Bulandshahr News: बुलंदशहर में सामूहिक विवाह योजना घोटाला, श्रम प्रर्वतन अधिकारी सस्पेंड, मचा हड़कंप

Bulandshahr News: श्रमायुक्त शकुंतला गौतम ने भर्रा की पूर्व ग्राम प्रधान संगीता को निर्माण श्रमिक दर्शा कर उनकी पुत्री के विवाह के आवेदन को स्वीकार कर अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप में श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुभाषचंद्र को निलंबित कर दिया है।

Report :  Sandeep Tayal
Update:2023-02-26 21:08 IST

Bulandshahr News (Pic: Newstrack)

Bulandshahr News: बुलंदशहर में सामूहिक विवाह योजना का अपात्र को लाभ देने के मामले में यूपी की श्रम आयुक्त ने बड़ी कार्रवाई की है। यूपी की श्रमायुक्त शकुंतला गौतम ने भर्रा की पूर्व ग्राम प्रधान संगीता को निर्माण श्रमिक दर्शा कर उनकी पुत्री के विवाह के आवेदन को स्वीकार कर अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप में श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुभाषचंद्र को निलंबित कर दिया है। मामले की जांच कानपुर के अपर श्रमायुक्त दिलीप सिंह को सौंपी गई है और 2 माह में जांच पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। श्रम आयुक्त की कार्यवाही से महकमे में हड़कंप मचा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निर्धन परिवारों की बेटियों को विवाह के लिए सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत ₹75000 की आर्थिक सुविधा सुलभ कराई जाती है।

पूर्व ब्लॉक प्रमुख श्रम विभाग में की थी शिकायत  

जहांगीराबाद के पूर्व ब्लॉक प्रमुख पति सुरेश चंद और भाकियू महाशक्ति के प्रदेश प्रभारी रवि गॉड ने श्रम विभाग में शिकायत की थी कि भर्रा की पूर्व प्रधान संगीता शर्मा पत्नी संजय शर्मा ने स्वयं को निर्माण श्रमिक दर्शाते हुए अपनी पुत्री के विवाह के लिए सामूहिक विवाह योजना का अनुचित तरीके से श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुभाषचंद्र से सांठगांठ कर लाभ प्राप्त किया है। मामले को लेकर जब शिकायतकर्ताओं ने संगीता पत्नी संजय निवासी भर्रा द्वारा अपनी पुत्री के विवाह के लिए सामूहिक विवाह योजना के किए गए आवेदन की प्रमाणित प्रतियां कार्यालय से प्राप्त करनी चाही तो श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने दस्तावेज गुम होने का दावा करते हुए आवेदन पत्र की प्रमाणित प्रति सुलभ नहीं कराई थी।

जांच में प्रथम दृष्टया आरोप पाये गए सही

मामले को लेकर उत्तर प्रदेश की श्रमायुक्त शकुंतला गौतम ने जारी निलंबन आदेश में कहा है कि शासन के पत्र संख्या-192/36-4-2022-04(शि0) / 2023 दिनांक 10 फरवरी 2023 द्वारा अवगत कराया गया है कि श्रम विभाग द्वारा संचालित सामूहिक विवाह योजना में बुलंदशहर के सहायक श्रमायुक्त मुकेश कुमार दीक्षित एवं सिकंदराबाद के श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुभाष चन्द्र द्वारा भर्रा गांव की पूर्व प्रधान संगीता पत्नी संजय शर्मा से सम्बन्धित आवेदनों के सापेक्ष उनको अनुचित रूप से लाभ दिये जाने की शिकायतों की उप श्रमायुक्त गाजियाबाद से प्रारम्भिक जाँच करायी गई। उप श्रमायुक्त गाजियाबाद ने प्राप्त शिकायतों को प्रथम दृष्टया सही पाया और उत्तर प्रदेश के श्रम विभाग के अपर मुख्य सचिव को जांच आख्या भेजी।

सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत पूर्व ग्राम प्रधान की पुत्री का नहीं हुआ था विवाह!

