Jhansi: सर्वे-सर्वे के खेल में पांच सौ से अधिक दुकानों का नहीं बढ़ पाया किराया
Jhansi: नगर निगम के अफसर और कर्मचारियों की लापरवाही से निगम को तीन माह के अंदर लाखों रुपये के राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है।
Jhansi News: नगर निगम के अफसर और कर्मचारियों की लापरवाही से निगम को तीन माह के अंदर लाखों रुपये के राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है। नगर निगम द्वारा लंबे अरसे से आवंटित पांच सौ से ज्यादा दुकानों का डीएम सर्किल रेट के हिसाब से किराया बढ़ाकर वसूलने का निर्णय जनवरी में हुई बोर्ड बैठक में लिया गया था। इसके लिए सर्वे करवाने के निर्देश दिए गए थे, पर नगर निगम के अमले की कार्यप्रणाली की दाद देनी होगी कि पूरे तीन माह गुजरने के बाद भी सर्वे पूरा नहीं हो पाया है।
निगम के खजाने में राजस्व की क्षति
यह कार्य किस गति से चल कर रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन महीने में किराया बढ़ाए जाने की सहमति का सिर्फ एक आवेदन नगर निगम के पास आया है। अधिकारी आदेश तो दे रहे हैं, पर धरातल पर स्थिति कुछ और है। महानगर में नगर निगम द्वारा पांच सौ से अधिक दुकानें आवंटित हैं। इन दुकानों से अभी तक एक से दो हजार रुपये किराया मिलता है। जनवरी माह में हुई बोर्ड बैठक में अच्छी जगह पर कम किराये का मुद्दा उठा, तो तय किया गया कि डीएम सर्किल रेट से किराया बढ़ाकर लिया जाएगा। इसके लिए सर्वे शुरू हुआ, जोकि अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इसके पीछे की वजह नगर निगम कर्मचारियों की शिथिलता है। कर्मचारियों की इस कार्यशैली से निगम के खजाने को राजस्व की क्षति हो रही है।
सिकमी किरायेदारों ने लगाई चपत
नगर निगम द्वारा आवंटित दुकानों का हाल ऐसा है कि यहां लोगों ने दुकानों के स्वरूप बदल दिए और निगम से अनुमति लेने की जरूरत भी नहीं समझी। ऐसे लोगों को नोटिस दिए गए और बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इधर, कई सिकमी किरायेदार मूल आवंटियों की जगह काबिज हो गए और नामांतरण कराकर निगम को बड़ी चपत लगाई। वहीं अपर नगर आयुक्त रोली गुप्ता का कहना है कि, सर्वे का कार्य काफी पूरा हो चुका है। अभी तक बढ़ा हुआ किराया देने के लिए एक ही आवेदन आया है। आवेदन न करने वालों को नोटिस जारी किए जाएंगे।