Kanpur Leather Business: योगी सरकार की ODOP संवार रहा कानपुर का चमड़ा उद्योग, यहां का लेदर बड़े-बड़े देशों में मशहूर
Kanpur Leather Business: आज कानपुर के जाजमऊ के सैकड़ों चमड़ा फैक्ट्रियों में चमड़े के जूते-चप्पल, लेदर की बेल्ट, पर्स समेत ढेर सारी वस्तुएं बनाई जाती हैं और इनकी मांग देश-विदेशों खूब रहती है। देश के उद्योगपति, क्रिकेटर, बॉलीवुड से लेकर राजनेताओं के बीच कानपुर के चमड़े की वस्तुओं को काफी पसंद करते हैं।
Kanpur Leather Business: कानपुर का नाम सुनते आपके दिमाग में क्या छवि तैयार होती है? पहली छवि तो उत्तर भारत के मैनचेस्टर के रूप में उभरती होगी। दूसरी छवि चमड़ा के रूप में होगी। असल में यह ही गंगा बेसिन के मध्य में स्थित कानपुर शहर की असली पहचान थी। इस शहर की स्थापना सचेंडी राज्य के राजा हिंदू सिंह ने की। तब इस शहर को मूल रूप से कान्हपुर के नाम से जाना जाता था। हालांकि बाद इसके कई नाम बदले और अंत वह कानपुर कह लाया। अवध के नवाबों के शासनकाल के अंतिम चरण में कानपुर पुराना कानपुर, पटकापुर, कुरसवां, जूही और सीसामऊ गांवों को मिलाकर बना। धीरे धीरे कानपुर की छवि उद्योग नगरी के रूप होने की लगी है। यहां पर कई उद्योग खुले व कई बड़ी मिल्स लगीं, लेकिन यहां के चमड़े ने कानपुर को वैश्विक पटल पर जो मुकाम दिलाई, वह किसी उद्योग से नहीं मिला। आजाद भारत की सरकारों ने धीरे धीरे कानपुर के इन उद्योग से अपना मुंह फेरना शुरू कर दिया, जिसका आलम यह हुआ कि जो कानपुर कभी भारत का मैनचेस्टर कहा जाता था, वह केवल एक शहर ही बना गया।
विदेशों में मशहूर है कानपुर का लेदर
धीरे धीरे यहां पर लगे उद्योग अपना दम तोड़ने लगे। इसका असर चमड़ा उद्योग पर भी दिखाई दिया है। चमड़ा की फैक्ट्रियां बंद होने लगी है, इस उद्योग से जुड़े हुए लोग अन्य कार्यों में जुड़ने लगे, लेकिन कुछ ट्रेनरियां आर्थिक हालत को झेलते हुए चलती रहीं और उन्होंने कानपुर के चमड़ा उद्योग का जिंदा रखा। आज कानपुर के जाजमऊ के सैकड़ों चमड़ा फैक्ट्रियों में चमड़े के जूते-चप्पल, लेदर की बेल्ट, पर्स समेत ढेर सारी वस्तुएं बनाई जाती हैं और इनकी मांग देश-विदेशों खूब रहती है। देश के उद्योगपति, क्रिकेटर, बॉलीवुड से लेकर राजनेताओं के बीच कानपुर के चमड़े की वस्तुओं को काफी पसंद करते हैं।
ओडीओपी के तहत संवार रहा चमड़ा उद्योग
कानपुर के चमड़ा की मांग वैश्विक पटल पर और बढ़े इसके लिए साल 2017 में यूपी की सत्ता में आई योगी सरकार ने प्रदेश के बीमारू उद्योग की सेहत सुधारने के लिए एक जिला- एक उत्पाद योजना की शुरू की। इस योजना के तहत सरकार ने हर जिले के एक प्रमुख उत्पाद को उद्योग के रूप में बढ़ावा दिया और इससे जुड़ने के लिए लोगों को आर्थिक सहायता व ट्रेनिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई। इस योजना का आलम यह रहा कि जो जिला के मुख्य उद्योग मर चुके थे, वह फिर से उभरने लगे और राष्ट्रीय स्तर सहित वैश्विक पटल पर अपनी पहचान बनाने लगे हैं। अब लोगों के बीच यूपी के मुख्य उत्पादों की मांग काफी होने लेगी। इससे जिले में उद्योग तो बढ़ा ही है, साथ ही लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
कानपुर निभाता है निर्यात में 20 फीसदी योगदान
