सोशल मीडिया से सीखी अमेरिकन केसर की खेती, अब जिले का नाम किया रोशन

सरवनखेड़ा क्षेत्र के हिलौठी गांव के रहने वाले किसान चंद्रभूषण ने परंपरागत खेती से हटकर एक बीघे में अमेरिकन केसर की फसल तैयार की है।

Update:2021-02-08 13:55 IST
सोशल मीडिया से सीखी अमेरिकन केसर की खेती, अब बनी चर्चा का विषय (PC: social media)

कानपुर देहातः जिले में इन दिनों अतिपिछड़े ग्रामीण क्षेत्र के रहने वाले एक किसान चर्चा का विषय बने हुए हैं। किसान ने देश के प्रधानमंत्री की मन की बात से प्रेणना लेते हुए आत्मनिर्भर होने का सपना पूरा कर के दिखाया है। सभी किसानों से हटकर कर खेती किसानी में कुछ अलग करके समाज और सभी किसानों के लिए नजीर बनकर सामने आया है।

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सोशल मीडिया से सीखा खेती करना

सरवनखेड़ा क्षेत्र के हिलौठी गांव के रहने वाले किसान चंद्रभूषण ने परंपरागत खेती से हटकर एक बीघे में अमेरिकन केसर की फसल तैयार की है। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया से केसर की खेती करने के तरीके सीखे। साथ ही कश्मीर से ऑनलाइन बीज मंगाकर बुआई की है। फसल लहलहा रही तो आसपास क्षेत्र के किसान भी देखने के लिए तेजी से पहुंच रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर से मंगाया बीज

हिलौठी गांव के इस किसान की अनोखी पहल लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। वहीं पर जिला उद्यान अधिकारी सुभाष चंद्रा ने भी अब सराहना कर रहे हैं। किसान चंद्रभूषण ने बताया कि एक बीघे में दस लाख रुपये की आमदनी हो सकती है।

इस समय होती है इसकी बुआई

जिला उद्यान अधिकारी सुभाष चंद्रा ने बताया की अमेरिकन केसर की खेती नवंबर माह में बुआई शुरू होती है। साथ ही 15 मार्च तक केसर की फसल को काट लिया जाता है। उन्होंने बताया कि बोआई करने के 45 दिन बाद पहली सिंचाई की जाती है। किसान के मुताबिक एक बीघे में पांच से दस किलोग्राम केसर की पैदावार होगी। आठ से दस किलोग्राम बीज भी तैयार होगा। केसर की फसल और बीज को मिलाकर उन्हें करीब दस लाख रुपये की आमदनी होगी। इधर अमेरिकन केसर की फसल देखने के लिए आसपास क्षेत्र के गांवों के किसान लोग भी देखने के लिए आ रहे है।

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कानपुर में केसर की खेती का पहला मामला

जनपद के अधिकारियों का कहना है कि जिले में केसर की खेती का पहला मामला है। एक किसान ने परंपरागत खेती से हटकर प्रयास किया है। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और अन्य किसानों को प्रेणना भी मिलेगी। मुख्य विकास अधिकारी सौम्या पांडे ने बताया कि किसान चंद्रभूषण ने देश के प्रधानमंत्री के कार्यक्रम मन की बात को सुनने के बाद ये अनोखी पहल अपनाई है।

रिपोर्ट- मनोज सिंह

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