Jhansi News: केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में कृषि लागत परियोजना की तीन दिवसीय वार्षिक कार्यशाला

Jhansi News: कुलपति ने कहा कि देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारण होने में कृषि लागत परियोजना का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।

Report :  Gaurav kushwaha
Update: 2024-06-28 11:41 GMT

केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में कृषि लागत परियोजना की तीन दिवसीय वार्षिक कार्यशाला: Photo- Newstrack

Jhansi News: उत्तर प्रदेश के जनपद झाँसी के रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के उद्यानिकी एवं वानिकी सभागार में कृषि लागत परियोजना के तीन दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन की अध्यक्षता कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने की। कुलपति ने कहा कि देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारण होने में कृषि लागत परियोजना का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।

किसानों की समस्यायों का निदान जल्द से जल्द होगा

कृषि मंत्रालय भारत सरकार की महत्त्वपूर्ण योजना है, जो किसानों के हित के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने परियोजना में कार्यरत फील्ड कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा किसानों से मधुर संबंध बनाकर उनकी समस्यायों को लेकर उच्च अधिकारियों को अवश्य अवगत कराएं, जिससे उनका निदान कराया जा सके। लोगो के आंकड़ों के आधार पर ही भारत सरकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करती है। इसलिए आवश्यक है कि सही ऑकलन करें।

भारत सरकार फील्ड कर्मचारियों के द्वारा एकत्रित किए ऑकड़ों के आधार पर किसानों के हित में तमाम लाभकारी योजनाएं तैयार करती है। यह तीन दिवसीय कार्यशाला निश्चित ही देश के अन्नदाताओं के लिए लाभकारी साबित होगी। कुलपति ने कहा जिस प्रकार से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। उसमें उत्तर प्रदेश के अलग - अलग क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति भिन्न है जो फील्ड कर्मचारी ऑकड़े एकत्रित करते हैं उस क्षेत्र की जानकारी अवश्य रखें। जिससे किसानों की विभिन्न समस्याओं का समाधान हो सके।

प्रत्येक ग्राम में 6 - 6 किसानों का चयन कर 15 फसलों के ऑकड़ों का आकलन

कृषि लागत परियोजना के नोडल अधिकारी डॉ. एसएस सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के 150 ग्रामों में कृषि लागत परियोजना कार्य कर रही है। इसका नेतृत्व रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी कर रहा है। अर्थ, सांख्यकी एवं मूल्यांकन प्रभाग कृषि एवं किसान मंत्रालय,नई दिल्ली,भारत सरकार ने झांसी में कार्यरत परियोजना की भूरि - भूरि प्रशंसा की है। नोडल अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक ग्राम में 6 - 6 किसानों का चयन कर 15 फसलों के ऑकड़ों का आकलन, सामाजिक एवं आर्थिक सहयोग करना इस परियोजना का मूल कार्य है। कृषि विवि के वैज्ञानिक भी इस वर्ष से परियोजना में अपना सहयोग देंगे।


कृषि लागत परियोजना के क्षेत्र अधिकारी डॉ. डीवी सिंह ने कृषि लागत परियोजना की सम्पूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि यह परियोजना देश में सन् 1971 से कार्यरत है। कृषि विवि झांसी में सन् 2022 से संचालित की जा रही है। इसमें कर्मचारी किसानों के खेत पर जाकर ही किसानों के साथ खेत की तैयारी से लेकर मंडी तक होने वाली सभी क्रियाओं पर नजर रखते हैं उसी प्रकार से ऑकड़े तैयार कर भारत सरकार को भेजने का कार्य करते हैं। उन्होंने उपस्थित परियोजना कर्मचारियों से आवाहन किया कि अपने कार्य के महत्त्व को समझते हुए किसानों के लिए पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करें।


यह लोग रहे मौजूद

इस अवसर पर डॉ. राजेश सिंह तोमर, डॉ. अजय कुमार शर्मा, डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, डॉ. देवेन्द्र सिंह, धर्मन्द्र सिंह सोलंकी, अजीत सिंह राना, विक्रम सिंह एवं उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आएं समस्त परियोजना अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे। परियोजना के सहायक सांख्यकी अधिकारी अतुल चौहान ने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।

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