बलिया किसान आंदोलन: समर्थन में आए रामगोविंद चौधरी, सरकार से किया आग्रह

अपने आवास पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी अपने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस देश का किसान मान रहा है कि नया कृषि कानून खेती बारी के हितों और उनके स्वामित्व पर हमला है। अगर यह कानून बना, तो देशी-विदेशी कंपनियां भारतीय नवरत्न कम्पनियों की तरह खेती बारी को भी निगल जाएगीं।

Update: 2020-12-03 09:28 GMT
बलिया किसान आंदोलन: समर्थन में आए रामगोविंद चौधरी, सरकार से किया आग्रह

बलिया: उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर किए गए शर्मनाक बल प्रयोग के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे। इसके लिए जो दोषी है, उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। किसान आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले किसानों को शहीद का दर्जा प्रदान करें। कॉरपोरेट के हित में बनाए गए कृषि सम्बन्धी नए काले कानूनों को तत्काल वापस लें। एमएसपी को कानूनी रूप दे और घोषणा करें कि भविष्य में कृषि पर बनने वाले किसी भी तरह के कानून किसानों को विश्वास में लेकर ही बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा है कि देश में सामान्य स्थिति बनाने के लिए ये फैसले अति आवश्यक हैं। इस लड़ाई में अन्न खाने वाले देश के सभी नेक लोग किसानों के साथ लामबंद होने के लिए मजबूर होंगे।

कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे रामगोविंद चौधरी

अपने आवास पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी अपने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस देश का किसान मान रहा है कि नया कृषि कानून खेती बारी के हितों और उनके स्वामित्व पर हमला है। अगर यह कानून बना, तो देशी-विदेशी कंपनियां भारतीय नवरत्न कम्पनियों की तरह खेती बारी को भी निगल जाएगीं। इस कानून को वह काले कानून की संज्ञा दे रहा है। वह इसकी वापसी के लिए इस कानून के बनने के दिन से विरोध जता रहा है और शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहा है।

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भारत सरकार से अपनी बात कहने पहुंचे थे किसान- रामगोविंद

उन्होंने कहा कि वह भारत सरकार से अपनी बात कहने के लिए दिल्ली आ रहा था। सरकार को बातचीत करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने बातचीत की जगह किसानों पर हमला करवा दिया। उन्हें आंदोलन से विमुख करने के लिए उनके ऊपर अति शर्मनाक बल प्रयोग किया गया। इस अतिशर्मनाक बल प्रयोग की, जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है। इस अतिशर्मनाक बल प्रयोग को लेकर पूरे देश के किसानों में असहज स्थिति बनी हुई है। इसे सहज करने का एक मात्र रास्ता है कि भारत सरकार इस हमले के लिए, किसानों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।

किसान पर हमला मतलब देश पर हमला- रामगोविंद

रामगोविंद चौधरी ने कहा कि किसान अपनी खेती बारी से केवल खुद के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए अन्न पैदा करता है। उसके ऊपर हमला, मतलब देश के लिए अन्न पैदा करने वालों पर हमला है, देश की आत्मा पर हमला है। इसलिए सरकार को अपने इस कुकृत्य के लिए माफी मांगने में देर नहीं करना चाहिए। उन्होंने कॉरपोरेट के जबड़े से अपनी खेती बारी को बचाने के लिए हो रहे आंदोलन में प्राणों की आहुति देने वाले किसानों को सैल्यूट किया और कहा कि इस देश का किसान और नेक नागरिक उनके इस बलिदान को कभी भुला नहीं पाएंगा। भारत सरकार को भी उनके इस बलिदान को स्वीकार करना चाहिए और बेहिचक उन्हें शहीद का दर्जा प्रदान करना चाहिए।

नए कृषि कानूनों को तुरन्त वापस लें सरकार- चौधरी

उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि कृषि सम्बन्धी नए काले कानून के खिलाफ इस समय एक करोड़ से अधिक किसान सड़कों पर हैं। कॉरपोरेट समर्थकों को छोड़ दिया जाए, तो जो अभी अपने घरों में हैं, उनमें से भी अधिसंख्य की सहानुभूति आंदोलनकारी किसानों के साथ हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह कॉरपोरेट का मोह छोड़कर देश के किसानों के हित में नए कृषि कानूनों को तुरन्त वापस लें। उन्होंने कहा कि इसे लेकर भारत सरकार की जिद्द बेमतलब है। इस जिद्द की वजह से देश के किसानों में व्याप्त असहज स्थिति में हर रोज वृद्धि होगी, जो किसी भी हाल में देश के हित में नहीं है।

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"भविष्य में अगर कृषि कानून बनें से पहले किसान के बारे में सोचें सरकार"

रामगोविंद ने कहा कि अब किसान उत्पादों के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानून का रूप दिया जाएगा। निर्धारित मूल्य से कम में खरीद को संज्ञेय अपराध माना जाएगा और इसके दोषियों के लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रविधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को यह भी घोषणा करनी चाहिए कि आगे किसी भी तरह का कृषि कानून बनाने से पहले किसानों का विश्वास अवश्य हासिल किया जाएगा।

रिपोर्ट,

अनूप कुमार हेमकर

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