कस्तूरबा विद्यालय के शिक्षकों ने किया प्रदर्शन, कर रहे ये मांग
संविदा शिक्षकों का कहना है कि वह वर्ष 2005 से कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में संविदा पर सेवा दे रहे है। लेकिन बीते जुलाई माह में एक शासनादेश के जरिए उनकी संविदा सेवा समाप्त की जा रही है।
लखनऊ: गांधी बालिका विद्यालय इम्प्लाईज वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वाधान में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के संविदा शिक्षकों व शिक्षिकाओं ने अपनी संविदा को समाप्त किए जाने के विरोध में राजधानी लखनऊ में हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। इस पर वहां मौजूद पुलिस ने प्रदर्शनकारी शिक्षकों व शिक्षिकाओं को गिरफ्तार कर लिया।
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संविदा शिक्षकों का कहना है
संविदा शिक्षकों का कहना है कि वह वर्ष 2005 से कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में संविदा पर सेवा दे रहे है। लेकिन बीते जुलाई माह में एक शासनादेश के जरिए उनकी संविदा सेवा समाप्त की जा रही है। शिक्षकों का कहना है कि 2006 से कार्यरत शिक्षकों पर वर्ष 2020 में जारी शासनादेश के आधार पर कार्यवाही कैसे की जा सकती है। इनका कहना है कि नई नियमावली नई भर्तियों पर ही लागू होती है न कि पुराने सेवारत कर्मचारियों पर।
प्रदर्शनकारी संविदा शिक्षकों ने जिलाधिकारी को लिखे अपने ज्ञापन में कहा है
प्रदर्शनकारी संविदा शिक्षकों ने जिलाधिकारी को लिखे अपने ज्ञापन में कहा है कि बेरोजगारी और वैश्विक महामारी के समय अगर उनकी संविदा समाप्त कर दी जायेगी तो सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं सड़क पर आ जायेंगे और जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो जायेगा। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि शासन तक अपनी बात पहुंचाने के कई प्रयास किए और इसी क्रम में यह प्रदर्शन कर रहे है।
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प्रदर्शन कर रही सहारनपुर की संविदा शिक्षिका नीति सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा संविदा शिक्षकों व शिक्षिकाओं के साथ अन्याय किया जा रहा है। जहां पुरूष शिक्षकों की संविदा को पूरी तरह से समाप्त किया जा रहा है तो वही महिला शिक्षिकाओं में भी कुछ की संविदा समाप्त की जा रही है तो कुछ का जबरदस्ती पदास्थपन कर बहुत ही कम वेतन पर रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इतने लंबे समय तक सेवा देने के कारण अधिकांश शिक्षक-शिक्षिकाओं की आयु सीमा समाप्त हो गई है, ऐसे में अब वह कही और नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं कर सकते है।
मनीष श्रीवास्तव
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