Awadh Mahotsav 2022: लोक गायिका कविता सिंह ने सजाई 'अवध' की शाम, कबीर गायन व पारंपरिक नौटंकी के दिखे रंग
Awadh Mahotsav 2022 : आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर राजधानी लखनऊ में अवध महोत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर गायन, नौटंकी जैसे कलाओं से कलाकारों ने कार्यक्रम का शोभा बढ़ाया।
Awadh Mahotsav 2022 : आजादी के अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) के तहत आयोजित 'वाजिद अली शाह अवध महोत्सव' के दूसरे दिन कबीर गायन, पारंपरिक नौटंकी और कथक के रंग दिखे। दिन में लोगों ने पारंपरिक अवधी व्यंजनों का जायका लिया और क्रॉफ्ट प्रदर्शनी देखी। शाम को शुरु हुई लोक संस्कृति से सजी शाम का लोगों ने देर रात तक आनंद लिया।
लोक गायिका कविता सिंह ने किया मंत्रमुग्ध
सांस्कृतिक शाम का उद्घाटन मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव अनिल कुमार, विशिष्ठ अतिथि आरबीआई के जनरल मैनेजर अविनाश चंद्र व संगीत नाटक अकादमी के सचिव तरुण राज ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। लोक संस्कृति की शाम का आगाज लोक गायिका कविता सिंह ने साथी कलाकारों संग किया। उन्होंने देवीगीत मइया के भवन उजियारा…, चैती – लिहिले जन्म रघुरईया…, होरी- सिर बांधे मुकुट खेलें होरी कन्हैया…जैसे पांरपरिक गीत सुनाकर पूरा माहौल लोकमय कर दिया। संगत पर चंद्रजीत सिंह चन्नी ने सिंथेसाइजर, तबला - अ़वनीश राज, ढोलक पर मनीष ने और सहगायन में अभिव्यंजना व शिवांगी ने साथ दिया।
आल्हा के विवाह का सुनाया किस्सा
जौनपुर के आल्हा गायक फौजदार व साथी कलाकारों ने आल्हा के विवाह के किस्सा सुनाया। शुरुआत में उन्होंने सवैया, छंद कुंडली में ढली मां शारदा की वंदना से शुरुआत कर पूरा वातावरण भक्तिमय कर दिया। बुंदेलखंड शैली में ढली गायकी में उन्होंने 'नैनागढ़ की लड़ाई' का बखान किया। जिसमें आल्हा-उदल और नैनागढ़ के राजा समदेव इंद्रमणि को पराजित कर उनकी बेटी रानी सोनवा से विवाह किया।
कबीर की रचनाओं में पिरोये देशज गीतों ने किया प्रभावित
उज्जैन की मालवा लोक शैली के सुप्रसिद्ध गायक पदमश्री प्रहलाद सिंह टिपनिया व साथी कलाकारों ने खूब रंग जमाये। कबीर की रचनाओं में पिरोये देशज गीतों की प्रस्तुति से हर किसी को आनंदित किया। गुरुवंदना से कार्यक्रम की शुरुआत कर उन्होंने जहां देखूं वहां तू का तू…, काया को कर अहंकार…, जरा हल्के गाड़ी हांकों… सहित कबीर की कई रचनाओं का सुमधुर गायन किया। प्रहलाद सिंह टिपनिया की तम्बूर, करताल वादन के गायकी ने लोगों को मुरीद बनाया। संगत पर वायलिन वादन देवनारायण, हारमोनियम- अजय, टीमकी पर मंगलेश टिपनिया ने शानदार संगत की।
नृत्य में दिखाई अवध की कथक परंपरा
महोत्सव का मंच अवध की कथक परंपरा के रंगों से सजा। जिसमें संगीत नाटक अकादमी कथक केंद्र के कलाकारों ने रंग-ए-अवध शीर्षक नृत्य प्रस्तुति दी। जिसमें उन्होंने अवध की कथक नृत्य परंपरा की उद्भव, कथक के विकास में नवाब वाजिदअली शाह के योगदान और पारंपरिक कालका-बिंदादीन ड्योढ़ी की परंपराओं को बखूबी पेश किया। नृत्य प्रस्तुति में अवध की लोक संस्कृति को कथक के जरिये बयां किया। वरिष्ठ कथक नृत्यांगना डॉ सुरभि शुक्ला के निर्देशन में हुई नृत्य सरंचना में कई कलाकारों ने भाग लिया। संगत में गायन कमलाकांत व तान्या भारद्वाज, तबला व पढंत पर राजीव शुक्ल, सितार डॉ नवीन मिश्र, बांसुरी पर दिगंत सैकिया ने प्रभावी प्रस्तुति दी।
फरवाही, कठपुतली प्रस्तुतियों लुभाया
अवध महोत्सव के तहत लोक नृत्यांगना ज्योति किरण रत्न के संयोजन में अवधी व्यंजन, गायन, अवधी वाद्य यंत्रों की प्रतियोगिता हुई। जिसमें विभिन्न शहरों के कई बच्चों व युवाओं ने उत्साह दिखाया। कठपुतली कलाकार नौशाद ने पांरपरिक कठपुतली विधा से रूबरू कराया। अयोध्या के कलाकारों ने अवध के पारंपरिक फरवाही नृत्य किया। लोक नृत्य में भगवान सिया राम की गाथा का बखान किया। तो अवधी शहनाई घराने के कलाकार गुलाम मोहम्मद ने शहनाई वादन कर प्रभावित किया। संगत के लिए नक्कारा, ढोलक, तानपुरा, हारमोनियम वादन के साथी कलाकारों ने महोत्सव में रंग जमाये।