कृष्ण चंद्र शास्त्री ने श्रीकृष्ण के गोवर्धन लीला का किया वर्णन
आज कृष्ण चंद्र शास्त्री ने ने अपने प्रवचन में पूतना वध, नामकरण, माखन चोरी, ब्रह्म मोह लीला उपरांत में गोपी चीर हरण लीला का अपनी सरस माधुरी भाषा में वर्णन कर भक्तों का मन मोह लिया।
लखनऊ: ईश्वरदीन छेदीलाल धार्मिक संस्थान जसरा द्वारा सेवा समिति विद्या मंदिर रामबाग के प्रांगण में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर भागवत भास्कर कृष्ण चंद्र शास्त्री ने गोवर्धन धारण लीला महोत्सव किया। जिसका उन्होंने बड़ा ही मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया और अध्यात्म भाव बताते हुए कहा कि स्वर्गपुरी में विराजित इंद्र के मान को नष्ट करने के लिए ही भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन धारण लीला कर इंद्र के मान का मर्दन किया। भगवान श्रीकृष्ण किसी का भी अहंकार रहने नहीं देते।
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उन्होंने कहा भक्ति है यमुना और जीव है काला नाग अर्थात भक्ति रूपी जमुना में जीव रूपी काली नाग ने अपने पाखंड रूपी प्रभाव से प्रदूषित कर दिया था। जिससे यमुना का जल आचमन योग्य नहीं रह गया था जिसे श्री कृष्ण जो साक्षात ईश्वर है ने अवतार लेकर काली नाग को गेंद खेलने के बहाने यमुना में प्रवेश कर यमुना से बाहर कर अपनी अमृतमई दृष्टि से यमुना का जल शुद्ध किया था। आज भी यमुना के जल को शुद्ध करने के लिए कृष्ण अवतार की आवश्यकता है। लोगों को आगे आकर यमुना के शुद्धिकरण का प्रयास करना चाहिए।
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आज कृष्ण चंद्र शास्त्री ने ने अपने प्रवचन में पूतना वध, नामकरण, माखन चोरी, ब्रह्म मोह लीला उपरांत में गोपी चीर हरण लीला का अपनी सरस माधुरी भाषा में वर्णन कर भक्तों का मन मोह लिया। विश्वनाथ प्रसाद गुप्ता, मनोज गुप्ता, जितेंद्र गुप्ता, शिव बाबू कान्हा स्वीट्स, अशोक केसरवानी सुदर्शन भवन, जगदीश चंद केसरवानी, महावीर केसरवानी, शीलू केसरवानी, शिवकुमार वैश्य, शिव विशाल गुप्ता, श्याम केशरवानी कटरा, सन्तोष केशरवानी धूमनगंज सहित प्रयागवासियो ने आरती अर्चना किया।