Kanpur News: दो मुट्ठी गेहूं देकर खा ली आइस्क्रीम, पिता की डांट से बचने के लिए लगाईं मासूम ने फांसी

Kanpur News: वह महज 11 बरस की थी।भाई बहनों में बड़ी पिता और मां को बहुत प्यार करने वाली बच्ची। बुधवार को वह अपने घर में ही फांसी पर झूल गई।

Update:2023-04-20 15:22 IST
मासूम ने लगाई फांसी (फोटो: सोशल मीडिया )

Kanpur News: ओ मेरी नन्ही सी गुड़िया! ये शब्द पिता के मुंह से निकल रहे थे। हर कोई सुन अपने आंसू रोक नहीं पा रहा था। डोली के पहले ही जब पिता अपनी बेटी की अर्थी सजाकर विदाई करे तो उसका कलेजा टूट जाता है। ऐसा ही कुछ बिधनू भवानीपुर में देखने को मिला।

बिधनू के मजरा भवानीपुर में रहने वाले बालकरन व उनकी पत्नी सुमेरी खेतों में मजदूरी करते हैं। उनके पांच बच्चों में कक्षा पांच में पढ़ने वाली खुशबू ( 11 ) सबसे बड़ी थी।फिर काजल (8), दो बहने व दो भाई हैं। रोज की तरह बुधवार को दंपती मजदूरी करने तीन बच्चों को साथ लेकर चला गया था। घर पर खुशबू व छोटी बहन काजल थी। खुशबू ने घर के बाहर से निकल रहे आइस्क्रीम वाले को देख बिना पैसे की आइस्क्रीम मांगी तो मना कर दिया। और कहा आइस्क्रीम खानी है तो अनाज ले आओ,उससे दे देंगे।लेकिन वो दो मुट्ठी उसके जीवन के आखरी हो गए।आइस्क्रीम खाते देख छोटी बहन ने मांग दी तो मना कर दिया,तो काजल ने पापा से शिकायत करने की बात कहीं और जानवरों को अपने साथ ले जाकर चराने चली गई।

पिता से शिकायत होने के डर से खुशबू ने झोपड़ी के अंदर धन्नी के सहारे फांसी लगा ली। परिजनों ने पूरी जानकारी पुलिस को बताई।तो वहीं ये सब आस पास खड़े लोगों के आंसू आ गए। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने को कहा तो पिता बोला साहब पैसे होते तो आज बिटिया जिंदा होती तो यह बात सुन खड़े पुलिस वाले भी सहमे से रह गए। वहीं रुपये न होने पर पिता के कंधों पर हाथ रख पुलिस कर्मी बोले हम है। बिधनू पुलिस ने मृतका के पिता की आर्थिक मदद कर शव मोर्चरी भेजा।

वाह रे बाबू इतनी हिम्मत जुटा ली

वह महज 11 बरस की थी।भाई बहनों में बड़ी पिता और मां को बहुत प्यार करने वाली बच्ची। बुधवार को वह अपने घर में ही फांसी पर झूल गई। वजह बने दो मुट्ठी गेहूं।बहन ने पापा से शिकायत की धमकी दी तो इतनी बेचैन हो गई।ये दिन भर धूप में रह कर किसके लिए मजदूरी करता हूं। इतनी समझदार थी कि डांट से बचने को उसे दूसरा रास्ता नहीं दिखा। और इतनी हिम्मत जुटा ली। जब कोई यह बात सुने तो उसके आंसू न रुके।

जमाना हमें भी याद है बेटा

पिता रो रो कर यहीं कहता रहा, जमाना हमें भी याद है बेटा जब हम छोटे थे। और अनाज से ही बर्फ व आइस्क्रीम खाते है। हमने सोचा ही नहीं था। इस कारण हमको कोई डांटेगा।लेकिन बिटिया अब कभी पापा को नहीं पुकारेगी। न मां को आवाज देगी। घर-आंगन सुना और माता-पिता उसमें क्षमा का भरोसा पैदा करने में नाकाम रहेंगे। तभी तो उसे यकीन था कि दो मुट्ठी गेहूं की चोरी उसे पिता के सामने शर्मिंदा करती रहेगी।

मासूम के दुनिया छोड़ने से उदासी

फांसी पर बहन को झूलती देखने वाली छोटी बहन सन्न है। पांच संतानों में वह घर में सबसे बड़ी थी। खुशबू मनचली और हमेशा मुस्कुराती रहती थी।ये देख आस पास के लोग भी बहुत खुश रहते थे।बच्ची के जाने से सभी उदास है। डोली की जगह पिता पंचनामे के साथ बिटिया को विदा करने की चर्चा पूरे गांव पर पसरी है। मजदूर परिवार की जेब इस कदर खाली थी कि बेटी के शव के साथ पोस्टमार्टम हाउस तक आने की मदद भी पुलिस ने की। सैकड़ों आंखों से आंसुओं की धारा फूट पड़ी।

माता-पिता सबक लें

यह भारी दुख उन दिलों पर दर्ज हो गया है। इस घटना को देख माता-पिता सबक लें। हर गलती गुनाह नहीं होती। आप भी कभी बच्चे थे और कुछ गलतियां आपसे भी हुई ही होंगी। इतनी कम उम्र में बच्चें आपकी डांट से आत्महत्या पर उतारू हो गए है दोस्त बन कर रहिए। क्योंकि संतान गई तो ये धन यहीं धारा रह जायेगा।

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