आज ही हुई थी काकोरी एक्शन के दीवानों बिस्मिल, अशफ़ाक़ उल्ला और रोशन सिंह को फांसी

Kakori Action: छह अप्रैल 1927 को काकोरी कांड का फैसला हुआ जिसमें रामप्रसाद ‘बिस्मिल’, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां को फांसी की सजा सुनाई गई।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-12-19 07:14 GMT

काकोरी एक्शन-बिस्मिल, अशफ़ाक़ उल्ला और रोशन सिंह (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Kakori Action: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में काकोरी एक्शन एक महत्वपूर्ण घटना है। आज़ादी के दीवानों ने नौ अगस्त 1925 को लखनऊ के पास काकोरी में एक ट्रेन में डकैती डाली थी। इसी घटना को 'काकोरी कांड' (Kakori Kand) के नाम से जाना जाता था लेकिन अब इसे काकोरी एक्शन नाम दिया गया है। क्रांतिकारियों का मकसद ट्रेन से सरकारी खजाना लूटकर उन पैसों से हथियार खरीदना था ताकि अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध को मजबूती मिल सके। इस ट्रेन डकैती में कुल 4601 रुपये लूटे गए थे।

गौरतलब है कि काकोरी एक्शन सिर्फ खज़ाना लूटने की घटना मात्र नहीं था। वह बड़ा दिल रखने वाले क्रांतिकारियों द्वारा अंग्रेजी सत्ता को सीधी चुनौती थी। काकोरी कांड का ऐतिहासिक मुकदमा लगभग 10 महीने तक लखनऊ की अदालत रिंग थियेटर (आज का जीपीओ) में चला। छह अप्रैल 1927 को इस मुकदमे का फैसला हुआ जिसमें रामप्रसाद 'बिस्मिल', राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां को फांसी की सजा सुनाई गई। शचीन्द्रनाथ सान्याल को कालेपानी और मन्मथनाथ गुप्त को 14 साल की सजा हुई। योगेशचंद्र चटर्जी, मुकंदीलाल जी, गोविन्द चरणकर, राजकुमार सिंह, रामकृष्ण खत्री को 10-10 साल की सजा हुई। विष्णुशरण दुब्लिश और सुरेशचंद्र भट्टाचार्य को सात और भूपेन्द्रनाथ, रामदुलारे त्रिवेदी और प्रेमकिशन खन्ना को पांच-पांच साल की सजा हुई।

बिस्मिल, अशफ़ाक़ उल्ला और रोशन सिंह (फोटो- सोशल मीडिया)

17 दिसंबर 1927 को सबसे पहले गोंडा जेल में राजेंद्रनाथ लाहिड़ी को फांसी दी गई। 19 दिसंबर, 1927 को रामप्रसाद बिस्मिल (ram prasad bismil hanged in) को गोरखपुर जेल में फांसी दी गई। उन्होंने अपनी माता को एक पत्र लिखकर देशवासियों के नाम संदेश भेजा और फांसी के तख्ते की ओर जाते हुए जोर से 'भारत माता' और 'वंदेमातम्' की जयकार करते रहे. चलते समय उन्होंने कहा -

मालिक तेरी रजा रहे और तू ही रहे, बाकी न मैं रहूं, न मेरी आरजू रहे। जब तक कि तन में जान, रगों में लहू रहे तेरा हो जिक्र या, तेरी ही जुस्तजू रहे। काकोरी कांड के तीसरे शहीद थे, ठाकुर रोशन सिंह (roshan singh hanged in) जिन्हें इसी दिन इलाहाबाद में फांसी दी गई। अशफाक उल्ला खां काकोरी कांड के चौथे शहीद थे। उन्हें भी 19 दिसम्बर को फैजाबाद में फांसी (ashfaqulla khan ko fansi kab di gai) दी गई। उनका अंतिम (ashfaqulla khan last words in hindi) गीत था -

तंग आकर हम भी उनके जुल्म से बेदाद से चल दिए सुए अदम जिंदाने फैजाबाद से।

काकोरी के शहीदों को शत शत नमन।


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