योगी सरकार ने ODOP स्कीम के तहत कानपुर के चमड़ा उद्योग को शामिल किया है। इस योजना के तहत प्रदेश की सरकार ने कानपुर के खत्म हो रहे चमड़ा उद्योग को एक नई गति दी, जिसमें उद्योग से जुड़े हुए लोगों को आर्थिक सहायता दी गई और ट्रेनिंग की भी सुविधा प्रदान की गई, ताकि चमड़ा के कारोबार से लोग अधिक से अधिक जुड़ सकें। कानपुर भारत में कुल चमड़ा और चमड़ा के सामान के निर्यात में करीब 20 फीसदी का योगदान देता है।
कानपुर में यहां तैयार होता है चमड़ा का प्रोडक्ट
देश विदेश में कानपुर की चमड़े की मांग को देखते हुए कानपुर के आस पास इलाकों में जैसे पेच बाग, नई सड़क, जाजमऊ, उन्नाव से जुड़ा हुआ इलाका मगरवारा और कानपुर-लखनऊ जाने वाले हाईवे के बीच पड़ने वाला दही चौकी में प्रदेश की सबसे बड़ी चमड़ा मंडी है और यहां पर चमड़ा से बनी हुई वस्तुओं को तैयार किया जाता है। शहर के पेच बाग में खाल की फिनिशिंग का काम किया जाता है। उसके बाद यहां से यह माल जजामऊ, उन्नाव फैक्ट्री पर भेजा जाता है, जिसके बाद जूते, घोड़े की काठी, बेल्ट, पर्स जैसे इत्यादि आइटम तैयार होते हैं और बाद में विश्व पलक पर अपनी छाप से लोगों को लुभाते हैं। एक कारोबारी ने कहा कि साल 2014 से पहले प्रतिदिन 20-25 ट्रक खाल आया करती थी। करीब 12 सौ मजदूर काम करते थे और 500 से अधिक रजिस्टर्ड कारोबारी हुआ करते थे, लेकिन अब इसमें गिरावट आई है और यह घटकर 10 फीसदी रहा गया है।
बड़ी बड़ी कंपनियों में है कानपुर चमड़ा की मांग
यहां के चमड़े की क्वालिटी को देखते हुए रेड टेप, बाटा, हश पपीज, गुच्ची, लुइस वितो जैसे करीब हर बड़े ब्रांड को कानपुर का चमड़ा चाहिए होता है और यहीं से चमड़ा सप्लाई हुआ करती है। इस उद्योग से 2 लाख प्रत्यक्ष और 20 लाख अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को रोजगार मिलने की संभावना जताई गई है। यहां के चमड़े का कारोबार कई हजार करोड़ रुपये का है।
15 हजार करोड़ रुपए का सालाना कारोबार
कानपुर में चमड़ा उद्योग का सालाना कारोबार 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक है। यहां पर इससे जुड़े अधिकतर कारोबारी चमड़ा को विदेशों में निर्यात करते हैं। कानपुर के चमड़े से तैयार हुई प्रोडक्ट की मांग अमेरिकी और यूरोप के देशों समेत विभिन्न देशों में होती है और यहीं से इन देशों में वस्तुओं को निर्यात किया जाता है।
जानिए क्या है ओडीओपी
प्रदेश के जिलों में उद्योग में जान डालने के लिए योगी सरकार ने 25 सितंबर को 2018 को 'एक जिला, एक उत्पाद' योजना की शुरू की थी। योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था। प्रदेश में योजना शुरू हुए कई साल हो चुके हैं। लोग भी इस योजना में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। सरकार की ओडीओपी की दिशा में प्रगति पर प्रस्तुति देते हुए तत्कालीन अपर मुख्य सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने कहा था कि राज्य में ओडीओपी को बढ़ावा देने और कारीगरों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसकी पैकेजिंग से लेकर प्रोडक्ट की क्वालिटी जांच के लिए आईआईटी, एनईएफटी और भारतीय पैकेजिंग संस्थान से मदद ली जा रही है। उन्होंने कहा था कि यूपी के एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में ओडीओपी उत्पादों की भूमिका को मजबूत करेगी।