UP के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहा कोरोना, इन 63 जिलों की आई चौंकाने वाली रिपोर्ट
यूपी के हर जिले में कोरोना। हालात यह है कि यूपी के केवल 12 जिले ही ऐसे हैं जिनमे कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या दहाई अंकों में यानी 100 से कम है।
लखनऊ: कोरोना वायरस संक्रमण अब शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी पांव पसार रहा है। यूपी के लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, नोएडा, वाराणसी, गोरखपुर और मेरठ जैसे बडे़ शहरों के बाद अब कन्नौज, चंदौली, बस्ती, हरदोई, बाराबंकी, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बहराइच, फरुर्खाबाद, उन्नाव, इटावा, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद, बलिया और अयोध्या जैसे ग्रामीण परिवेश वाले जिलों में अब अधिक कोरोना मामले रिपोर्ट हो रहे हैं। फिलहाल यूपी के 75 जिलों में से कोई भी जिला इसके संक्रमण से अछूता नहीं हैं। हालात यह है कि यूपी के केवल 12 जिले ही ऐसे हैं जिनमे कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या दहाई अंकों में यानी 100 से कम है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का दावा- प्रवासी श्रमिकों के कारण फैला कोरोना
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का दावा है कि यह मुख्य रूप से प्रवासी श्रमिकों की वापसी के कारण हुआ है। उनमें भी विशेष रूप से वे जो मेडिकल स्क्रीनिंग से बच गए थे या उन लोगों में जिनमें कोई लक्षण नहीं थे। इनका कहना है कि लाकडाउन के दौरान जब प्रवासी श्रमिक अपने-अपने गांवों में वापस आए तो उन्होंने सुरक्षा प्रोटोकाल का पूरी तरह से उल्लंघन किया। गांव-देहात में कोरोना के संबंध में लोगों को मालूम तो है लेकिन अभी भी पूरी तरह से जागरूक नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना से बचने के लिए मास्क तो लगा रहे हैं।
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लेकिन एक ही मास्क को हफ्तों न तो धो रहे है और न ही बदल रहे है। यहीं नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लोग एक ही कुएं या हैंडपम्प का उपयोग कर रहे है, जिससे संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। गांव-देहात में सोशल डिस्टेसिंग का भी बहुत अभाव दिख रहा है। लोगों का एक-दूसरे के घर आना-जाना जारी है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी ज्यादातर मरीज ऐसे मिल रहे है जिनमे लक्षण या तो कम है या फिर नहीं है। ऐसे लोग खुद को स्वस्थ्य मान कर लगातार और लोगों के संपर्क में आ रहे है।
लोग नहीं कर रहे पूरी तरह से प्रोटोकॉल का पालन
कन्नौज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कृष्णा स्वरूप ने कहा, बड़े पैमाने पर शहर से गांवों में आए प्रवासियों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और जहां तक निगरानी का संबंध है, यहां विशेष ध्यान देने की जरूरत है। समुदायिक प्रबंधन की मदद से संक्रमित लोगों को घर से बाहर रखा जा रहा है या अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर कहा कि ग्रामीण इलाकों में स्थिति भयावह है जहां अधिकांश लोग एक ही कुआं या हैंडपंप का उपयोग कर रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि जो लोग गांवों में लौट आए हैं, वे सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे हैं। ज्यादातर मामलों में लक्षण भी नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी शादी-ब्याह का मौसम बीता है, जिसमे लोगों ने जम कर कोरोना प्रोटोकाल का उल्लंघन किया है और अब मानसून आ गया है। बारिश में गांव-देहात के क्षेत्र में संक्रामक रोग पहले भी फैलते रहे है। ऐसे में कोरोना संक्रमण को, जिसका अभी इलाज भी नहीं है, फैलने से रोकना एक बड़ी समस्यां साबित हो सकती है।