काशी के घाटों का भयानक दृश्य: जल रही लाशें तो कई शव लगे कतार में

काशी के हरिश्चंद्र घाट पर सीएनजी शवदाह गृह पर सिर्फ कोरोना से मरने वालों का दाह संस्कार होता है, लेकिन रास्ता...

Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-04-16 02:43 GMT

काशी का हरिश्चंद्र घाट(फोटो-सोशल मीडिया) 

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के काशी में कोरोना की दूसरी लहर से मुश्किल होते हालात नजर आ रहे हैं। यहां चिता को आग लगाने के साथ-साथ शवों की भी लंबी लाइन लगी हुई है। अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान पहुंचे लोगों को 5-6 घंटे तक इतंजार करना पड़ रहा है। इसमें सबसे ज्यादा बुरे हालात हरिश्चंद्र घाट के हैं। यहां पर दो तरीकों से शवों का अंतिम संस्कार होता है। एक तो घाट के किनारे पर लकड़ी की चिता पर और दूसरा सीएनजी शवदाह गृह में। लगातार बढ़ते मामलों से लोगों में खौफ का माहौल बना हुआ है।

ऐसे में हरिश्चंद्र घाट पर सीएनजी शवदाह गृह पर सिर्फ कोरोना से मरने वालों का दाह संस्कार होता है, लेकिन रास्ता एक ही होने के कारण यहां दहशत का माहौल है। यहां घाट की सीढ़ियों से 50 मीटर दूर परिजन खड़े रहते हैं और घाट से लेकर सीढ़ियों तक शव ही शव दिखाई पड़ते हैं। इस पर कुछ लोगों का यह भी कहना है कि प्राइवेट अस्पताल में जिन कोरोना संक्रमितो की मौत हो जाती है, उनको सामान्य तरीके से भी लकड़ी की चिता पर दाह संस्कार किया जा रहा है।


बहुत ही भयावह दृश्य

इसके साथ ही सरकारी तौर पर ऐसी किसी भी चर्चा को खारिज करते हुए बताया जा रहा है कि सिर्फ सामान्य मौत वालों का ही घाट किनारे अंतिम संस्कार किया जा रहा है। बाकी कोरोना से जिनकी मृत्यु हो रही है, उनका दाह संस्कार सीएनजी शवदाह गृह में ही हो रहा है। पर घाट से उतरते ही इधर-उधर पड़े पीपीई किट डरा रहे हैं। आलम ये हो गया है कि घाट किनारे सामान्य मौत वालों को भी 5 से 6 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है।

हालात इतने बिगड़ गए हैं कि बीते 5 दिनों से यहां 3 गुना ज्यादा शव पहुंच रहे हैं। लोगों को मजबूरी में गीली लकड़ियां मिल रही हैं। इस बारे में डोम राम बाबू चौधरी बताते हैं कि कोरोना से मरने वालों के परिजन तो कई बार डोम और चौधरी परिवार के लोगों से मिन्नत करते देखे जा रहे हैं। पैसे चाहे जितने ले लो शव का दाह संस्कार कर देना। हमारी अब यहां रुकने की हिम्मत नहीं है। कई लोग तो चौराहे से ही लौट जा रहे हैं।

Tags:    

Similar News