BJP के सबसे मजबूत किले कानपुर-बुंदेलखंड की दोनो सीटों पर खिला कमल

कानपुर बुंदेलखंड भारतीय जनता पार्टी का सबसे मजबूत किला है । भाजपा ने इस किले की ऐसी घेराबंदी की है कि कांग्रेस समेत सपा और बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टीयां इसे भेद नहीं पा रही है। कानपुर बुंदेलखंड की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने धमाकेदार जीत दर्ज की है।

Update:2019-10-24 21:53 IST

सुमित शर्मा

कानपुर : कानपुर बुंदेलखंड भारतीय जनता पार्टी का सबसे मजबूत किला है । भाजपा ने इस किले की ऐसी घेराबंदी की है कि कांग्रेस समेत सपा और बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टीयां इसे भेद नहीं पा रही है। कानपुर बुंदेलखंड की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने धमाकेदार जीत दर्ज की है। गोविंदनगर और मानिकपुर में तीन दिन पहले ही पटाखों और फुलझड़ियों के साथ दिवाली मनाई गई। कानपुर बुंदेलखंड पूरी तरह से भगवामय हो गया है।

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इतनी सीटों पर दर्ज की जीत

कानपुर बुंदेलखंड में 10 लोकसभा सीटें है और 52 विधानसभा सीटें है । यदि आकड़ो पर नजर डाले तो 2017 के विधानसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड की 52 विधानसभा सीटों में से 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी । वहीं विपक्षी पाटिर्यो को मात्र 5 सीटों पर संतोष करना पड़ा था ।

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कानपुर बंदेलखंड 10 में से 10 सीटें जीत कर क्लीन स्वीप किया था । इस लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री का ऐसा जादू चला था कि सपा अपना मजबूत गढ़ कन्नौज और इटावा की सीटें भी नहीं बचा पाई थी ।

2019 के लोकसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड की दो सीटें खाली हुई थी । कानपुर की गोविंद नगर विधानसभा सीट और चित्रकूट की मानिकपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने थे । उपचुनावों की तारीखो का एलान होने के बाद सभी दलों ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था । जातिगत आकड़ो पर भाजपा , कांग्रेस , सपा और बसपा ने प्रत्याशियों को मैदान पर उतारा था ।

भाजपा ने अपने आर्टिकल 370 और एयर स्ट्राईक और केंद्र और राज्य सरकार के विकास कार्यो को मुद्दा बनाया था । वहीं विपक्ष ने स्थानीय मुद्दो , बेरोजगारी और आर्थिक मंदी को मुद्दा बनाकर जनता के सामने रखा था । लेकिन जनता ने विपक्ष को नकारते हुए एक बार फिर से भाजपा पर भरोसा जताया है ।

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मानिकपुर विधानसभा सीट

चित्रकूट की मानिकपुर विधानसभा सीट से भाजपा ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए आंनद शुक्ला को टिकट दिया था । 2017 के विधानसभा चुनाव में मानिकपुर विधानसभा सीट से आरके पटेल विधायक का चुनाव जीते थे ।

भाजपा ने आरके पटेल को 2019 के लोकसभा चुनाव में कैंडिडेट बनाया था । आरके पटेल के सांसद बनने के बाद मानिकपुर विधानसभा सीट खाली हो गई थी । आरके पटेल के कहने पर भाजपा ने आनंद शुक्ला को मानिकपुर से प्रत्याशी बनाया था ।

 

मानिकपुर वैसे तो कुर्मी बाहुल क्षेत्र है लेकिन आरके पटेल की क्षेत्र में मजबूत पकड़ होने के कारण पटेल मतदाता भाजपा के साथ मजबूती से खड़ा है। सपा ने मानिकपुर से ओबीसी कार्ड खेलते हुए निर्भय पटेल को मैदान पर उतारा था ।

मानिकपुर में भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर थी । वहीं कांग्रेस ने रंजना पांडेय को उपचुनाव में उतारा था । बसपा ने राजनारायण को टिकट दी थी । बसपा और कांग्रेस ने मानिकपुर सीट पर ज्यादा मेहनत नहीं की ।

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इतने वोटो से मात दे दी

मानिकपुर सीट पर बीते 21 अक्टूबर को हुए उपचुनाव में 50.10 फीसदी वोट पड़े थे । 24 तारीख को जैसे ही मतगणना शुरू हुई भाजपा के आनंद शुक्ला ने बढत बना ली । लेकिन सपा के निर्भय पटेल ने उनके पीछे लग गए । आंनद शुक्ला और निर्भय पटेल के पूरे दिन कांटे की टक्कर चलती रही ।

भाजपा के आंनद शुक्ला ने सपा के निर्भय पटेल को 12,821 वोटो से मात देदी । बीजेपी के आनंद शुक्ला को 66,228 वोट मिले । सपा के निर्भय पटेल को 53,467 वोट हासिल हुए ।

इसके साथ ही बसपा के राजनाराण कोल को 38,992 वोट मिले । कांग्रेस की हालत बेहद खराब रही रंजना पांडेय को 8230 वोट मिले । वहीं नोटा करने वालों की संख्या 3096 है ।

