों में सुरक्षा इंतजाम और पुख्ता करने की जरूरत है। आने जाने वालों की निगरानी जरुरी है, सिर्फ सीसीटीवी कैमरों से ही नहीं, बल्कि पुलिस और सुरक्षा गार्डों को इसमें लगाने की जरूरत है। ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में पुलिस चौकी भी होती है, लेकिन इन पुलिस चौकी वालों के लिए अस्पताल के डॉक्टर की सुरक्षा कत्तई प्राथमिकता पर नहीं होती, ये सिविल पुलिस के लोग होते हैं। इनकी प्राथमिकता थानों की ही तरह होती है। इन्हें भी कानून व्यवस्था की दूसरी ड्यूटी के साथ मामलों की तफ्तीस भी करनी होती है, लिहाजा मेडिको लीगल मामलों को छोड़ कर इनका अस्पताल से बहुत लेना देना नहीं रहता।

अक्सर मरीज़ों के नशे में धुत साथियों से निपटना पड़ता है...

झांसी में मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल संचालित है। मेडिकल कॉलेज में प्रवेश द्वार पर मेटर डिटेक्टर लगे हैं, लेकिन वे चालू हालत में नहीं हैं। यहां से कोई भी बेरोकटोक गुजर सकता हैं। इन दोनों अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है, लेकिन डॉक्टर और अधिक कैमरा चाहते हैं। इन कैमरों की कोई निगरानी नहीं करता। जिला अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स ने कहा कि डॉक्टर और नर्सों को मरीज़ों के परिवारों की धमकी का डर रहता है, "हमें अक्सर रात में नशे में धुत्त मरीज़ों के साथ आने वालों से निपटना पड़ता है।

मेडिकल कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएट कर रहे प्रथम वर्ष के छात्र ने कहा, "अस्पताल के कुछ हिस्सों में रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं है। अस्पताल के परिसर में मरीज़ों के साथ आए लोग फ़र्श पर सोते हैं। इन दोनों अस्पतालों में रात में सिक्योरिटी बहुत नाम मात्र की रहती है। एक नर्स ने कहा, "हमें और बेहतर सिक्योरिटी की ज़रूरत है।

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