लोकसभा चुनाव: ​सियासी दलों का हथियार बना सोशल मीडिया

पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से राजनेताओं ने सोशल मीडिया को सियासी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। राजनेताओं ने सोशल मीडिया को फेसबुक और ब्लॉक से अपग्रेड करते ट्विटर पर रोजाना आरोप-प्रत्यारोप की सियासत शुरू कर दिए है। पिछले बार की तुलना में सभी सियासी दल इस बार सोशल मीडिया पर अपनी चुनावी हथियार की धार तेज कर दिए हैं।

Update:2019-03-25 20:38 IST

धनंजय सिंह

लखनऊ: पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से राजनेताओं ने सोशल मीडिया को सियासी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

राजनेताओं ने सोशल मीडिया को फेसबुक और ब्लॉक से अपग्रेड करते ट्विटर पर रोजाना आरोप-प्रत्यारोप की सियासत शुरू कर दिए है। पिछले बार की तुलना में सभी सियासी दल इस बार सोशल मीडिया पर अपनी चुनावी हथियार की धार तेज कर दिए हैं।

योगी ने अखबार की ये कटिंग साझा की

ट्विटर पर मुख्यमंत्री योगी ने सोमवार को एक अखबार की कटिंग साझा करके लिखा कि ''भ्रष्टाचार के कुकर्म सामने आ रहे हैं। इन्होंने जनता को लूटा है। मा. न्यायालय इन खानदानी भ्रष्टाचारियों के कुकर्मों की सजा देगी।'' उन्होंने आगे लिखा कि 'इनसे सावधान रहिये। ये जेल जाने से बचने के लिए आपको जाति, धर्म के नाम पर बांटेंगे। चौकीदार के डर से सब चोर इकट्ठे हो गए हैं लेकिन कब तक बचेंगे?'

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मुख्यमंत्री ने जो कटिंग साझा की है, उसमें सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव, अध्यक्ष अखिलेश यादव उनके भाई प्रतीक यादव, डिंपल यादव का जिक्र है। मुलायम सिंह यादव के आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट का सीबीआई को नोटिस से जुड़ी खबर है। मुलायम सिंह और अखिलेश के आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दो हफ्ते में सीबीआई से जवाब मांगा है।

सोमवार को ​ट्विटर पर एकजुट होकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व बसपा सुप्रीमो मायावती ने योगी सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की कोशिश की। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन्हें खानदानी भ्रष्टाचारी करार देते हुए इनसे जनता को सावधान रहने की अपील की।

प्रियंका ने भी एक तस्वीर ट्विट की

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी एक तस्वीर ट्वीट किया, जिसमें वह कुछ व्यक्तियों के साथ बीच में खड़ी हैं। तस्वीर के कैप्शन में योगी सरकार पर झूठा होने का आरोप है। उन्होंने लिखा कि ''मैं लखनऊ में कुछ अनुदेशकों से मिली। उप्र के मुख्यमंत्री ने उनका मानदेय 8470 रुपये से 17,000 रुपये करने की घोषणा की थी। मगर आज तक अनुदेशकों को मात्र 8470 ही मिलता है। सरकार के झूठे प्रचार का शोर है, लेकिन अनुदेशकों की अवाज गुम हो गई।''

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प्रियंका ने आगे लिखा कि ''प्रदेश के शिक्षामित्रों की मेहनत का रोज अपमान होता है, सैकड़ों पीड़ितों ने आत्महत्या कर डाली। जो सड़कों पर उतरे सरकार ने उन पर लाठियां। चलाई, रासुका दर्ज किया। भाजपा के नेता टीशर्टों की मार्केट्टिंग में व्यस्त हैं, काश वे अपना ध्यान दर्दमंदों की ओर भी डालते।''

अखिलेश यादव ने भी दागे सवाल

वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी रोजगार को लेकर योगी सरकार से सवाल किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मैं भी चौकीदार' अभियान पर तंज कसा है। उन्होंने अपने ट्वीट पर यूपी शिक्षामित्र, यूपी बीपीएड, यूपी टीइटी 2011, यूपी शिक्षा प्रेरक, यूपी ग्राम रोजगार सेवक, यूपी आशा बहू, कार्यरत अनुदेशक आदि का नाम लेते हुए 'खूब रंग जमेगा! जब मिल बैठेंगे संग।' लिखा। उन्होंने कहा कि इन लोगों को स्थायी रोजगार चाहिए ना कि चौकीदारी।

अखिलेश ने साहित्यिक अंदाज में लिखा कि ‘विकास’ पूछ रहा है...भाजपा अपनी रैलियों में केवल विपक्ष की ही बातें क्यों कर रही है? क्या भाजपा के पांच साल के शासनकाल में उनकी अपनी कोई भी सकारात्मक उपलब्धि नहीं है? वहीं, उन्होंने कहा कि जनता के आक्रोश और हार के डर से भाजपा के नेता और कार्यकर्ता गर्मी का बहाना करके चुनाव प्रचार से बच रहे हैं।

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मायावती भी ट्विट में पीछे नहीं

हाल ही में ट्विटर से जुड़ी बसपा सुप्रीमो मायावती भी जमकर ट्वीट-ट्वीट खेल रही हैं। उन्होंने योगी सरकार को घेरते हुए गन्ना किसानों का मुद्दा उठाया। उन्होंने लिखा कि ''यूपी में गन्ना किसानों का 10 हजार करोड़ रुपया बकाया है तो किसान कैसे खुश व खुशहाल होंगे? ये सोचने-समझने की बात है। किसान-विरोधी व धन्नासेठ-समर्थक बीजेपी सरकार गलत दावे न करे। बीएसपी सरकार की तरह मिल मालिकों पर सख्ती करके बीजेपी किसानों के सभी बकाया क्यों नहीं अदा करवा रही है?''

उल्लेखनीय है कि उप्र प्रदेश की सियासत में पक्ष व विपक्ष के राजनेता सोशल मीडिया का जमकर उपयोग कर रहे हैं। एक दूसरे पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो अपनी सफाई भी दे रहे हैं। इन राजनीतिक सरगर्मियों के बीच यूजर्स भी अपने सुविधानुसार जमकर मजे ले रहे हैं। वहीं, अपनी प्रिय पार्टी या राजनेता के समर्थन में दमखम के साथ जुटे हुए हैं।

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