सपा और बसपा के किसी भी बडे़ नेता ने उपचुनाव में प्रचार प्रसार नहीं किया । वहीं भाजपा की तरफ से प्रचार प्रसार की कमान खुद सीएम योगी ने संभाली थी । सीएम योगी ने अनंद शुक्ला के समर्थ में जनसभा को संबोधित किया था ।

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गोविंद नगर विधानसभा सीट

कानपुर की गोविंद नगर सीट पर भाजपा ने अपनी बादशाहत कायम रखी है । 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार कमल खिल रहा है । सुरेद्र मैथानी का कानपुर के जिलाध्यक्ष से विधायक बना बनने का सफर बहुत ही संघर्षो से भरा रहा है ।

गोविंद नगर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने कानपुर के जिला अध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी को प्रत्याशी बनाया था । सुरेंद्र मैथानी की गिनती जमीनी कार्यकर्ताओ में होती है ।

भाजपा के सुरेंद्र मैथानी ने कांग्रेस की करिश्मा ठाकुर को 21,224 वोटो से हराया है । सुरेंद्र मैथानी की टक्कर प्रियंका गांधी की करीबी एनएसयूआई की राष्ट्रीय सचिव करिश्मा ठाकुर से थी । करिश्मा ठाकुर ने सुरेंद्र मैथानी को जबर्दस्त टक्कर दी ।

सुरेंद्र मैथानी को 60,215 वोट मिले है । कांग्रेस की करिश्मा ठाकुर को 38,991 वोट मिले है । वहीं सपा के सम्राट विकास यादव 11,912 वोट हासिल करके तीसरे नंबर रहे ।

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यदि बसपा की बात की जाए तो बसपा सुप्रीमों के सबसे करीबी सतीश चंद्र मिश्रा के सगे संबधी देवी प्रसाद तिवारी अपनी जमानत तक नहीं बचा नहीं बचा पाए । गोविंद नगर सीट पर हमेशा तीसरे नंबर रहने वाल बसपा पूरी तरह से जमींदोज हो गई । देवी प्रसाद तिवारी को 5430 वोट मिले है । नोटा करने वालो की संख्या 1004 है ।

सुरेंद्र मैथानी का संघर्ष

सुरेंद्र मैथानी बीते 8 वर्षो से कानपुर के महानगर अघ्यक्ष थे । सुरेंद्र मैथानी 18 मई 2012 को कानपुर के जिलाध्यक्ष का पद भार सौंपा गया था । इसके साथ ही वो वर्तमान में भी नगर अध्यक्ष है । सुरेंद्र मैथानी बीते 29 वर्षो से पार्टी में कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे है । शुरूआती दिनो वो संघ से जुड़े रहे है । 1989 में सुरेंद्र मैथानी ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी ।

इसके बाद से वो लगातार पार्टी के आंदोलनो में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते रहे । वो पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों में काम कर चुके है । 2012 में जब प्रदेश में सपा सरकार थी । उस भाजपा आलाकमान ने उन्हे कानपुर शहर का जिलाध्यक्ष बनाया था । उन्होने कानपुर में विपक्ष के खिलाफ आंदोलन को तेज किया । कानपुर में संगठन को एकजुट करने में सुरेद्र मैथानी का विशेष योगदान रहा था ।

प्रधानमंत्री की 4 सफल रैलियों का कर चुके है आयोजन

सुरेन्द्र मैथानी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के कानपुर में पहली शंखनाद रैली 19 अक्टूबर 2013 में संपन्न हुई थी । जिसमे लगभग 6 लाख की भीड़ उन्हें सुनने के लिए पहुँची थी । इसके बाद 19 अप्रैल 2014 में लोकसभा चुनाव से दूसरी रैली कोयला नगर में संपन्न हुई थी ।

नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बन गए इसके बाद 19 दिसंबर 2016 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले परिवर्तन रैली संपन्न हुई । चैथी रैली 08 मार्च 2019 को हुई यह सभी रैलियां सुरेन्द्र मैथानी के समय में पूर्ण हुई है ।

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चैथी रैली में सुरेद्र मैथानी स्वंम प्रधानमंत्री से मिले थे । उन्होने प्रधानमंत्री को गुलाब का फूल देते हुए सप्रेम भेट की थी । इसके साथ ही उन्होने प्रधानमंत्री से अपने मन की बात कह दी थी ।

सुरेंद्र मैथानी ने कहा था कि मैं बीते 8 साल से कानपुर का जिलाध्यक्ष हूं । मुझे सौभाग्य मिला कि मेरे कार्यकाल में चारों रैलियां सफलता पूर्वक संपूर्ण हुई । यह बात सुनकर प्रधानमंत्री स्वंम उनके मुरीद हो गए थें ।

सुरेंद्र मैथानी के कार्यकाल में 2014 के लोकसभा चुनाव में डॉक्टर मुरलीमनोहर जोशी ने एतिहासिक जीत दर्ज की थी । इसके 2017 के विधानसभा चुनाव में कानपुर की 10 विधानसभा सीटों में से 7 सीटों पर बीजपी ने कब्जा किया था ।

वहीं निकाय चुनाव में बीजेपी ने मेयर और 65 प्रतिशत पार्षद जीते थे । इसके साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सत्यदेव पचैरी सांसद बने थे ।

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