बंजारों की आराधना पर यहां प्रकट हुई थीं कोटही देवी, आईएएस-पीसीएस भी टेकते हैं माथा
गोरखपुर: कुआर के शारदीय नवरात्र के द्वितीय दिन पर्व पर बृहस्पतिवार को रुद्रपुर स्थित मां कोटही मन्दिर में भक्तों का ताँता लगा रहा। मां के दर्शन व पूजन के लिए आस-पास के ही नहीं बल्कि दूर-दराज से भी श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है। ऐसी मान्यता है कि मां को यादकर जो भी मन्नतें मांगता है। उसकी मुरादें मां अवश्य पूर्ण करती है। मंदिर के पुजारी आचार्य पंडित माधवराम त्रिपाठी ने बताया मां कोटहि देवी के आशीर्वाद से बहुत से सारे लोग आईएएस बने पीसीएस बने मंत्री बने यहां पर जो भी भक्त सच्चे मन से मुरादे मांगता है उसे मां कोटही पूर्ण करती हैं।
पेड़ के नीचे निकली थी पिंडी
गोरखपुर शहर के दक्षिणांचल में बीस किमी के दूरी पर स्थित रुद्रपुर गांव से सटे पश्चिम व उत्तर दिशा के कोने पर मां कोटही का प्राचीन मन्दिर है। लोग बताते हैं कि यहां कभी बहुत बड़ा जंगल होया करता था। रात तो दूर दिन में भी भय के चलते लोगों का कभी इधर से आना-जाना नहीं होता था। घने इस जंगल में जानवरों एवं पंछियों के बीच केवल बंजारे ही रहते थे। उन्होंने ही अपने आराधना से मां कोटही को खुश किया और स्थापित मूर्ति के जगह ही मां ने प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिया। बंजारे ही यहां मां कोटही की पिंडी स्थापित किए। उनके जाने के बाद जब धीरे-धीरे जंगल का कटान शुरू हुआ तो लोगों को एक पेड़ के नीचे पिंडी दिखाई दी। जहाँ बंजारों के होने के कई पहचान छुटे थे। इस पिंडी को शक्ति के रूप में पहचाना गया। उसी समय से लोगों ने पूजन-अर्चन शुरू कर दिया। बदलते समय के अनुसार रुद्रपुर के ही कुछ लोगों पिंडी के जगह मन्दिर का निर्माण करवाकर मूर्ति की स्थापना करवा दी। मां कोटही के दरबार में हर रोज सैकड़ों हाथ मन्नतों के लिए पसारे जाते हैं। भक्तगण कपूर, नारियल, अगरबत्ती लेकर पूजन-अर्चन करते हैं। चैत्र रामनवमी और दशहरा में यहाँ भव्य मेले का भी आयोजन रहता है।