लखनऊ: केजीएमयू में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के पीएफ मामले में रजिस्ट्रार उमेश मिश्र ने जब सातों एजेंसियों से कर्मचारियों के अकांउट का ब्योरा मांगा तो उनका ट्रांसफर हो गया। शुक्रवार (21 जुलाई) को संयुक्त आउटसोर्सिंग कर्मचारी संघ के लोगों ने इसकी पृष्टि की।
केजीएमयू में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को करीब पांच साल से पीएफ नहीं मिल रहा था। जिसे लेकर संयुक्त आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने वीसी और रजिस्ट्रार को ज्ञापन देकर एजेंसियों के खिलाफ जांच की मांग की थी। रजिस्ट्रार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सातों एजेंसियों से यूनिवर्सिटी में कार्यरत आउटसोर्सिँग कर्मचारियों के अकाउंट का ब्योरा मांगा।
रजिस्ट्रार ने मांगा था सालभर का ब्योरा
आनन-फानन में एजेंसियों ने कर्मचारियों के एक माह का ही पीएफ जमा किया। वहीं, एजेंसियों के द्वारा पूरे साल का ब्योरा नहीं देने पर रजिस्ट्रार उमेश मिश्र ने एजेंसियों को फटकार लगाते हुए एक हफ्ते में सालभर का ब्योरा मांगा। इसके बाद मंगलवार शाम को रजिस्ट्रार का ट्रांसफर हो गया। इस पर संयुक्त आउटसोर्सिंग कर्मचारी संघ का कहना है कि 'रजिस्ट्रार ने सातों एजेंसियों से पीएफ का ब्योरा मांगा तो उनका ट्रांसफर हो गया।'
लेबर कमिश्नर से की जांच की मांग
संयुक्त आउटसोर्सिंग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल ने कहा, कि 'एजेंसियां सभी कर्मचारियों के पीएफ की चोरी कर रहा है। अगर एजेंसी प्रत्येक कर्मचारी के करीब 2,000 रुपए चोरी कर रही है तो एक माह में लाखों की चोरी हो रही है।' बता दें, कि एजेंसी ने बीते पांच सालों में किसी भी कर्मचारी को पीएफ नहीं दिया है। सभी कर्मचारी शुक्रवार को लेबर कमिश्नर गौतम दीक्षित से मिलकर मामले की जांच की मांग की है।