केजीएमयू के डाॅ. सूर्यकान्त राबर्ट कॉक सम्मान से सम्मानित

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डाॅ. सूर्यकान्त को प्रख्यात राबर्ट कॉक सम्मान से सम्मानित किया गया है। भारत में राबर्ट कॉक के नाम से यह सम्मान पहली बार डाॅ. सूर्यकान्त को दिया गया है।

Update: 2019-04-15 15:34 GMT

लखनऊ: किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डाॅ. सूर्यकान्त को प्रख्यात राबर्ट कॉक सम्मान से सम्मानित किया गया है। भारत में राबर्ट कॉक के नाम से यह सम्मान पहली बार डाॅ. सूर्यकान्त को दिया गया है।

राबर्ट कॉक जर्मन फिजीशियन एवं म्राइकोबायलोजिस्ट थे, जिन्होंने टीबी के कीटाणु की खोज की थी। डाॅ. सूर्यकान्त द्वारा टीबी के इलाज, कमजोर वर्गों के रोगियों के इलाज व सहायता करने तथा उनके उत्थान के लिए किये गये कार्यों के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया।

हाल ही में हरियाणा के गुरुग्राम में सम्पन्न हुए पल्मोकान में डाॅ. सूर्यकान्त को यह सम्मान मिला। इसके पूर्व में भी डॉ. सूर्यकान्त को इंडियन चेस्ट सोसाइटी, नेशनल काॅलेज आफ चेस्ट फिजिशियन (इंडिया), टीबी एसोसिएशन ऑफ इंडिया, इंडियन मेडिकोज एसोसिएशन जैसी तमान संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथ ही डाॅ. सूर्यकान्त को उत्तर प्रदेश का विज्ञान के क्षेत्र का सवोच्च सम्मान विज्ञान गौरव पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है।

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उत्तर प्रदेश के स्टेट टास्क फोर्स (क्षय नियंत्रण) के चेयरमेन डाॅ. सूर्यकान्त ने बताया कि टीबी देश की एक गम्भीर समस्या है। हमारे देश में टीबी से प्रति तीन मिनट मे दो व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है तथा देश में प्रतिदिन 6000 लोग टीबी से ग्रसित हो जाते हैं। भारत में दुनिया के 27 प्रतिशत टीबी के रोगी हैं।

विश्व स्वास्थ संगठन ने टीबी रोग के समूल नाश के लिए 2030 तक की समय सीमा तय की है, जबकि भारत सरकार ने इसे 2025 तक खत्म करने का संकल्प किया है। इसके तहत तमाम तरह के अभियान चलाये जा रहे हैं लेकिन टीबी के मरीज बीच में ही इलाज छोड़ रहे हैं, जिससे कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

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