शिकायतकर्ताओं ने बताया कि ग्राम भर्रा निवासिनी संगीता शर्मा जो पूर्व में उसी गांव की प्रधान रह चुकी है। उन्होंने श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अपना फर्जी पंजीकरण कराया और अपनी पुत्री का विवाह कराने की बात कहकर विभाग से 75 हजार रुपये अपने खाते में प्राप्त किए , जबकि उनकी पुत्री का विवाह वहां हुआ ही नहीं था। संजय शर्मा भी उसी गांव से प्रधान रह चुके हैं। आरोप है कि पूर्व प्रधान दंपति की श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुभाष चन्द्र से गहरी सांठगांठ है।

सरकारी योजना का लाभ लेने को पूर्व प्रधान बन गई निर्माण श्रमिक

उप श्रमायुक्त गाजियाबाद ने अपनी जांच आख्या में कहा है कि आवेदिका संगीता शर्मा ने स्वयं को निर्माण श्रमिक होने के दस्तावेज दाखिल किए थे। लेकिन जांच में पाया गया कि वह निर्माण श्रमिक नहीं थी अपितु पूर्व में ग्राम प्रधान रह चुकी थी और उनके द्वारा कभी भी निर्माण श्रमिक के रूप में कार्य नहीं किया गया। सामूहिक विवाह कार्यक्रम 2022 का लाभ लेने के लिए फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार कराए गए थे।

श्रम आयुक्त ने की कार्रवाई

गाजियाबाद के उप श्रम आयुक्त ने अपनी जांच में पाया कि संगीता पत्नी संजय शर्मा निवासी ग्राम भर्रा के आवेदन पर बुलंदशहर के सहायक श्रम आयुक्त मुकेश दीक्षित एवं श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुभाष चंद्र द्वारा अनुचित लाभ पहुंचाया गया। बुलंदशहर के श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुभाष चंद्र द्वारा नियमानुसार जाँच कार्यवाही नहीं की गई, यदि नियमानुसार जाँच कार्यवाही अपनाई गई होती तो आवेदिका को गलत लाभ दिए जाने की अनुशंसा नहीं की गई होती।

सुभाष चन्द्र, ग्राम भर्रा के प्रधान रहे संजय शर्मा के प्रभाव में थे और इस सामूहिक विवाह में उनके ग्राम के आस-पास के अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित किया गया। फर्जी दस्तावेजों से किए गए आवेदन पर टिप्पणी न किया जाना यह दर्शाता है कि उन पर लगाये गये आरोप सही हैं।

सुभाष चन्द्र श्रम प्रवर्तन अधिकारी, सिकन्दराबाद बुलन्दशहर द्वारा शासनादेशों / नियमों के विपरीत अनुचित रूप से लाभ पहुंचाने, शासकीय धनराशि की क्षति पहुंचाने, पदीय दायित्वो एवं कर्तव्यों के विपरीत कार्य किया गया और विभाग की छवि को धूमिल किया गया, सुभाष चन्द्र का उक्त कृत्य उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 के नियम-3 (1) व (2) एवं 4 (क) के प्राविधानों का स्पष्ट उल्लंघन है।

कानपुर के अपर श्रमायुक्त 2 माह में पूरी करेंगे जांच

उत्तर प्रदेश की श्रमायुक्त शकुंतला गौतम ने उप श्रमायुक्त गाजियाबाद की प्रारम्भिक जाँच आख्या के आधार पर सुभाष चन्द्र श्रम प्रवर्तन अधिकारी सिकन्दराबाद बुलन्दशहर को प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने पर तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया है साथ ही उनके विरुद्ध विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही भी की गई है साथ ही उन्हें कार्यालय श्रमायुक्त उ०प्र०, मुख्यालय, कानपुर मसे सम्बद्ध किया गया है। अब उक्त प्रकरण की जाँच कानपुर के अपर श्रमायुक्त दिलीप कुमार सिंह 2 माह में पूरी करेंगे।

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